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28 October 2019

सत्ता के बंटवारे को लेकर भाजपा-शिवसेना में खींचतान जारी, अब निर्दलीय विधायकों से समर्थन लेने की होड़

महाराष्ट्र में अगली सरकार में सत्ता बंटवारों को लेकर खींचतान कर रही भाजपा और शिवसेना में निर्दलीय विधायकों से समर्थन पाने की होड़ मची है। अपना-अपना संख्या बल बढ़ाने के प्रयास के तहत दोनों दलों ने रविवार को पांच विधायकों (तीन निर्दलीय एवं छोटे दलों के दो विधायकों) का समर्थन प्राप्त किया।

भाजपा को समर्थन की घोषणा करने वाले तीन निर्दलीय विधायकों में गीता जैन, राजेंद्र राउत और रवि राणा शामिल हैं। ठाणे जिले की मीरा भयंदर सीट से जीतीं गीता जैन ने यहां मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात के बाद भाजपा को समर्थन देने की घोषणा की। विधानसभा चुनाव में वह भाजपा से टिकट चाहती थीं और वह नहीं मिलने पर 21 अक्टूबर को हुए चुनाव में निर्दलीय खड़ी हो गई थी। जैन ने पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार नरेंद्र मेहता को हरा दिया था।

राउत भी भाजपा के बागी प्रत्याशी थे और उन्होंने सोलापुर जिले की बरसी सीट से शिवसेना के आधिकारिक प्रत्याशी दिलीप सोपाल को हरा दिया था। राणा ने अमरावती जिले के बडनेरा सीट पर अपने निकटवर्ती प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशी प्रीति बंद (शिवसेना) को मात दी है। जैन और राउत ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात के बाद भाजपा को समर्थन देने की घोषणा की जबकि राणा ने चिट्ठी लिखकर यह ऐलान किया।

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दो विधायकों ने दिया शिवसेना को समर्थन

इससे पहले, अचलपुर से विधायक बाच्चु काडु और उनके सहयोगी एवं मेलघाट से विधायक राजकुमार पटेल ने शिवसेना को समर्थन देने की पेशकश की। दोनों सीटें विदर्भ के अमरावती जिले की हैं। काडु प्रहर जनशक्ति पार्टी के प्रमुख हैं। हालांकि जैन से जब बहुजन विकास अगाड़ी प्रमुख एवं वसई से विधायक हितेंद्र ठाकुर से शनिवार को की उनकी मुलाकात के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह चुनाव प्रचार में सहयोग के लिए धन्यवाद देने गई थीं।

जैन को चुनाव के दौरान कांग्रेस- एनसीपी ने समर्थन किया था मगर ठाकुर से मुलाकात के बाद उनके राजनीतिक कदम को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया। जब काडु के समर्थन के बारे में पूछा गया तो शिवसेना के नेता ने कहा कि इससे पार्टी की भाजपा के साथ तोलमोल करने की ताकत बढ़ेगी। उन्होंने कहा, ''हमने 2014-19 के दौरान भाजपा के साथ समायोजन किया लेकिन अब यह वक्त अपनी हिस्सेदारी हासिल करने का है।

सरकार में 50-50 फीसदी हिस्सेदारी मांग रही सेना

गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव के नतीजों में 2014 के मुकाबले भाजपा की कम सीटें आने के बाद से शिवसेना ने अपना रुख कड़ा कर लिया है और सरकार में 50-50 फीसदी हिस्सेदारी की मांग कर रही है।

महाराष्ट्र में सत्ता का रिमोट अब उद्धव के हाथों में है: शिवसेना

वहीं शिवसेना ने रविवार को कहा कि महाराष्ट्र में सत्ता का रिमोट कंट्रोल अब पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे के हाथ में है। पार्टी ऐसा तब बोल रही है जब उसे 2014 के मुकाबले इस बार विधानसभा में कम सीटे मिली हैं। राज्य में 1995 से लेकर 1999 तक पहली शिवसेना-भाजपा गठबंधन सरकार के दौरान शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे अक्सर ‘रिमोट कंट्रोल’ शब्द का इस्तेमाल करते थे। शिवसेना अन्य मांगों के साथ-साथ चाहती है कि भाजपा उसे लिखित में ‘सत्ता में बराबरी’का हक देने का आश्वासन दे और मुख्यमंत्री पद का कार्यकाल बराबर समय के लिए उसके साथ बांटे। शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में अपने स्तंभ ‘रोकटोक’ में संजय राउत ने कहा है, ‘‘शिवसेना ने इस बार कम सीटें जीती हैं। 2014 की 63 के मुकाबले 56 सीटें जीती हैं, लेकिन उसके पास सत्ता की चाबी है।’’

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TAGS: power tussle, BJP, Shiv Sena, Independents MLAs, Maharashtra poll
OUTLOOK 28 October, 2019
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