हिजाब विवाद: हाई कोर्ट के फैसले पर महबूबा और उमर अब्दुल्ला ने जताई नाराजगी, कहा- महिलाओं के अधिकारों का उड़ाया मजाक
शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने को लेकर जारी विवाद के बीच आज कर्नाटक हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा कि हिजाब इस्लाम धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है और स्कूल छात्रा यूनिफॉर्म पहनने से इनकार नहीं कर सकते। इसके साथ ही हाइकोर्ट ने मुस्लिम छात्राओं की ओर से कॉलेजों में हिजाब पहनने को लेकर इजाजत मांगने वाली याचिका को भी खारिज कर दिया।
हाई कोर्ट के इस फैसले पर अब पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) चीफ और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला ने नाराजगी जाहिर की है।
महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया, ''हिजाब प्रतिबंध को बरकरार रखने का कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसला बेहद निराशाजनक है। एक तरफ हम महिलाओं के सशक्तिकरण की बात करते हैं और दूसरी ओर हम उन्हें एक साधारण विकल्प के अधिकार से वंचित कर रहे हैं। यह सिर्फ धर्म के बारे में नहीं, बल्कि चुनने की स्वतंत्रता के बारे में है।''
न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक, पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि सड़कों पर किस तरह से मवाली उनके पीछे पड़ जाते हैं और वहां की सरकारें तमाशबीन बन जाती हैं। मैं समझती हूं कि ये बहुत गलत है हर इंसान, औरत और बच्ची को हक होना चाहिए कि वो क्या कपड़े पहने और क्या नहीं। इसका फैसला अदालतों के पास नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मैं समझती हूं कि एक तरफ तो हम बहुत बड़े दावे करते हैं औरतों के अधिकारों की कि उनको सशक्त बनाना है और दूसरी तरफ हम उनको ये भी हक नहीं देते हैं कि वो क्या पहने और क्या नहीं और अगर वो अपनी मर्जी के मुताबिक कपड़े पहनती हैं तो उन्हें परेशान किया जाता है।
मुफ्ती ने कहा कि हिजाब पर जो फैसला कोर्ट ने कायम रखा है वो बहुत ही निराश करने वाला फैसला है। एक लड़की और एक महिला को ये भी अधिकार नहीं है कि वो क्या पहने और क्या नहीं पहने।
वहीं, उमर अब्दुल्ला ने लिखा, ''कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले से बेहद निराश हूं। आप हिजाब के बारे में क्या सोच सकते हैं, यह सिर्फ कपड़ों के बारे में नहीं है। यह एक महिला के अधिकार के बारे में है कि वह कैसे कपड़े पहनना चाहती है। अदालत ने इस मूल अधिकार को बरकरार नहीं रखा, यह एक मजाक है।''
तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि स्कूल की वर्दी का नियम एक उचित पाबंदी है और संवैधानिक रूप से स्वीकृत है, जिस पर छात्राएं आपत्ति नहीं उठा सकती हैं। मुख्य न्यायाधीश ऋतु राज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित और न्यायमूर्ति जे एम खाजी की पीठ ने आदेश का एक अंश पढ़ते हुए कहा, ‘‘हमारी राय है कि मुस्लिम महिलाओं का हिजाब पहनना इस्लाम धर्म में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है।’’
पीठ ने यह भी कहा कि सरकार के पास पांच फरवरी 2022 के सरकारी आदेश को जारी करने का अधिकार है और इसे अवैध ठहराने का कोई मामला नहीं बनता है।