पंजाब में अकाली दल का घोषणा पत्र जारी न होने से पसोपेश में जनता
चुनाव के दौरान मतदाताओं की पैनी नजर नेताओं के वादों पर रहती है। कांग्रेस का घोषणा पत्र जारी होने के बाद पंजाब के सियासी मंचों से इन दिनों कांग्रेसी उम्मीदवार लोक-लुभावन वायदे परोस रहे हैं लेकिन प्रदेश में शिरोमणि अकाली दल (शिअद) का घोषणा पत्र जारी न होने से जनता अभी भी पशोपेश में है।
शिअद की सहयोगी भाजपा ने अपना संकल्प पत्र जारी कर दिया है, लेकिन 2014 की तरह मतदाता बेसब्री से शिअद के घोषणा पत्र का इंतजार कर रहे हैं। 2014 में शिअद ने करीब 25 पन्नों का चुनावी घोषणा पत्र जारी किया था, जिसमें राज्य पर केंद्रित कई अहम घोषणाएं की गई थीं। हालांकि इस बार भी शिरोमणि अकाली दल ने जनवरी, 2019 में 17 सदस्यीय मैनीफैस्टो कमेटी का गठन किया था, लेकिन अभी तक यह कमेटी मैनीफैस्टो जारी नहीं कर पाई है। यही वजह है कि चुनावी दंगल में किस्मत आजमा रहे ज्यादातर शिअद प्रत्याशी ‘मोदी लहर’ पर सवार होकर चुनावी नैया पार लगाने की नव लगाने की जुगत में हैं। खुद शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल भी सियासी सभाओं में भारतीय जनता पार्टी के चुनावी वायदों को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं।
विजन डाक्युमेंट होगा पेश
पिछले दिनों जब एक चुनावी सभा में सुखबीर बादल से शिअद के घोषणा पत्र पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि शिरोमणि अकाली दल का पूरा ध्यान केंद्र में भाजपा पंजाब की जनता के सभी मसलों को सुलझाने के प्रति प्रतिबद्ध है। जहां तक बात चुनावी घोषणा पत्र की है तो शिअद के स्तर पर इसे विजन डॉक्यूमैंट की तरह पेश किया जाएगा। इस पर काम चल रहा है, जल्द ही इसे रिलीज भी कर दिया जाएगा।
जेडी (यू) भी बिना घोषणा पत्र के मैदान में
बिहार में भाजपा की सहयोगी जेडी (यू) ने भी इस बार अभी तक घोषणा पत्र जारी नहीं किया है। देशभर में आधी से ज्यादा चुनावी प्रक्रिया मुकम्मल होने के बाद भी अभी तक जेडी (यू) के घोषणा पत्र को लेकर पशोपेश की स्थिति है। हालांकि जेडी (यू) के कुछ वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि इस बार पार्टी बिना घोषणा पत्र के ही मैदान में किस्मत आजमाएगी। हालांकि जब भारतीय जनता पार्टी ने अपना घोषणा पत्र जारी किया था तो जेडी (यू) के नेताओं का कहना था कि वह भाजपा के कई मुद्दों पर सहमत नहीं हैं, इसलिए वह अलग से संकल्प पत्र जारी करेंगे।
राज्य स्तरीय मुद्दों को दी थी तवज्जो
2014 लोकसभा चुनाव दौरान शिअद ने अपने घोषणा पत्र में कई राज्य स्तरीय मुद्दों को तवज्जो दी थी। भले ही चंडीगढ़ को पंजाब की राजधानी घोषित करने का मामला हो या नहरी पानी पर पंजाब के अधिकार की बात हो, शिअद ने कई संवेदनशील मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया था। 1984 के सिख विरोधी दंगों के आरोपियों को सजा दिलवाने की बात भी जोर-शोर से उठाई गई थी। इसी कड़ी में किसान हितैषी घोषणाओं में फसल की वाजिब कीमत, न्यूनतम समर्थन मूल्य जैसे वायदे परोसे गए थे। वहीं, राज्य स्तर पर केंद्रित इंडस्ट्री, अर्बन एंड रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर, हाऊसिंग, एविएशन, युवाओं को रोजगार, पर्यटन को भी घोषणा पत्र में जगह दी गई थी।
भाजपा के दबाव की चर्चा
राजनीतिक विशेषज्ञों में चर्चा है कि इस बार भाजपा ने सहयोगी दलों को अलग घोषणा पत्र के बिना ही मैदान में उतरने की बात कही है। ऐसा इसलिए कहा गया है ताकि भाजपा के घोषणा पत्र को सबकी सांझा राय और एकमत वाले घोषणा पत्र की तरह प्रचारित किया जा सके। हालांकि भाजपा सहयोगी दलों के नेता इस बात से इंकार करते हैं। पिछले दिनों जेडी (यू) प्रवक्ता ने इस पर स्थिति साफ करते हुए कहा था कि दबाव वाली कोई बात नहीं है। भाजपा के साथ सहयोगी दलों का बरसों पुराना नाता है, इसलिए लोकसभा चुनाव के स्तर पर सबकी एक राय ही है। यह कोई राज्य स्तरीय चुनाव नहीं है।