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19 January 2020

असम के वित्त मंत्री सरमा बोले- नागरिकता के लिए धार्मिक उत्पीड़न साबित करना असंभव

असम के वित्त मंत्री और भाजपा नेता हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करने वालों के लिए यह साबित करना संभव नहीं है कि वे धार्मिक उत्पीड़न के शिकार हुए। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार उनके दावों को सत्यापित करने के लिए कुछ इन-हाउस प्रक्रियाओं का विकास करेगी।

सरमा ने कहा, "कोई धार्मिक उत्पीड़न साबित नहीं कर सकता है। धार्मिक उत्पीड़न का प्रमाण कैसे हो सकता है? क्या वे बांग्लादेश के किसी पुलिस स्टेशन से कोई दस्तावेज नहीं लेंगे जो कहता है कि उन्होंने धार्मिक उत्पीड़न का सामना किया है?"

सरमा ने आगे कहा, "अगर किसी व्यक्ति को यह साबित करना है तो उसे बांग्लादेश जाना होगा और पुलिस रिपोर्ट की एक प्रति एकत्र करनी होगी। बांग्लादेश में पुलिस स्टेशन को वह सबूत क्यों देना होगा? इसलिए, कहा कि धार्मिक उत्पीड़न की अवधारणा को साबित करना संभव नहीं है।"

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भारत सरकार करेगी दावों की जांच

मंत्री ने कहा, "लेकिन भारत सरकार कुछ इन-हाउस प्रक्रियाओं को यह जांचने के लिए तैयार करेगी कि जिस जगह से वे आ रहे हैं, उस अवधि के दौरान अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की कोई घटना हुई है या नहीं"।

क्या है नागरिकता संशोधन कानून

नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आए हिंदुओं, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्धों को भारतीय राष्ट्रीयता प्रदान करता है। अधिनियम के अनुसार, ऐसे समुदायों को अब अवैध आप्रवासियों के रूप में नहीं माना जाएगा और उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी।

देश में कानून का विरोध

पिछले हफ्ते लागू हुए इस कानून को लेकर लोगों ने देश भर में तीव्र विरोध प्रदर्शन किया है। लगभग सभी राज्यों में हजारों की तादाद में छात्र सड़कों पर उतर आए हैं। नागरिक समाज के सदस्य, भाजपा विरोधी राजनीतिक दल और आमजन भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गए हैं। वहीं असम सहित उत्तर-पूर्वी राज्यों के स्वदेशी समुदायों के बीच भी भारी विरोध देखा गया है।

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TAGS: Impossible, proof, religious persecution, under CAA, Assam Min Himanta Biswa
OUTLOOK 19 January, 2020
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