पीएम मोदी के वो बयान, जिनमें आए ट्विस्ट से फैली गलतफहमी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कुशल वक्ता माना जाता है। चुनाव के दौरान वह अपनी रैलियों में विपक्षियों की हर बात को दूसरी दिशा में मोड़ना जानते हैं। इसी क्रम में कई बार वह ऐसे बयान देते हैं या जिन्हें वह हल्का सा ट्विस्ट कर देते हैं और बात दूसरी तरफ मुड़ जाती है, जिससे कई बार गलतफहमी भी फैल जाती है। विपक्षियों को काउंटर करने की यह उनकी पुरानी रणनीति रही है।
हाल ही में बंगाल की एक रैली में ममता बनर्जी ने कहा कि प्रधानमंत्री हमारे बारे में जिस तरह की बातें करते हैं कि मैं उनको ‘लोकतंत्र का थप्पड़’ मारना चाहती हूं। लेकिन मोदी ने ममता के 'लोकतंत्र के थप्पड़' को 'दीदी का थप्पड़' बना दिया और कह दिया कि दीदी का थप्पड़ उनके लिए आशीर्वाद की तरह होगा। बाद में ममता को बाद में स्पष्टीकरण देना पड़ा कि उन्होंने मोदी को थप्पड़ मारने की बात नहीं कही थी। पुरुलिया जिले के सिमुलिया में एक रैली को संबोधित करते हुए ममता ने स्पष्ट किया कि ‘लोकतंत्र के थप्पड़’ से उनका मतलब लोगों के जनादेश से था। ममता ने कहा, ‘मोदी कहते हैं कि मैने कहा था कि मैं उन्हें थप्पड़ मारूंगी, यह लोकतंत्र का थप्पड़ था। भाषा को समझने का प्रयास कीजिए। मैं भला आपको क्यों थप्पड़ मारूंगी, मैं उस तरह की महिला नहीं हूं। मेरा मतलब लोकतंत्र से था, लोकतंत्र के थप्पड़ का मतलब लोगों के वोट से दिए जाने वाले जनादेश से था।’
‘नीच राजनीति’ बनाम ‘नीची जाति’
इससे पहले भी प्रधानमंत्री मोदी दूसरों के बयानों को तोड़-मरोड़कर पेश कर चुके हैं। 2014 के लोकसभा चुनावों में प्रियंका गांधी ने कहा था कि अमेठी का एक-एक बूथ मोदी की 'नीच राजनीति' का बदला लेगा। इस पर मोदी ने कहा कि कांग्रेस उनको नीच कहती है क्योंकि वे नीची जाति के हैं। मोदी तब लगातार अपनी रैलियों में पूछते थे, 'क्या नीची जाति का होना कोई अपराध है?'
ऐसे ही हाल ही में प्रियंका गांधी ने पीएम मोदी का नाम लिए बगैर कहा कि दुर्योधन को भी अहंकार था। इसे प्रधानमंत्री ने गालियों से जोड़ दिया और एक जनसभा में खुद को दी गई गालियों की पूरी लिस्ट सुना दी।
लालू का 'शैतान' वाला बयान
इसी तरह बिहार के पिछले विधानसभा चुनाव में लालू ने बीफ़ के बारे में किसी पत्रकार के सवाल पर एक विवादास्पद बयान दे दिया था। अखलाक हत्या का मामला तब ताजा था। लालू के इस जवाब को मोदी और भाजपा ने खूब उछाला कि गौवंश के रखवालों का प्रतिनिधि ऐसी बात बोल रहा है। बाद में लालू ने इस बयान का खंडन करते हुए कहा कि 'यह कोई शैतान आदमी ही है जो यह बात मेरे मुंह में डालकर चला रहा है।' लालू मीडिया या पत्रकार को शैतान बता रहे थे। अब पीएम मोदी ने इस बात को घुमा दिया। लालू ने पत्रकार को शैतान कहा था और मोदी ने इसको इस तरह पेश किया मानो लालू कह रहे हो कि उनके अंदर घुसे शैतान ने उनसे ऐसा बुलवाया है। उन्होंने पूछा, 'यह शैतान आपके ही अंदर क्यों घुसा? किसी और के अंदर क्यों नहीं घुसा?'
पीएम मोदी की क्या है रणनीति?
आजकल फेक न्यूज के जमाने में पड़ताल की पूरी विधा सक्रिय है और इसके लिए कई वेबसाइट्स हैं। लेकिन जब तक उनकी पड़ताल की जाती है, वे खबरें अपना असर छोड़ चुकी होती हैं। लोग चीजों को कम ही क्रॉस चेक करते हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी किसी बयान के फर्स्ट इंप्रेशन को भुनाते हैं। आम जनता यह चेक करने नहीं जाती कि ममता बनर्जी, प्रियंका गांधी या लालू ने ऐसा ही बोला है। कहा जा सकता है कि पीएम मोदी इन बयानों को भावुकता से लेकर तमाम तरह के एंगल दे देते हैं, जिससे गलतफहमी पैदा होती है। प्रधानमंत्री पर ऐसे आरोप भी लगते रहे हैं कि वह ऐतिहासिक तथ्यों और आंकड़ों को लेकर भी अपने भाषणों में कई गलतियां कर चुके हैं लेकिन बयानों को ट्विस्ट करने के पीछे उनकी एक सोची-समझी रणनीति हो सकती है।