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07 July 2025

सरकार ने समानता वाले समाज का भ्रामक दावा किया, यह बौद्धिक बेईमानी: कांग्रेस

कांग्रेस ने सोमवार को आरोप लगाया कि सरकार ने विश्व बैंक की रिपोर्ट के आधार पर भ्रामक और दुष्प्रचार वाला दावा किया है कि भारत दुनिया में चौथा सबसे समानता वाला समाज बन गया है।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि सरकार ने जानबूझकर बौद्धिक बेईमानी की है, जबकि सच्चाई यह है कि भारतीय समाज दुनिया का 40वां सबसे असमानता वाला समाज है।

उनका यह भी कहना है कि पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) को संबंधित विज्ञप्ति वापस लेनी चाहिए।

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सरकार ने विश्व बैंक की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि भारत अब दुनिया के सबसे अधिक समानता वाले समाज में से एक बन गया है। अब भारत से ऊपर केवल स्लोवाक रिपब्लिक, स्लोवेनिया और बेलारूस हैं।

रमेश ने एक बयान में कहा, ‘‘आप क्रोनोलॉजी समझिए। अप्रैल, 2025 में विश्व बैंक ने भारत के लिए अपनी "पावर्टी एंड इक्विटी ब्रीफ" जारी की। इसके तुरंत बाद कांग्रेस ने एक बयान जारी कर उस रिपोर्ट में शामिल कई चेतावनी के संकेतों की ओर ध्यान दिलाया जिनमें यह भी शामिल था कि भारत में गरीबी और असमानता को लेकर सरकारी आंकड़े वास्तविक स्थिति से कम दिखाते हैं।’’

उन्होंने कहा कि उस रिपोर्ट के जारी होने के तीन महीने बाद, बीती पांच जुलाई को मोदी सरकार की "जयकारा मंडली" और "प्रेस (मिस) इन्फॉर्मेशन ब्यूरो" (पीआईबी) ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर यह चौंकाने वाला और ज़मीनी हकीकत से कटा हुआ दावा कर डाला कि भारतीय समाज दुनिया के सबसे समानता वाले समाजों में से एक है।

 

कांग्रेस नेता ने दावा किया कि अब यह सामने आया है कि मोदी सरकार न सिर्फ विश्व बैंक की रिपोर्ट के विश्लेषण में लापरवाह थी, बल्कि उसने जानबूझकर बौद्धिक बेईमानी भी की।

रमेश ने कहा, ‘‘अपने निष्कर्ष तक पहुँचने के लिए मोदी सरकार ने जानबूझकर दो अलग-अलग मापदंडों का इस्तेमाल किया- भारत के लिए 'उपभोग आधारित असमानता' और अन्य देशों के लिए 'आय आधारित असमानता'।’’

उनका कहना है कि दो चीजों की तुलना करने के लिए जरूरी होता है कि उन्हें एक ही मानक से परखा जाए तथा यह केवल आर्थिक विश्लेषण का मूल सिद्धांत नहीं है, बल्कि सामान्य समझ की बात भी है।

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘भारत में 'उपभोग आधारित असमानता' को मापने का चुनाव भी पूरी तरह जानबूझकर किया गया। दरअसल, उपभोग आधारित असमानता हमेशा ‘आय आधारित असमानता’ से कम होती है, क्योंकि अमीर लोग अपनी आय का बड़ा हिस्सा बचा लेते हैं और खर्च नहीं करते।’’

रमेश ने कहा, ‘‘जब हम भारत की आय आधारित समानता की तुलना दुनिया के बाकी देशों से करते हैं, तो भारत का प्रदर्शन बेहद खराब नजर आता है। 2019 में भारत 216 देशों में से 176वें स्थान पर था। दूसरे तरह से कहें तो भारतीय समाज दुनिया का चौथा सबसे समानता वाला समाज नहीं, बल्कि 40वां सबसे असमानता वाला समाज है।’’

उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी राज में पिछले कुछ वर्षों में भारत में आमदनी की असमानता और बढ़कर बदतर हुई है।

 

रमेश ने दावा किया कि भारत में संपत्ति आधारित असमानता, आय आधारित असमानता से भी कहीं अधिक है- यह बीते 11 वर्षों में सत्ता और पूंजी के गठजोड़ से कुछ चुनिंदा अमीरों को हुए भारी लाभ को साफ तौर पर दिखाती है।

उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह का भ्रामक विश्लेषण, जिसे सरकार के पीआईबी के माध्यम से प्रचारित किया गया है, दो में से किसी एक गंभीर सच्चाई को उजागर करता है - या तो इस सरकार में प्रतिभा की खतरनाक कमी है, या फिर बौद्धिक ईमानदारी का पूरी तरह अभाव है।’’

उनका कहना है कि पीआईबी को तुरंत यह स्पष्ट करना चाहिए कि यह प्रेस विज्ञप्ति किसके निर्देश पर जारी की गई थी और इसे तुरंत वापस लेना चाहिए।

रमेश ने कहा, ‘‘मोदी सरकार के अधिकारियों की ओर से मनमाने और असंगत बयानों का सिलसिला एक खतरनाक प्रवृत्ति बन चुका है। मई 2025 में भी हमने देखा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार को लेकर नीति आयोग के अधिकारियों की ओर से एक के बाद एक विरोधाभासी और भ्रमित करने वाले बयान सामने आए थे।’’

उन्होंने दावा किया कि सरकार के राजनीतिक नेतृत्व का जो झुकाव तोड़-मरोड़ और दुष्प्रचार की ओर है, अब यही प्रवृति अधिकारियों तक भी पहुंच चुकी है।

कांग्रेस नेता ने इस बात पर जोर दिया, ‘‘सिर्फ आंकड़ों की बाजीगरी करके मोदी सरकार उस कड़वी हकीकत को नजरअंदाज नहीं कर सकती, जो हमारे सामने खड़ी है-तेजी से बढ़ती और गंभीर होती आर्थिक असमानता, जिसे खुद सरकार की सोच और नीतियों ने जन्म दिया है।’’

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TAGS: Government, misleading, Egalitarian society, Intellectual dishonesty, Congress
OUTLOOK 07 July, 2025
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