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17 April 2018

यशवंत सिन्हा ने भाजपा सांसदों से कहा, देशहित में 'बॉस' के खिलाफ उठाएं आवाज

File Photo

भाजपा के वरिष्ठ नेता और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय वित्त मंत्री रह चुके यशवंत सिन्हा मोदी सरकार की लगातार आलोचना कर रहे हैं। नोटबंदी से लेकर अर्थव्यवस्था तक के मुद्दे पर सरकार के खिलाफ मुखर यशवंत सिन्हा ने 'इंडियन एक्सप्रेस' में एक लेख लिखा है जिसमें उन्होंने भाजपा सांसदों से मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाने की अपील की है। इससे पहले भी यशवंत सिन्हा अपने लेख के माध्यम से मोदी सरकार को घेर चुके हैं।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने सांसदों से अपील की है कि राष्ट्र हित में आपको अपनी आवाज उठानी चाहिए। खुशी की बात है कि पांच दलित सांसदों ने आवाज उठाई है। अगर अब खामोश रहेंगे तो राष्ट्र की आने वाली पाढ़ियां आपको माफ नहीं करेंगी। उन्होंने पार्टी के मूल्यों को बचाने के लिए आडवाणी और जोशी से भी स्टैंड लेने की अपील की है। यशवंत सिन्‍हा ने अपने पत्र में कई मुद्दों को उठाते हुए मोदी सरकार पर निशाना साधा है।

यशवंत सिन्हा ने कहा है,पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र पूरी तरह से खत्‍म हो गया है। यहां तक कि पार्टी की संसदीय दल की बैठकों में भी उनको अपने विचार रखने का मौका नहीं मिलता। पार्टी की अन्‍य बैठकों में भी केवल एकतरफा संवाद होता है। वे बोलते हैं और आप सुनते हैं। प्रधानमंत्री के पास आपके लिए समय ही नहीं है। पार्टी हेडक्‍वार्टर कॉरपोरेट ऑफिस हो गया है और वहां पर सीईओ से मिलना नामुमकिन सा है। पिछले चार वर्षों में लोकतांत्रिक संस्‍थाओं का क्षरण हुआ है। संसद की कार्यवाही हास्‍यास्‍पद स्‍तर पर पहुंच गई है। संसद का बजट सत्र जब बाधित हो रहा था तो प्रधानमंत्री ने उस दौरान इसको सुचारू रूप से चलाने के लिए विपक्षी नेताओं के साथ एक भी बैठक नहीं की। उसके बाद दूसरों पर इसका ठीकरा फोड़ने के लिए उपवास पर बैठ गए। यदि इसकी तुलना अटल बिहारी वाजपेयी के दौर से की जाए तो उस दौरान हम लोगों को साफ निर्देश था कि विपक्ष के साथ सामंजस्‍य बनाकर सदन को सुचारू ढंग से चलाया जाना चाहिए।‘

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यशवंत सिन्हा ने कहा है, ‘भारत के दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ती अर्थव्‍यवस्‍था के सरकार के दावे के बावजूद आर्थिक हालात चिंताजनक हैं। ऐसी अर्थव्‍यवस्‍था में किसानों की हालत खराब नहीं होती है, युवक बेरोजगार नहीं होते, छोटे व्‍यापार का खात्‍मा नहीं होता और बचतों एवं निवेश में इस तरह गिरावट नहीं होती, जिस तरह पिछले चार सालों में देखने को मिली है। भ्रष्‍टाचार एक बार फिर से सिर उठाने लगा है। कई बैंक घोटाले सामने आए हैं और घोटाला करने वाले देश से बाहर भागने में कामयाब रहे हैं और सरकार लाचार हाथ मलते रह गई।‘

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा है, ‘महिलाएं आज जिस कदर असुरक्षित हैं, वैसा पहले कभी नहीं हुआ। बलात्‍कार के मामले बढ़े हैं और बलात्‍कारियों पर सख्‍त कार्रवाई करने के बजाय हम उनसे क्षमा मांगते हुए दिखते हैं। कई मामलों में हमारे अपने लोग इस घृणित कृत्‍य में शामिल हैं। अल्‍पसंख्‍यकों में अलगाववाद बढ़ा है। इससे भी बदतर यह है कि समाज के सबसे कमजोर एससी-एसटी तबके के खिलाफ अत्‍याचार और असमानता इस दौर में सबसे ज्‍यादा देखने को मिल रही है और इन लोगों को संविधान द्वारा प्रदत्‍त सुरक्षा और सुविधा की गारंटी खतरे में दिखाई देती है।‘

उन्होंने लिखा है, ‘सरकार की विदेश नीति पर यदि नजर डाली जाए तो प्रधानमंत्री के लगातार विदेशी दौरों और विदेशी राजनेताओं के साथ गले लगने की तस्‍वीरें ही दिखती हैं। बेशक वह इसे पसंद या नापसंद करते हों लेकिन असल में इससे कुछ हासिल होता नहीं दिखता। हमारे पड़ोसियों के साथ रिश्‍ते मधुर नहीं हैं। चीन क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाता जा रहा है और हमारे हित प्रभावित हो रहे हैं। पाकिस्‍तान में हमारे बहादुर जवानों ने शानदार तरीके से सर्जिकल स्‍ट्राइक किया लेकिन उसका कोई फायदा नहीं मिला। पाकिस्‍तान उसी तरह से आतंक फैला रहा है। जम्‍मू-कश्‍मीर सुलग रहा है। नक्‍सलवाद को अभी भी दबाया नहीं जा सका है।‘

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TAGS: yaswant sinha, BJP, lawmakers, speak up, boses
OUTLOOK 17 April, 2018
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