Advertisement
15 October 2024

कुर्सी पुराणः लालू का मास्टर स्ट्रोक

तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के 1997 में जब बहुचर्चित चारा घोटाले में जेल जाने की नौबत आई तो यह सवाल खड़ा हुआ कि उनकी जगह उनकी पार्टी का दूसरा कौन-सा नेता मुख्यमंत्री बनेगा। उस समय पार्टी में लालू प्रसाद के विश्वासपात्र रंजन प्रसाद यादव सहित मुख्यमंत्री पद के कई दावेदार थे। रंजन तो खुद को पार्टी के वैचारिक दिग्गज कहने लगे थे, लेकिन लालू प्रसाद को उनमें से किसी पर भरोसा न था। जाहिर है, वे किसी ऐसे दूसरे नेता, खासकर किसी यादव को मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं सौंप सकते थे जो उनके लिए भविष्य में चुनौती खड़ा कर सके। इसलिए उन्होंने वह किया जिसका किसी सियासी जानकार को अंदाजा तक न था। मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को पेश किया। लालू की पसंद से पटना से दिल्ली तक के सत्ता के गलियारों में लोग अवाक रह गए। लालू पर परिवारवाद का आरोप लगा।

उस समय तक राबड़ी को सियासत की कोई समझ नहीं थी। वे एक घरेलू महिला थीं जिसका पूरा समय अपने परिवार के लिए समर्पित था। उनके आलोचकों ने कहा कि लालू ने अपनी अनपढ़ स्‍त्री को रसोईघर से बाहर लाकर सीधे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठा दिया, लेकिन तमाम आलोचनाओं को अनसुना कर लालू जेल चले गए। वे निश्चिंत थे कि मुख्यमंत्री की कुर्सी घर से बाहर नहीं जाएगी। उस वक्त लालू के नौ बच्चों में किसी की भी उम्र इतनी नहीं थी कि उन्हें उनकी जगह मुख्यमंत्री बनाया जा सके, इसलिए राबड़ी के अलावा उनके पास परिवार के भीतर कोई दूसरा विकल्प भी न था। उन्हें लगा कि जब वे जेल से बाहर आएंगे तो फिर से मुख्यमंत्री का पद संभाल लेंगे। इसलिए उन्होंने पार्टी के कुछ करीबी नेताओं और सरकारी पदाधिकारियों को राबड़ी को पार्टी और प्रशासनिक मामलों में मदद करने को कहा। इच्छा या अनिच्छा से पति के आदेश से राबड़ी ने बड़ी जिम्मेदारी उठा ली।

लालू के ऐसा करने के पीछे एक दूसरा कारण भी था। उन्हें लगा कि किसी दूसरे नेता को मुख्यमंत्री बनाने से उनकी अनुपस्थिति में पार्टी के भीतर बगावत के सुर उठ सकते हैं। राबड़ी के चयन से इसकी आशंका सिरे से खत्म हो गई। इस प्रकरण के बाद लालू की राजनैतिक नैतिकता पर जरूर सवाल उठे लेकिन सियासत के इस दांव से मुख्यमंत्री का पद अगले साढ़े सात वर्षों तक उनके परिवार के नाम सुरक्षित रहा। यहां तक कि जेल से वापस आने के बाद भी उन्होंने राबड़ी को ही मुख्यमंत्री बने रहने दिया और खुद केंद्र की राजनीति करने चले गए। अब लालू की विरासत बेटे तेजस्वी के जिम्मे है।

 
 
अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Lalu Prasad Yadav, wife Rabri Devi, chief minister
OUTLOOK 15 October, 2024
Advertisement