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30 May 2022

झारखंडः राज्य सभा चुनाव पर कांग्रेस, झामुमो में सब ठीक नहीं, सीएम सोरेन ने उम्मीदवार का एलान कर चौंकाया

ANI

रांची। झारखंड में राज्‍यसभा चुनाव की उम्‍मीदवारी को लेकर सत्‍ताधारी कांग्रेस और झामुमो में सब ठीकठाक नहीं लग रहा। कांग्रेस के दावे और दबाव के बावजूद कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद शनिवार को रांची लौटे हेमन्‍त सोरेन ने पार्टी अध्‍यक्ष शिबू सोरेन से बात की और झामुमो प्रत्‍याशी के रूप में साहित्‍यकार और झामुमो नेत्री महुआ माजी को उम्‍मीदवार घोषित कर दिया। कांग्रेस इससे परेशान है।

तत्‍काल बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्‍यक्ष राजेश ठाकुर ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर कर कांग्रेस की नाराजगी का संकेत दे दिया। कह दिया कि झामुमो ने बहुत सोच कर निर्णय लिया होगा। हमने आलाकमान को अवगत करा दिया है। महुआ माजी गठबंधन की उम्‍मीदवार नहीं हैं। गठबंधन की रहतीं तो गठबंधन की ओर से घोषण होती। मंगलवार को प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय आयेंगे तब तय होगा कि हमें समर्थन करना है या नहीं। खुद उनकी संख्‍या इतनी है कि उन्‍हें जरूरत नहीं है। गठबंधन में चर्चा होती है तब कोई निर्णय होता है। हालांकि उन्‍हें संख्‍या गणित के हिसाब से हमारी समर्थन की जरूरत नहीं है। हम समझते हैं जो दिल्‍ली में बात हुई होगी और आज के निर्णय में विरोधाभास है। इसके पूर्व कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी से लेकर प्रदेश कांग्रेस ने कांग्रेस के लिए दबाव बनाया था। कहा था कि पिछलीबार शिबू सोरेन सोरेन को समर्थन दिया था इस बार हमारा दावा बनता है। प्रदेश अध्‍यक्ष ने तो ट्वीट कर कह दिया था कि ''आ रही है कांग्रेस'' कांग्रेस।

हेमन्‍त को करीब से जानने वाले मानते हैं कि उन्‍होंने कांग्रेस आलाकमान को भरोसे में रखकर ही यह फैसला लिया होगा। दूसरी तरफ प्रदेश में जारी संकट के बीच इसे एक बड़े डील और भाजपा की गैरकांग्रेसवाद के प्रभाव के रूप में भी देखा जा रहा है। अगर झामुमो ने कांग्रेस को बिना भरोसे में लिये निर्णय किया होगा तो इसके गंभीर नतीजे सामने आ सकते हैं। परिणाम जल्‍द सामने आ सकते हैं। कांग्रेस के समर्थन से ही यहां झामुमो की सरकार चल रही है। झारखंड विधानसभा के 80 विधायक हैं। इसमें कांग्रेस के 17 सदस्‍य हैं और झामुमो के 30। जाहिर है कांग्रेस को दूसरी सीट अपनी झोली में डालने के लिए पहाड़ तोड़ने जैसा होगा जो। 10 जून को राज्‍यसभा सदस्‍य के दो सीटों के लिए चुनाव होना है। ऐसे में मौजूदा हालात में एक झामुमो और दूसरा भाजपा के खाते में जाता दिख रहा है। कांग्रेस से वरिष्‍ठ नेता गुलाम नवी आजाद, अजय माकन, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय, पूर्व प्रदेश अध्‍यक्ष डॉ अजय कुमार, प्रदेश अध्‍यक्ष राजेश ठाकुर की चर्चा थी।

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सारे राजनीतिक पंडित फेल, सब ने नये चेहरे को उतारा

राज्‍यसभा के दो सीटों पर होने वाले चुनाव के लिए भाजपा और झामुमो दोनों ने नये चेहरों को उतारकर सब को चौंका दिया। सारे राजनीतिक पंडितों का आकलन फेल हो गया। वहीं नीतीश कुमार ने भी बिहार की सीट से झारखंड के जदयू के प्रदेश अध्‍यक्ष को उतारकर ऐसा ही किया। भाजपा से पूर्व मुख्‍यमंत्री रघुवर दास और निवर्तमान राज्‍यसभा सदस्‍य महेश पोद्दार के नामों की गंभीर चर्चा थी। मगर रघुवर दास और प्रदेश अध्‍यक्ष के पसंदीदा रहे आदित्‍य साहू पर भाजपा ने भरोसा जताया। इनके नाम की दूर-दूर तक कोई चर्चा नहीं थी। हालांकि आदित्‍य साहू लंबे समय से भाजपा से जुड़े हैं और पिछली कार्यकारिणी में प्रदेश उपाध्‍यक्ष थे। भाजपा के विधायकों की संख्‍या 26 है, ऐसे में आदित्‍य साहू के लिए भी भाजपा के पास पूर्ण संख्‍याबल नहीं है। सहयोगी आजसू का सहयोग चाहिए। वहीं झामुमो से भी हेमन्‍त सोरेन की पत्‍नी कल्‍पना सोरेन, पार्टी महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्या जैसे नामों की चर्चा थी। महुआ माजी के बारे में कोई आकलन ही नहीं था।

महुआ माजी रांची विधानसभा से पूर्व मंत्री भाजपा के वरिष्‍ठ नेता सीपी सिंह के हाथों कम वोटों के अंतर से पराजित हुई थीं। यह झारखंड महिला आयोग की अध्‍यक्ष भी रह चुकी हैं। मी बोरीशाइल्‍ला और मरंग घोड़ा नीलकंठ हुआ जैसे चर्चित उपन्‍यास की रचयिता हैं। केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह का टिकट काट और झारखंड से जदयू के प्रदेश अध्‍यक्ष खीरू महतो को बिहार से राज्‍यसभा का उम्‍मीदवार बनाकर नीतीश कुमार ने सब को चौंका दिया। खीरू महतो को उम्‍मीदवार बनाने के पीछे भी कुरमी वोटों का अपना गणित है। बहरहाल झामुमो और कांग्रेस के रिश्‍तों पर पड़ने वाला असर देखने लायक होगा। को आर्डिनेशन कमेटी और न्‍यूनतम साझा कार्यक्रम को लेकर कांग्रेस झामुमो में पहले से तल्‍खी है।

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OUTLOOK 30 May, 2022
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