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07 August 2018

केएम जोसेफ मामले पर कपिल सिब्बल नाखुश, कहा- सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में आज काला दिन

उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ का सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किए जाने को लेकर चल रहा विवाद रुकने का का नाम नहीं ले रहा है। जस्टिस जोसेफ की वरिष्ठता को घटाने के केंद्र सरकार के फैसले से उच्चतम न्यायालय के कोलेजियम के कुछ सदस्यों के साथ सुप्रीम कोर्ट के कई जज नाखुश हैं। वहीं अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने जस्टिस केएम जोसेफ के पद घटाने को लेकर टिप्पणी की है। उन्होंने इसके लिए सरकार पर भी हमला बोला है।

जस्टिस जोसेफ की शपथ से पहले  सिब्बल ने ट्वीट कर कहा कि आज अदालत के इतिहास में काला दिन है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका को अपनी आत्मा के खोज करने जरूरत है। 

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, कपिल सिब्बल ने कहा कि सरकार ने संदेश दिया है कि यदि कोई जज उनके पक्ष में फैसला नहीं देता है, तो उसके साथ ऐसा बर्ताव किया जा सकता है। इस दिन को भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में 'काले दिन' के रूप में देखा जाएगा। यह सरकार का अहंकार है।

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बता दें कि जस्टिस जोसेफ, इंदिरा बनर्जी और विनीत सरन का शपथ ग्रहण तय कार्यक्रम व केंद्र की अधिसूचना में दिए वरीयता क्रम के मुताबिक मंगलवार को हुआ। तीनों जजों ने शपथ ले ली है।

इससे पहले सोमवार को कॉलेजियम के सदस्य जस्टिस एमबी लोकुर, एके सीकरी और कुरियन जोसेफ सहित कई जजों की ओर से सीजेआई दीपक मिश्रा के समक्ष वरिष्ठता क्रम को लेकर चिंता जताई गई। जस्टिस रंजन गोगोई को छोड़कर कॉलेजियम के बाकी सदस्यों ने चाय के दौरान सीजेआई से जस्टिस जोसेफ की वरीयता घटाने के केंद्र के फैसले का विरोध किया। सीजेआई ने उन्हें विश्वास दिलाया कि वह मामले को उठाएंगे।

गौरतलब है कि जस्टिस जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट भेजे जाने के निर्णय को लेकर पिछले छह महीने से कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच एक टकराव देखने को मिल रहा था। केंद्र ने जस्टिस जोसेफ के साथ मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस इंदिरा बनर्जी और ओडिशा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के लिए विनीत सरन के नाम की अनुशंसा की फाइल क्लियर कर दी है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के नेतृत्व में कोलेजियम ने 10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में जस्टिस जोसेफ के नाम की सिफारिश की थी। इसके दो दिनों बाद ही सुप्रीम कोर्ट में अभूतपूर्व विरोध देखने को मिला था।

12 जनवरी को कोलेजियम के चार अन्य सदस्य जस्टिस चेलमेश्वर, रंजन गोगोई, मदन बी लोकुर और कुरियन जोसेफ ने सीजेआई के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया था। केंद्र ने 30 अप्रैल को जस्टिस जोसेफ पर कोलेजियम की सिफारिश को लौटा दिया था। केंद्र ने अनुभव का मसला उठाते हुए तर्क दिया था कि जस्टिस जोसेफ वरीयता क्रम में देश में 42वें स्थान पर आते हैं। ऐसे में उन्हें सुप्रीम कोर्ट भेजना हाई कोर्ट के दूसरे वरिष्ठ जजों की वैध उम्मीदों के लिहाज से ठीक नहीं होगा।

केंद्र ने यह भी कहा था कि सर्वोच्च न्यायपालिका में एससी/एसटी समुदाय का भी उचित प्रतिनिधित्व नहीं है।

दरअसल, जस्टिस जोसेफ के नाम पर केंद्र की आपत्ति को उनके उत्तराखंड चीफ जस्टिस के तौर पर सूबे में राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले को खारिज करने से जोड़ कर देखा जा रहा था। जस्टिस जोसेफ की पीठ के इस निर्णय के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड में फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया था। इसके बाद कांग्रेस की हरीश रावत सरकार की वापसी हुई थी।

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TAGS: K M Joseph, downgrade, SC, black day, history, Court, Kapil Sibal
OUTLOOK 07 August, 2018
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