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25 March 2015

सांप्रदायिक खतरे से मुकाबला करने के लिए वाम दलों ने हाथ मिलाए

गूगल


भाकपा की 22वीं कांगे्रस में माकपा, भाकपा-माल,े आरएसपी, फारवर्ड ब्लाक और एसयूसीआई ने वाम एकता को मजबूत बनाने का आह्वान किया। माकपा महासचिव प्रकाश करात ने इस अवसर पर कहा, इस नव उदारवाद सांप्रदायिक एजेंडा के खतरे के बारे में कम्युनिस्टों को बताने की आवश्यकता नहीं है। सिर्फ वाम नव उदारवाद हमले का प्रमुखता से सामना कर सता है। यह हमारी ऐतिहासिक जिम्मेदारी है कि इस नजरिए को चलन में लाया जा सके। उन्होंने कहा कि दक्षिणपंथी खतरे की गंभीरता सभी वाम की ओर से प्रेरित और एकजुट प्रतिक्रिया का आह्वान करता है। उन्होंने कहा कि सिर्फ एक स्वतंत्र वाम ही वास्तविक विकल्प हो सकता है।
भाकपा महासचिव एस सुधाकर रेड्डी ने स्वीकार किया कि देश में वाम कमजोर हुआ है जिससे लोगों में निराशा है। उन्होंने कहा कि दक्षिणपंथी नियंत्रण ने वाम के लिए नयी चुनौती और अवसर प्रदान किया है ताकि वह उनकी योजनाओं का पर्दाफाश कर सके और उनके खिलाफ लोगों को एकजुट कर सके। उन्होंने कहा कि यह कठिन कार्य है लेकिन सिर्फ वाम ही ऐसा कर सकता है। भाकपा माले नेता दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि वाम को मोदी सरकार द्वारा शुरू किए गए कार्पोरेट सांप्रदायिक अभियान का मुकाबला करना होगा।
उन्होंने कहा कि हम महसूस करते हैं कि भाजपा का उदय एक प्रमुख राजनीतिक मंथन तथा सत्तारूढ वर्गों की सर्वाधिक स्थापित पार्टियों के खिलाफ लोगों की नाराजगी को परिलक्षित करता है। उन्होंने इस क्रम में कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भाजपा के उदय का सर्वाधिक विश्वसनीय जवाब फिर से उभरे उस वाम की ओर से आएगा जो अपनी गलतियों से सीख लेने को तैयार है। उन्होंने जन आंदोलन की प्राथमिकता को बहाल किए जाने पर बल दिया। करात ने वाम नीत वर्ग और लोगों के विभिन्न तबकों के बीच काम कर रहे जन संगठनों के बीच व्यापक समन्वय बनाए जाने की जरूरत पर जोर दिया।

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TAGS: वाम दलों, भाजपा, आरएसएस, सांप्रदायिक, प्रकाश करात, माकपा
OUTLOOK 25 March, 2015
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