कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस के सियासी संकट के बीच बेंगलुरू पहुंचेंगे गुलाम नबी और वेणुगोपाल
कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस की साझा सरकार पर फिर से संकट की बात कही जा रही है। जहां भाजपा नेता बीएस येदुरप्पा ने दावा किया कि कांग्रेस-जेडीएस सरकार अल्पमत में है और राज्य में नए सिरे से चुनाव कराने की बात की हैं तो राज्य में कई विधायकों के भाजपा में संपर्क की खबरें हैं जिसके बाद कांग्रेस अपने विधायकों को बचाने में जुट गई है। गहराते संकट को संभालने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और महासचिव केसी वेणुगोपाल शाम को बेंगलूरू पहुंच रहे हैं। ये दोनों वरिष्ठ नेता राज्य सरकार के मंत्रियों, वरिष्ठ नेताओं और विधायकों से मुलाकात कर संकट को दूर करने का प्रयास करेंगे।
रविवार को कांग्रेस के दो विधायकों रमेश जरकिहोली और डॉक्टर सुधाकर ने भाजपा नेता एसएम कृष्णा से बेंगलुरु में उनके आवास पर जाकर मुलाकात की जिसके बाद कांग्रेस में असंतोष को बल मिला था। हालांकि, कांग्रेस विधायकों ने कहा कि यह कोई राजनीतिक मुलाकात नहीं थी, सिर्फ शिष्टाचार भेंट थी।
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और जेडीएस दोनों को एक-एक सीट मिली थी। इसके बाद राज्य कांग्रेस में विरोध की आवाजें मुखर होने लगी थीं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने दावा किया था कि प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण के बाद राज्य की कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार 10 जून के बाद गिर जाएगी।
भाजपा को मिलीं 25 सीटें
28 लोकसभा सीटों वाले कर्नाटक में भाजपा के खाते में 25 सीटें आई थीं जबकि एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी ने चुनाव जीता था। कांग्रेस और जेडीएस को एक-एक सीटें मिली थीं। लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद से भाजपा पूरे जोश में है। कर्नाटक से कांग्रेस के दिग्गज नेता मल्लिकार्जुन खड़गे भी चुनाव हार गए। पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा भी अपनी सीट बचाने में नाकामयाब रहे।
चलता रहा है सियासी ड्रामा
105 सदस्यों वाली भाजपा, 225 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी है। सत्तारूढ़ गठबंधन के 117 सदस्य हैं जिसमें कांग्रेस के 79, जेडीएस के 37 और बसपा का एक विधायक है। कर्नाटक में सरकार गठन के बाद से ही सियासी ड्रामा जारी है। इससे पहले भी भाजपा और कांग्रेस ने एक दूसरे पर पार्टी के विधायकों को हाई जैक करने और खरीद फरोख्त का आरोप लगाया था।