भोपाल पहुंचे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा- अब जनता का साथ पाना ही लक्ष्य
भाजपा का दामन थामने के बाद दो दिवसीय दौर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पहली बार भोपाल पहुंचे। यहां वह राज्यसभा के लिए नामांकन भरेंगे। उन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया और शिवराज सिंह चौहन की भी जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा, 'मेरे लिए आज भावुक दिन है। जिस संगठन और जिस परिवार में मैंने 20 साल बिताए, उन सबको छोड़कर मैं अपने आपको आपके हवाले करता हूं।'
भाजपा कार्यालय में सिंधिया ने कहा कि मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि इस परिवार (भाजपा) ने मेरे लिए दरवाजे खोले, और मुझे पीएम मोदी, नड्डा साहब और अमित भाई का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि मेरा लक्ष्य अब प्रदेश की जनता का साथ पाना है, जहां आपका एक बूंद पसीना टपकेगा, वहां सिंधिया का बूंद पसीना टपकेगा और अगर खून की भी जरूरत होगी तो सिंधिया आपके लिए हाजिर है।
कार्यकर्ताओं ने एयरपोर्ट पर किया स्वागत
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में दो नेता हैं जो शायद अपनी कार में एसी न चलाएं, वो केवल शिवराज सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं। मेरी आशा है कि आप (शिवराज) एक हैं और हम एक हैं और जब एक और एक मिल जाए तो दो नहीं 11 होना चाहिए।
भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज हम ये संकल्प लेते हैं कि जब तक राज्य सरकार के पाप की, अत्याचार की, अन्याय की, भ्रष्टाचार की और आतंक की लंका को जलाकर राख नहीं कर देते, हम चुप नहीं बैठेंगे। एयरपोर्ट पर उनका जोरदार स्वागत किया गया। उनके साथ केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी पहुंचे थे। यहां से निकलकर सिंधिया रोड शो करते हुए भोपाल स्थित भाजपा दफ्तर पहुंचे।
दौरे से पहले की राजनाथ से मुलाकात
भोपाल दौरे से पहले सिंधिया ने दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। भोपाल दौरे पर शुक्रवार को सिंधिया वरिष्ठ भाजपा नेताओं के साथ राज्यसभा के लिए पर्चा दाखिल करेंगे। वहीं सिंधिया के समर्थन में मध्यप्रदेश के कई कांग्रेस जिलाध्यक्षों सहित 10 हजार से ज्यादा कार्यकर्ताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।
नहीं मिलेगा भाजपा में सम्मानः राहुल गांधी
इससे पहले सिंधिया के भाजपा में शामिल होने को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि वे अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंतित थे, इसलिए अपनी विचारधारा को त्याग कर आरएसएस के साथ चले गए। वास्तविकता यह है कि उन्हें वहां (भाजपा) सम्मान नहीं मिलेगा और जल्द ही इसका अहसास होगा।