उत्तराखंड में हरीश रावत ने मारी बाजी, भाजपा हुई निराश
शक्ति परीक्षण में भी भाजपा के एक और कांग्रेस के एक विधायक ने अपनी-अपनी अपनी पार्टियों के व्हिप का उल्लंघन किया। कांग्रेसी की विधायक रेखा आर्य ने भाजपा को वोट दिया जबकि भाजपा के भीमलाल ने कांग्रेस को वोट दिया। शक्ति परीक्षण का परिणाम सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौपा जाएगा। बुधवार को यह सर्वोच्च न्यायालय में सार्वजनिक किया जाएगा। विश्वास मत के बाद सदन से बाहर निकलते हुए हरीश रावत के चेहरे पर प्रसन्नता झ्ालक रही थी। उन्होंने कहा कि मैं न्यायपालिका का सम्मान करता हूं। बुधवार को उत्तराखंड की राजनीति से अनिश्चितता के बादल छंट जाएंगे। वहीं मसूरी से भाजपा विधायक गणेश जोशी ने कहा कि भाजपा सैद़धांतिक रुप से जीत गई है। हालांकि हम आंकड़ों के खेल में पीछे रहे। कांग्रेस ने धन और बल का उपयोग किया है।
2 घंटे के लिए राष्ट्रपति शासन हटाने के उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक निर्णय के बीच हुए शक्ति परिक्षण के नतीजे भले ही 11 मई को उच्चतम न्यायालय घोषित करेगा लेकिन सदन से विश्वास मत में भाग लेकर बाहर आये दोनों पक्षों के विधायकों ने स्वीकार किया है कि हरीश रावत सदन का विश्वास मत हासिल करने में विधायकों की कुल संख्या के अंकगणित में सफल रहे हैं। उत्तराखंड की 70 की विधानसभा से 18 मार्च को कांग्रेस के विरोध में जाने के कारण 9 विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया था। उच्चतम न्यायालय ने भी कांग्रेस के इन 9 बागी विधायकों को विश्वास मत में भाग लेने की अनुमति नहीं दी थी। बाकी बचेे हुए 61 और 1 नामित विधायक वाली विधानसभा में कांग्रेस के 27, भाजपा के 28, पीडीएफ के 4, बसपा के दो विधायक थे।
विधायकों के अनुसार मतदान में कांग्रेस की सोमेश्वर से विधायिका रेखा आर्य ने विश्वास मत के विरोध में और भाजपा के विधायक भीमलाल आर्य ने विश्वास मत के समर्थन में मत दिया। इस तरह विश्वास मत के विरोध में भाजपा के कुल विधायकों की संख्या 28 रही। विश्वास मत के पक्ष में कांग्रेस के 26 विधायकों, पीडीएफ के 4 , बसपा के 2, नामित विधायक का एक मत और भाजपा के भीमलाल आर्य का एक मत पड़ा। याने कांग्रेस को समर्थन देने वाले दल परीक्षा की इस घड़ी में उनके साथ अडिग रहे। इस तरह विश्वास मत के सर्मथन में 34 मत पड़े।
कांग्रेस के विधायकों के बागी होने के बाद राज्यपाल ने भी हरीश रावत सरकार को फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया था लेकिन केन्द्र सरकार ने उससे एक दिन पहले उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगा दिया। उच्च-न्यायालय की दो जजों की पीठ ने राष्ट्रपति शासन को हटा कर फ्लोर टेस्ट का निर्णय दिया था। लेकिन उस निर्णय पर उच्चतम न्यायाल ने रोक लगा दी थी। अन्त में उच्चतम न्यायालय ने भी फ्लोर टेस्ट का निर्णय दिया। 18 मार्च से कांग्रेस के 9 विधायकों के बागी होने के बाद से राज्य में राजनीतिक अस्थिरता थी। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दल एक दूसरे पर उनके विधायकों की खरीद- फरोख्त के गंभीर आरोप लगा रहे थे।