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01 December 2020

मोदी के लिए नई मुसीबत बन रहा झारखंड, हेमंत के दांव का कैसे निकालेंगे काट

जनगणना में आदिवासी धर्म कोड के हवाले झारखंड ने केंद्र की मोदी सरकार के सामने नई मुसीबत खड़ी कर दी है। झारखंड के मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन की एक चाल ने केंद्र और भाजपा के सामने चुनौती खड़ी कर दी है। हेमंत के इस दांव का क्‍या काट निकाले में प्रधानमंत्री बड़ा सवाल है।

झारखंड में परिस्थितियों को देखते हुए भाजपा विधायकों ने सरना आदिवासी धर्म कोड के संबंध में भले ही आम सहमति दे दी हो मगर राष्‍ट्रीय स्‍तर पर भाजपा इस मोर्चे पर अभी तक खामोश है। और संघ को अपने स्‍टैंड को लेक लगातार जहिर करता रहा है कि आदिवासी हिंदू हैं, यानी अलग धर्म कोड की जरूरत नहीं है। भाजपा के एक वरिष्‍ठ नेता ने कहा कि झारखंड ने भले ही प्रस्‍ताव पास कर दिया हो मगर यह उतना आसान नहीं है जितना दिख रहा है। पूरे देश में आदिवासी हैं और झारखंड सरकार ने सिर्फ अपने प्रभाव क्षेत्र को देखते हुए सरना आदिवासी का प्रस्‍ताव पारित किया है जबकि अन्‍य प्रदेशों में सरना कोड को लोग स्‍वीकार नहीं करेंगे क्‍योंकि उन राज्‍यों में दूसरे नामों से ये मांग करते रहे हैं। और उन राज्‍यों में झारखंड की तुलना में आदिवासियों की संख्‍या अधिक है। ऐसे में छोटे प्रदेश की मांग के आगे आदिवासियों की बड़ी आबादी वाले प्रदेश को उपेक्षित करना न्‍यायोचित नहीं होगा।

लोकसभा के पूर्व उपाध्‍यक्ष, भाजपा के वरिष्‍ठ नेता और झारखंड में आदिवासियों के बड़ा चेहरा कड़‍िया मुंडा का कहना है कि भाजपा को आदिवासी विरोधी साबित करने की साजिश हो रही है। पत्‍थलगड़ी की तरह सरना धर्म कोड भी प्रायोजित राजनीति है। सरना पूजा स्‍थल होता है इस नाम पर धर्म कोड कैसे बन सकता है। झारखंड के प्रस्‍ताव पर केंद्र सरकार को निर्णय करना है। देश की 12 फीसद आदिवासी आदिवासी को हिंदू धर्म से अलग करना भाजपा और संघ की रीति नीति से मेल नहीं खाता। ऐसे में केंद्र अलग सरना धर्म कोड को आसानी से मंजूरी दे देगा लगता नहीं है। 2021 की जनगणना के लिए प्रक्रिया जल्‍द प्रारंभ होगा, ऐसे हां या ना, केंद्र को जल्‍द तय करना होगा। बड़े मसलों को भी आसानी से हल करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए यह जटिल प्रश्‍न है।

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नकारात्‍म जवाब का मतलब हेमंत सरकार को केंद्र के खिलाफ संघर्ष के लिए बुके प्रदान करने जैसा होगा। हेमंत सोरेन बोल चुके हैं कि इस मसले पर वे देश के आदिवासियों को एकजुट करने की पहल करेंगे। तब राज्‍य के खाली खजाने के बीच हेमंत सोरेन को आदिवासियों का इमोशन कैश कराने का एक बढ़िया मौका मिल जायेगा। सहयोगी पार्टियां भी समर्थन में आंदोलन का बिगुल फूंक चुकी हैं।
सरना आदिवासी कोड के सवाल पर झारखंड में हेमंत सरकार में शामिल कांग्रेस भी आक्रामक है।

सदन में प्रस्‍ताव लाने में सक्रिय रही कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्‍यक्ष इरफान अंसारी ने ट्वीट कर कहा है कि आदिवासियों की समस्‍याओं को लेकर राहुल गांधी हमेशा लड़े हैं। सरना धर्म कोड पर जल्‍द ही भाजपा का असली चेहरा सामने आयेगा। इस मसले पर वे राहुल गांधी से भी मिलेंगे। उनसे समय मांगा है। वहीं इरफान ने झारखंड से भाजपा सांसदों को पत्र लिखकर सरना धर्म कोड लागू करने में मदद का आग्रह किया है। पूर्व मंत्री और आदिवासी विकास परिषद की प्रदेश अध्‍यक्ष गीताश्री उरांव कहती हैं कि सरना धर्म कोड को लेकर आरएसएस वे उनके सहयोगी संगठन भीतर तक हिल गये हैं। संघ को लग रहा है कि इससे देश को हिंदू राष्‍ट्र बनाने का उनका सपना धरा रह जायेगा। सरना धर्म कोड का विरोध करने वाले संगठन भाजपा और संघ समर्थिक संगठन हैं। वहीं जदयू के प्रदेश अध्‍यक्ष सालखन मुर्मू ने भाजपा से अपील की है कि वह सरना धर्म कोड पर अपना पक्ष स्‍पष्‍ट करे।

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TAGS: पीएम मोदी, झारखंड, हेमंत सोरेन, सरना धर्म, आदिवासी धर्म कोड, Jharkhand, Modi government, Hemant Soren, tribal religion code
OUTLOOK 01 December, 2020
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