आरबीआई पर सरकार की चलेगी या स्वामी-गुरुमूर्ति की?
वैसे गुरुमूर्ति ने राजन की आलोचना करते हुए व्यक्तिगत आपेक्षों से परहेज ही रखा है। यही नहीं गुरुमूर्ति का यह भी कहना है कि राजन देश के बहुत सारे लिबरल लोगों से ज्यादा भारतीय हैं। स्वामी ने राजन पर एक आरोप यह भी लगाया था कि वे अमेरिका की नागरिकता रखते हैं और इसलिए भारतीय लोगों की तरह नहीं सोचते। गुरुमूर्ति का कहना है कि राजन से उनका विरोध सिर्फ उनकी नीतियों को लेकर है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि भारत के लिए नीतियां बनाने से पहले विदेश में बसे भारतीयों को यहां लंबा समय बिताना चाहिए जैसा कि महात्मा गांधी ने किया था।
गुरुमूर्ति ने सिर्फ रघुराम राजन की आलोचना ही नहीं की बल्कि केंद्र सरकार को रिजर्व बैंक के गवर्नर के पद के लिए एक नाम भी सुझा दिया। उनके अनुसार हमें गवर्नर के रूप में किसी ऐसे सेलेब्रिटी की जरूरत नहीं है जो अपना प्रोफाइल खराब होने के डर से जोखिम लेने से डरता हो। उन्होंने गवर्नर के पद पर डॉ. वाईवी रेड्डी जैसे किसी काबिल शख्स को लाने की वकालत की।
गौरतलब है कि सिर्फ गुरुमूर्ति ही नहीं हैं जो कि सरकार को आरबीआई के गवर्नर पद के लिए नाम सुझा रहे हैं। पिछले वर्ष अगस्त में जब सुब्रह्मण्यम स्वामी ने प्रधानमंत्री मोदी को रघुराम राजन को पद से हटाने की मांग करने वाला पत्र लिखा था तब इस बारे में टि्वटर पर उन्होंने लिखा था कि राजन को हटाकर इस पद पर आईआईएम बेंगलुरु के प्राध्यापक आर वैद्यनाथन को लाना चाहिए। यानी भाजपा और संघ के विचारकों के पास इस पद के लिए योग्य लोगों की कोई कमी नहीं है। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली इस सुझाव को कितना मानेंगे यह देखने वाली बात होगी।