कांग्रेस का आरोप, 'जन-धन योजना निकली जुमला, बड़े पैमाने पर की गई धोखाधड़ी'
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि जन-धन योजना भी एक जुमला है। कांग्रेस का कहना है कि यह पीएम मोदी द्वारा आत्ममुग्धता के लिए की गई बहुत बड़ी धोखाधड़ी है। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदम्बरम ने कहा कि बैंको को बताया गया था इस योजना के तहत बिना खर्च किये उनके पास बहुत बड़ी धनराशि आ जायेगी जबकि इन खातों को बनाये रखने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पी चिदम्बरम ने कहा, 'साल 2016 तक 24 फीसदी खाते जीरो बैलेंस वाले थे। सार्वजनिक पटल पर उसके बाद का कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा 15 से 20 फीसदी खातों में 'कुछ शेष' था क्योंकि बैंक अधिकारियों से कहा गया कि वे इन खातों में एक-एक रुपया जमा करें। वित्त मंत्रालय के मुताबिक, 6.1 करोड़ जन-धन खाते निष्क्रिय हैं। यानी पांच में से एक खाता 'निष्क्रिय' है। 33 फीसदी खाते उन लोगों ने खोले, जिनके पास पहले से ही खाता था।'
काला धन खपाने के लिए किया गया इस्तेमाल
उन्होंने आरोप लगाया, 'जन-धन खातों का इस्तेमाल नोटबन्दी के बाद काले धन के खपाने के लिए किया गया। 8 नवम्बर से 30 दिसम्बर 2016 के बीच इन खातों में 42187 करोड़ रुपये जमा हुए हैं। वित्त मंत्री ने कहा था कि कार्रवाई करेंगे फिर बाद मे मुकर गए। सिर्फ यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) में ही 11,80,000 जन-धन खाते हैं। जिसमें एक लाख से अधिक तथाकथित 'वचत राशि' जमा की गयी है।'
पांच बार निकासी पर वसूला जाता है शुल्क
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, 'जन-धन खातों में एक महीने में सिर्फ चार बार धन की निकासी की इजाजत दी गई है और यदि कोई खाताधारक पांचवीं बार पैसे निकालता है तो दंड स्वरुप अतिरिक्त फीस चुकानी होती है। खाताधारकों के साथ धोखाधड़ी करते हुए बिना उनकी इजाजत के जनधन खातों को सामान्य बचत खातों में बदल दिया गया है, जिसके चलते यदि खाताधारक खाते में न्यूनतम शेष राशि बनाये रखने में असफल होता है तो उससे दंडस्वरूप शुल्क लिया जाएगा।'
यूपीए सरकार के समय थे बिना झंझट वाले बचत खाते
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, 'यूपीए सरकार के समय से ही 'वित्तीय समावेश' की मजबूत नींव पड़ चुकी थी। उसी दौरान रिज़र्व बैंक ने सामान्य बचत बैंक खातों (बीएसबीडीए) की योजना की शुरुआत कर दी थी। ये बहुत ही सामान्य यानी बिना किसी झंझट वाले जीरो बैंलेस वाले खाते थे। मई 2014 तक इस तरह के 25 करोड़ खाते खुल चुके थे और देश के आम आदमी ने आधुनिक बैंकिग सुविधाओं का लाभ लेना शुरू कर दिया था।'
इसी के साथ आधार कार्ड जारी करने के कार्यक्रम की शुरुआत की जा चुकी थी तथा मई 2014 तक 65 करोड़ लोगों को आधार संख्या उपलब्ध करवाई जा चुकी थी। उन्हें कहा कि हकीकत यह है कि जनधन योजना का ग्राहकों को कोई फायदा नहीं हुआ है, बल्कि इन खातों को बनाए राखने के लिए अकेले एसबीआई को 775 करोड़ खर्च करने पड़े हैं।