जयराम का दावा, राहुल गांधी इसी साल बनेंगे अध्यक्ष
रमेश ने पीटीआई-भाषा को दिये साक्षात्कार में कहा कि उन्हें उम्मीद है कि 2015 में यह हो जाएगा। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी राज्यों में नया नेतृत्व तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। रमेश ने कहा कि वह मानते हैं कि हमें राज्यस्तरीय नेतृत्व चाहिए। हमें वैसी कांग्रेस पार्टी की जरूरत है जो जवाहरलाल नेहरू के समय थी, जब हमारे पास कामराज, प्रताप सिंह कैरों, वाई बी चव्हाण, बी सी राॅय, जी बी पंत जैसे नेता थे। उन्होंने कहा, हमें क्षेत्रीय नेतृत्व की जरूरत है क्योंकि हम केवल राष्ट्रीय चुनाव नहीं लड़ रहे बल्कि राज्यों में भी चुनाव लड़ रहे हैं।
रमेश के मुताबिक राहुल गांधी लोगों को नामित करने की संस्कृति में विश्वास नहीं रखते। वह लोगों के नेताओं के तौर पर उभरने में विश्वास रखते हैं। वह ऊपर से लोगों को थोपने में भरोसा नहीं करते। रमेश ने इस तरह की खबरों को खारिज कर दिया कि कांग्रेस की कमान सोनिया गांधी के हाथों से राहुल के पास चले जाने की स्थिति में पार्टी के वरिष्ठ नेता असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने राहुल की नेतृत्व क्षमताओं को लेकर असहमति वाले बयानों को भी तवज्जो नहीं दी। उन्होंने जोर देकर कहा, हर 20-25 सालों में किसी भी संगठन को नवीकरण की प्रक्रिया से गुजरना जरूरी होता है और कांग्रेस को समाज के व्यापक दायरे से युवा चेहरों को आगे बढ़ाना चाहिए। उन्हें महत्वपूर्ण पद देना चाहिए, उन्हें अधिकार देना चाहिए। रमेश ने कहा कि संप्रग-एक और संप्रग-दो सरकार में अधिक युवा नेता होते तो अच्छा होता।
उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी में पुरानी पीढ़ी के नेताओं के पास अनुभव है, राजनीतिक ज्ञान है और युवाओं में जोश तथा ऊर्जा है। उन्होने कहा कि मेरा मानना है कि आपको दोनों की जरूरत है। राहुल गांधी इस साल खुद 45 साल के हो जाएंगे। इसलिए, वह एक आदर्श स्थिति में हैं। 45 की उम्र एक सैंडविच की तरह है जिसमें न तो आप युवा पीढ़ी के होते हैं और न ही पुरानी पीढ़ी के। इसलिए मुझे लगता है कि पुरानी पीढ़ी के नेताओं के अनुभव और युवा पीढ़ी के जोश को साथ में लाने के लिए गांधी पूर्णत: उपयुक्त हैं। राहुल की हालिया छुट्टी का हवाला देते हुए जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष अभी पूरी तरह बदल गए हैं। वह आक्रामक हैं, उन्होंने संसद में सक्रिय भूमिका निभाई है। किसानों के मुद्दे पर उन्होंने विभिन्न राज्यों में पदयात्राएं कीं। रमेश ने कहा कि हम एक नए राहुल गांधी को देख रहे हैं जो सक्रिय हैं अतिसक्रिय हैं।