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03 June 2023

राजद्रोह कानून को लेकर विधि आयोग की सिफारिश के बाद कपिल सिब्बल ने की आलोचना

राज्यसभा सांसद और पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने राजद्रोह कानून का समर्थन करने वाली विधि आयोग की सिफारिशों पर अपनी राय स्पष्ट कर दी है। सिब्बल ने कहा है कि यह सिफारिशें गणतंत्र की प्रकृति और नींव के बिलकुल विपरीत हैं। बता दें कि आयोग ने राजद्रोह के अपराध के लिए दंडात्मक प्रावधान को बरकरार रखने का प्रस्ताव दिया है।

आयोग का मानना है कि इसे पूरी तरह से निरस्त करने से देश की सुरक्षा और अखंडता पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इसी क्रम में अपनी बात आगे रखते हुए सिब्बल ने शुक्रवार को मीडिया बंधुओं से कहा, "मैं इन सिफारिशों से परेशान हूं। ये सिफारिशें स्वयं गणतंत्र की प्रकृति के विपरीत हैं। वे गणतंत्र के सार के विपरीत हैं, वे देश की नींव के विपरीत हैं।"

"उन्होंने सरकार का दर्जा ऐसे दिया है जैसे कि सरकार राज्य है। सरकार लोग स्थापित करते हैं, यह राज्य का प्रतिनिधित्व नहीं करती। यह राज्य के लिए काम करती है। यह एक ऐसा कानून है जो वैचारिक रूप से त्रुटिपूर्ण है। 2014 के बाद देशद्रोह के 10,000 से अधिक मामले हुए हैं, जिनमें से केवल 329 में सजा हुई है।"

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गौरतलब है कि न्यायमूर्ति रितु राज अवस्थी (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता वाले विधि आयोग ने भी राजद्रोह के मामलों में अपराधों के लिए न्यूनतम जेल की अवधि को तीन साल से बढ़ाकर सात साल करने का सुझाव दिया। मई 2022 में जारी किए गए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद राजद्रोह से निपटने वाली भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए फिलहाल स्थगित है। ऐसे में दुरुपयोग के आरोपों के बीच, प्रावधान को निरस्त करने की मांग की गई है।

केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का कहना है कि विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट 'देशद्रोह के कानून का उपयोग' में की गई सिफारिशें प्रेरक हैं और बाध्यकारी नहीं हैं। बहरहाल, सिब्बल यूपीए 1 और यूपीए 2 सरकारों के दौरान केंद्रीय मंत्री रहे रहे हैं। हालांकि, उन्होंने पिछले साल मई में कांग्रेस छोड़ दी थी और समाजवादी पार्टी के समर्थन से एक स्वतंत्र सदस्य के रूप में राज्यसभा के लिए चुने गए थे।

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TAGS: Law Commission recommendations, sedition law, foundations of republic, Kapil Sibal
OUTLOOK 03 June, 2023
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