'मेरी राय में RSS पर बैन लगना चाहिए', खड़गे ने पटेल की चिट्ठी का जिक्र कर संघ पर बोला हमला
कर्नाटक में आरएसएस के खिलाफ कांग्रेस की बयानबाजी से पहले ही सियासी पारा चढ़ा हुआ है। अब इस बीच, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी शुक्रवार को एक बड़ा बयान दे दिया। खड़गे ने कहा कि उनकी निजी राय में आरएसएस पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।
दरअसल, खड़गे ने सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर पार्टी पर हमला करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी पलटवार किया। साथ ही, उन्होंने 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद आरएसएस की आलोचना करने वाली पटेल की टिप्पणी का हवाला दिया।
आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में खड़गे ने कहा, "यह मेरी निजी राय है, ऐसा किया जाना चाहिए" क्योंकि अधिकांश मुद्दे और कानून-व्यवस्था की समस्याएं भाजपा-आरएसएस के कारण उत्पन्न हो रही हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि आज पटेल की जयंती और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि है। उन्होंने कहा कि इन दो महान नेताओं - 'लौह पुरुष' और 'लौह महिला' - ने देश के लिए बड़ा योगदान दिया और एकता बनाए रखने के लिए प्रयास किया
खड़गे ने नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "यह कांग्रेस का इतिहास और उसका योगदान है।"
खड़गे ने पटेल द्वारा श्यामा प्रसाद मुखर्जी को लिखे गए पत्र का हवाला दिया जिसमें तत्कालीन गृह मंत्री ने कहा था कि आरएसएस ने ऐसा माहौल बनाया जिसके कारण महात्मा गांधी की हत्या जैसी त्रासदी हुई।
खड़गे ने कहा कि उन्होंने हमेशा भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पटेल के बीच दरार पैदा करने की कोशिश की, जबकि उनके बीच अच्छे संबंध थे और दोनों ने एक-दूसरे की प्रशंसा की थी।
नेहरू ने भारत की एकता को आकार देने के लिए पटेल की सराहना की और पटेल ने नेहरू को देश के लिए आदर्श बताया।
खड़गे की यह टिप्पणी प्रधानमंत्री मोदी के उस बयान के बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि सरदार पटेल पूरे कश्मीर को भारत में मिलाना चाहते थे, जैसा कि उन्होंने अन्य रियासतों के साथ किया था, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने ऐसा नहीं होने दिया।
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए मोदी ने कहा कि इस पार्टी को गुलामी की मानसिकता अंग्रेजों से विरासत में मिली है, जिन्होंने भारत पर राज किया था। उन्होंने कहा कि देश औपनिवेशिक मानसिकता के हर निशान को मिटा रहा है।
गौरतलब है कि 1875 में गुजरात के नाडियाड में जन्मे पटेल भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति थे। अपने असाधारण नेतृत्व और राष्ट्रीय एकीकरण के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के लिए प्रसिद्ध, उन्हें "भारत के लौह पुरुष" के रूप में याद किया जाता है। 1950 में उनका निधन हो गया।