क्या मोदी का यह राजस्थान दौरा राज्य में व्यवस्था विरोधी रुझान को खत्म कर देगा?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राजस्थान दौरे को लेकर सियासी चर्चा गरम है। प्रधान मंत्री मोदी शुक्रवार को जयपुर में सरकारी योजनाओं के ढाई लाख लाभान्वितों से रूबरू होंगे। लेकिन इस कार्यक्रम में भागीदार लाभार्थियों का चुनाव बहुत सचेत होकर किया जा रहा है। बीजेपी सरकार यह पुख्ता करना चाहती है कि इन भागीदारों में कोई ऐसा न हो जो विरोध के स्वर मुखरित कर दे।
भागीदारों के चुनाव में उन इलाको में खास सावधानी बरती गई है जहां खेती किसानी और रोजगार को लेकर लोग परेशान रहे हैं। सत्तारूढ़ बीजेपी को लगता है मोदी का यह दौरा राज्य में फिजा बदल देगा। पर विपक्ष में बैठी कांग्रेस कहती है, 'सरकारी धन का ऐसा बेजा इस्तेमाल नहीं देखा गया। इससे बीजेपी को कोई लाभ नहीं होगा।’ प्रेक्षक इसे राजस्थान में चुनाव अभियान की शुरुआत के रूप में देख रहे है।
इस कार्यक्रम की कामयाबी के लिए केंद्र और राज्य सरकार दोनों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। हालांकि यह सरकारी आयोजन है। पर राजनैतिक विश्लेषक कहते है कि कुछ इस तरह काम किया जा रहा है कि बीजेपी सगठन और सरकार में कोई भेद नहीं रह गया है। बीजेपी में आम कार्यकर्ता को लगता है मोदी का यह दौरा राज्य में व्यवस्था विरोधी रुझान को खत्म कर देगा।
राज्य के गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया कहते है, 'देश में इस वक्त मोदी सबसे लोकप्रिय और प्रभावी नेता है। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है, “अब कोई लाभ नहीं होगा। लोग केंद्र और राज्य सरकार दोनों को चुनाव में सबक सिखाने को तैयार बैठे है।” वरिष्ठ पत्रकार और विश्लेषक देवेंद्र भारद्वाज ने कहा कि इस आयोजन के जरिये मोदी को ऐसे विराट व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास है जिनके समक्ष बाकि सब गौण हो जाते है। वे कहते है सरकार की ओर से यह कोशिश की जा रही है कि वही लोग लाभान्वितों में शामिल होकर जयपुर पहुंचे जो बीजेपी के प्रति आस्थावान हो।
'कार्यक्रम में कोई ऐसा व्यक्ति न आ जाए जो मोदी के सामने विरोध कर दे'
बीजेपी का एक वर्ग इस कार्यक्रम को लेकर खासा उत्साहित है। मगर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और उनके सहयोगी पार्टी नेता बहुत यत्नपूर्वक यह प्रयास कर रहे है कि सरकारी योजना के लाभान्वितों में कोई ऐसा व्यक्ति न शामिल हो जाए तो मोदी के सामने विरोध कर बैठे। क्योंकि चार माह पहले जब मोदी झुंझुनू में एक सरकारी कार्यक्रम में जलसा आम से मुखातिब थे, युवको का एक समूह काले झंडे लहराने लगा। हालांकि मीडिया ने इस खबर को अनदेखा किया। मगर इससे सरकार को बड़ी अप्रिय स्थिति का सामना करना पड़ा। लिहाजा कोटा जैसे क्षेत्रो में जहां लहसुन की बेकद्री से परेशान कुछ किसानो ने खुदकशी की है, लाभार्थी चयन में बहुत सावचेती बरती जा रही है।
गृह मंत्री कटारिया ने मीडिया से कहा कि हर विधान सभा क्षेत्र में बीस से तीस हजार लाभार्थी है। उनमे से हर क्षेत्र से एक हजार से लेकर 1200 तक लाभार्थियों को लाया जा रहा है। सरकारी सूत्रों के अनुसार ,इनमे हर समूह के साथ एक सरकारी कर्मचारी रहेगा और बीजेपी कार्यकर्त्ता भी साथ रहेंगे। सुत्रो के अनुसार ,लाभार्थियों को सिखाया पढ़ाया गया है कि उन्हें कैसे जवाब देना है।
इस तरह हो रहा इंतेजाम
सरकार ने आयोजन के लिए खजाने के पट खो गए है। एक सरकारी आदेश के अनुसार ' 2 लाख 38 हजार लाभार्थियों की सवारी और परिवहन के लिए सात करोड़ रूपये मंजूर किये गए है। वो बसें राजमार्गो पर टोल फ्री होगी और कहीं कोई परमिट की दिक्क्त नहीं होगी। सरकार ने 5700 कर्मचारियों को इस कार्यक्रम के लिए समन्वयक बनाया है। ग्रामीण राजस्थान में सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता मुकेश निर्वासित कहते है कि पिछले कुछ दिन से राजकाज ठप्प है। दस हजार ग्राम सेवको को इसी कार्यक्रम के प्रति समर्पित रखा जा रहा है। बीजेपी पार्टी और सरकार दोनों में कोई अंतर् नहीं रह गया है।
लेकिन धौलपुर में डोमाइ गांव के सरपंच रामनिवास ने आउटलुक से कहा कि लोगो में उत्साह है। मोदी सरकार ने अच्छा काम किया है। माहौल ठीक है। क्या कोई विरोध में भी है? के जवाब में रामनिवास कहते है, “इस कार्यक्रम में उन्हें ही शामिल किया जायेगा जो बीजेपी से सहमत है। वे खुद भी बीजेपी के सदस्य है।” इसके उलट अलवर में तुलेट के सरपंच जमशेद कहते है कि सरकार का दबाव तो बहुत है मगर कौन जयपुर जाये और क्यों जाये? किसान की कमर टूटी पड़ी है और नौजवान बेरोजगार घूम रहे है। बहुत उदासी का माहौल है। कलक्टर से लेकर छोटे अधिकारी तक सब इसी आयोजन में लगे हुए है और लोगो को समझा रहे है कि क्या बोलना है।
यह कार्यक्रम जयपुर शहर के बीचो बीच अमरूदों के बाग में आयोजित किया जा रहा है। हालांकि कार्यक्रम सरकारी है। मगर बीजेपी संगठन ने स्थल पर भूमि पूजन किया है। बीजेपी के नयनियुक्त अध्यक्ष मदन लाल सैनी कहते है ' कार्यक्रम सरकारी है और सरकार ही व्यवस्था कर रही है। चूंकि बीजेपी सरकार में है। लिहाजा पार्टी भी अपने स्तर पर प्रयास कर रही है।
'यह आयोजन एक बड़ा घोटाला है’
बीजेपी से अलग होकर लड़ाई लड़ रहे पूर्व मंत्री घनश्याम तिवारी ने लोगों से इस आयोजन का बहिष्कार करने की अपील की है। वे कहते हैं कि यह आयोजन एक बड़ा घोटाला है। प्रतक्ष्य रूप में पचास करोड़ और वैसे एक हजार करोड़ रूपये खर्च किये जा रहे है। सत्ता का ऐसा दुरूपयोग पहले कभी नहीं देखा। राजपूत संगठनों ने अपने सदस्यों से इस कार्यक्रम से दूर रहने की अपील की है।
राजस्थान में प्रधानमंत्री का ज्यादा ध्यान
प्रधान मंत्री पिछले कुछ माह से राजस्थान पर खास ध्यान दे रहे है। इससे पहले वे अलवर में सरकारी स्किम के लाभार्थियों से बात कर चुके है। विश्लेषक कहते है आने वाले दिनों में प्रधानमंत्री राजस्थान पर और भी ज्यादा तवज्जो देते दिखाई देंगे। क्योंकि राज्य में पहले विधान सभा चुनाव है और फिर 25 लोक सभा सीटों के लिए भी वोट डाले जायेंगे।