हैकर खडसे के खिलाफ पहुंचा कोर्ट, कांग्रेस ने उन्हें बर्खास्त करने की मांग की
खडसे के लिए एक और मुश्किल खड़ी करते हुए पूर्व आप नेता अंजलि दमनिया ने संवाददाता सम्मेलन में उन पर 1990 के दशक में शिवसेना-भाजपा सरकार में मंत्री रहते हुए तापी सिंचाई विकास निगम की अवधारणा रखने और अपने रिश्तेदारों एवं समर्थकों को निविदा दिलाने का आरोप लगाया। दमनिया ने खडसे को मंत्रिमंडल से नहीं बर्खास्त करने और कार्रवाई नहीं करने पर बुधवार की शाम से मुख्यमंत्राी देवेंद्र फड़णवीस के निवास के बाहर भूखहड़ताल करने की धमकी दी।
इसी बीच प्रदेश भाजपा प्रवक्ता ने पुणे के समीप भोसारी में खडसे के परिवार द्वारा तीन एकड़ जमीन खरीदने के बारे में आरोप पर खडसे का बचाव किया और कहा कि यह जमीन महाराष्ट औद्योगिक विकास निगम :एमआईडीसी: की जमीन होने संबंधी उद्योग मंत्री एवं शिवसेना नेता सुभाष देसाई का बयान अधूरी सूचना पर आधारित है और इसे अधिग्रहीत नहीं किया गया था। वड़ोदरा के हैकर मनीष भांगले की याचिका बंबई उच्च न्यायालय के सामने आयी। भांगले के वकील ने यह कहते हुए त्वरित सुनवाई की मांग की कि उनके मुवक्किल को मौत की धमकी मिल रही है। भांगले ने खडसे के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की। उच्च न्यायालय ने ग्रीष्मावकाश के बाद सुनवाई करने की हामी भरी। भांगले ने ही दाउद के घर का काॅल रिकार्ड हैक किया था जिसके आधार पर आप ने दो हफ्ते पहले खडसे के खिलाफ आरोप लगाया था।
भांगले की याचिका पर मुम्बई पुलिस पर खडसे को क्लीनचिट देने में हड़बड़ी का आरोप लगाया गया है और कहा गया है कि दाउद इब्राहिम के टेलीफोन बिल से मेरे द्वारा जुटाये गए नंबरों में फिल्मों से लेकर क्रिक्रेट सट्टेबाजी तक उनके वित्तीय साम्राज्य को बेनकाब करने की क्षमता है। इसी बीच पुणे में एक स्थानीय बिल्डर हेमंत गवांडे मंत्री के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए पुलिस के पास पहुंचे। उन्होंने ही एमआईडीसी की जमीन के सिलसिले में पहले खडसे के खिलाफ आरोप लगाए थे। उन्होंने आरोप लगाया है कि खडसे की पत्नी और दामाद ने भोसारी एमआईडीसी में तीन एकड़ जमीन उसके मूल मालिक से महज पौने चार करोड़ रूपए में खरीदी जबकि उसका बाजार मूल्य 40 करोड़ रूपए है।
खडसे ने गवांडे के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि इस व्यक्ति की विश्वसनीयता की जांच की जानी चाहिए। कृषि काॅलेज की जमीन हड़पनेे के लिए दस्तावेजों मेंं फर्जीवाड़ा रोकने को लेकर पुणे में उसके खिलाफ मामला दर्ज है और इस मामले में पुलिस जांच अंतिम चरण में है। वह पहले ही पहले दावा कर चुके हैं कि यह जमीन एमआईडीसी ने उसके मूल मालिक से कभी खरीदी ही नहीं।