माकपा का आरोप, भारतीय रक्षा बल अमेरिकी निगरानी में आ जाएंगे
माकपा ने कहा कि राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण कानून (एनडीएए) 2017 के तहत अमेरिका ने प्रमुख रक्षा सहयोगी के दर्जे से संबंधित ब्यौरा सीनेट की अंतिम मंजूरी के लिए पेश किया है। इसके साथ ही पार्टी ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने ऐसे महत्वपूर्ण समझौते के बारे में संसद में कोई बयान तक नहीं दिया है। सीताराम येचुरी ने कहा कि देश 2017 के एनडीएए को पढ़कर करार के बारे में अमेरिकी पक्ष देख सकता है। लेकिन अमेरिका के प्रमुख रक्षा सहयोगी के रूप में भारत की प्रतिबद्धता का जिक्र नहीं है। प्रधानमंत्री को भेजे एक पत्र में येचुरी ने 2017 के एनडीएए के उपबंध 1292 के पैराग्राफ ‘ई’ का जिक्र किया है, जिसमें रक्षा सेवाओं और संबंधित प्रौद्योगिकी की बात की गई है। पत्र के अनुसार इसके बाद पैराग्राफ ‘एफ’ में कहा गया है कि भारत अपना निर्यात नियंत्रण और खरीद तंत्र अमेरिकी व्यवस्था के अनुरूप रखेगा। येचुरी ने आगे कहा कि 2017 के एनडीएए के उपबंध 1292 के पैराग्राफ ‘आई’ में तथ्यों को पूरी तरह से स्पष्ट किया गया है। इसमें भारत के साथ रक्षा और सुरक्षा वृहद सहयोग को भी रेखांकित किया गया है ताकि दक्षिण एशिया और वृहद भारत-एशिया-प्रशांत क्षेत्रों में अमेरिकी हितों को आगे बढ़ाया जा सके।
मोदी को लिखे अपने पत्र में येचुरी ने कहा कि अफसोस है कि यह अमेरिका का जूनियर सहयोगी बनने के लिए आपकी सरकार की एक प्रतिबद्धता है। यह भारत की स्वतंत्र विदेश नीति की ताबूत में आखिरी कील है। उन्होंने कहा कि आपकी सरकार ने कई अहम रियायतें दी हैं, जिससे भारतीय रक्षा बल अमेरिकी निगरानी के लिए सुलभ हो जाएंगे और भारतीय रक्षा उत्पादन अमेरिका के नियंत्रण में हो जाएगा। माकपा नेता ने कहा कि भारत की संप्रभुता और रणनीतिक स्वायत्तता के बारे में आपकी सरकार के समझौते को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा होती हैं। उन्होंने अमेरिकी बयान का भी हवाला दिया है जिसमें कहा गया है कि प्रमुख रक्षा सहयोगी का दर्जा भारत के लिए अनोखी स्थिति है और इससे भारत अमेरिका के करीबी मित्रों और सहयोगियों के बराबर स्तर पर होगा। उन्होंने कहा कि यह रक्षा संबंधों के बारे में भारत की दीर्घकालिक नीति से अलग हटना है और ऐसा संसद को भरोसे में लिए बिना किया गया है।