जम्मू-कश्मीर को जल्द पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करना जरूरी, अभी मुख्यमंत्री के पास कोई अधिकार नहीं: चिदंबरम
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा सुरक्षा समीक्षा बैठक आयोजित करने के एक दिन बाद, वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने गुरुवार को कहा कि लोगों ने उनकी सुरक्षा की देखभाल के लिए एक मुख्यमंत्री और सरकार को चुना है, लेकिन मुख्यमंत्री के पास कोई अधिकार नहीं है।
चिदंबरम ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा तत्काल बहाल करना जरूरी है।
एक्स पर एक पोस्ट में पूर्व गृह मंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल द्वारा जम्मू-कश्मीर में कानून-व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा के लिए आयोजित बैठक की अध्यक्षता करने की तस्वीर बहुत कुछ कह रही है।
चिदंबरम ने कहा, "निर्वाचित मुख्यमंत्री मौजूद नहीं हैं। उन्हें आमंत्रित किया गया था या नहीं, मुझे नहीं पता। जम्मू-कश्मीर में लागू कानून के तहत पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था उपराज्यपाल के लिए आरक्षित विषय हैं।"
उन्होंने कहा कि लोगों ने अन्य चीजों के अलावा अपनी सुरक्षा की देखभाल के लिए मुख्यमंत्री और सरकार को चुना है, लेकिन मुख्यमंत्री के पास कोई अधिकार नहीं है।
चिदंबरम ने कहा, "यही कारण है कि जम्मू-कश्मीर को आधा राज्य कहा जाता है। जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा तत्काल बहाल करना जरूरी है।"
सिन्हा ने बुधवार को घाटी में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की सुरक्षा ऑडिट, रणनीतिक बिंदुओं पर चौबीसों घंटे नाके लगाने, रात्रि गश्त और क्षेत्र पर नियंत्रण रखने के निर्देश दिए।
सिन्हा ने श्रीनगर स्थित राजभवन में कश्मीर संभाग की सुरक्षा समीक्षा बैठक के दौरान ये निर्देश दिए।
यह बैठक रविवार को गंदेरबल जिले के गगनगीर इलाके में एक सुरंग पर निर्माण श्रमिकों पर हुए घातक आतंकी हमले की पृष्ठभूमि में हुई। इस हमले में सात लोग मारे गए थे, जिनमें एक स्थानीय डॉक्टर और छह गैर-स्थानीय मजदूर शामिल थे। इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के छद्म संगठन टीआरएफ ने ली थी।
बैठक में पुलिस महानिदेशक नलिन प्रभात, गृह विभाग के प्रधान सचिव चंद्राकर भारती और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) विजय कुमार तथा जम्मू-कश्मीर पुलिस के अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
उपराज्यपाल ने जम्मू-कश्मीर पुलिस अधिकारियों से श्रमिकों की सुरक्षा के लिए प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और निर्माण शिविरों के आसपास सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करने के लिए कड़े कदम उठाने को कहा। उन्होंने परियोजना कार्यान्वयन एजेंसियों के साथ नियमित समन्वय बैठकों के लिए तंत्र स्थापित करने पर जोर दिया।