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19 January 2025

‘महाकुंभ’ एकता, समता-समरसता का असाधारण संगम, युवाओं का इससे जुड़ना स्वर्णिम भविष्य सुनिश्चित करता है: प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को ‘महाकुंभ’ को एकता और समता-समरसता का असाधारण संगम करार दिया और कहा कि हजारों वर्षों से चली आ रही इस परंपरा में कहीं भी कोई भेदभाव और जातिवाद नहीं है।

आकाशवाणी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 118वीं कड़ी और साल 2025 की पहली कड़ी में अपने विचार साझा करते हुए उन्होंने महाकुंभ में युवाओं की बढ़ती भागीदारी का उल्लेख किया और कहा कि जब युवा पीढ़ी अपनी सभ्यता के साथ गर्व से जुड़ जाती है तो उसकी सभ्यतागत जड़े और मजबूत होती है और तब उसका स्वर्णिम भविष्य भी सुनिश्चित हो जाता है।

प्रधानमंत्री ने इस दौरान 25 जनवरी को मनाए जाने वाले राष्ट्रीय मतदाता दिवस का जिक्र करते हुए कहा कि यह दिन इसलिए अहम है, क्योंकि इसी दिन ‘भारतीय निर्वाचन आयोग’ की स्थापना हुई थी।

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उन्होंने कहा, ‘‘हमारे संविधान निर्माताओं ने संविधान में हमारे चुनाव आयोग को, लोकतंत्र में लोगों की भागीदारी को, बहुत बड़ा स्थान दिया है। मैं चुनाव आयोग का भी धन्यवाद दूंगा, जिसने समय-समय पर, हमारी मतदान प्रक्रिया को आधुनिक बनाया है, मजबूत किया है। आयोग ने जन-शक्ति को और शक्ति देने के लिए, तकनीक की शक्ति का उपयोग किया।’’

उन्होंने देशवासियों से ज्यादा से ज्यादा संख्या में अपने-अपने मताधिकार का उपयोग करने और देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया सशक्त बनाने का भी आह्वान किया।

मोदी ने ‘कुंभ’, ‘पुष्करम’ और ‘गंगा सागर मेले’ का उल्लेख करते हुए कहा कि ये पर्व सामाजिक मेल-जोल, सद्भाव और एकता को बढ़ाने वाले पर्व हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ये पर्व भारत के लोगों को भारत की परंपराओं से जोड़ते हैं।’’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘कुंभ में दक्षिण, पश्चिम और हर कोने से लोग आते हैं। कुंभ में गरीब और अमीर सब एक हो जाते हैं और सब लोग संगम में डुबकी लगाते हैं। एक साथ भंडारे में प्रसाद ग्रहण करते हैं। तभी तो कुंभ एकता का महाकुंभ है। कुंभ का आयोजन हमें यह भी बताता है कैसे हमारी परंपराएं पूरे भारत को एक सूत्र में बांधती हैं।’’ उन्होंने कहा कि इस बार कुंभ में युवाओं की भागीदारी बहुत व्यापक रूप में नजर आई है।

उन्होंने कहा, ‘‘जब युवा पीढ़ी अपनी सभ्यता के साथ गर्व के साथ जुड़ जाती है तो उसकी जड़े और मजबूत होती है और तब उसका स्वर्णिम भविष्य भी सुनिश्चित हो जाता है।’’

प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ के इस कार्यक्रम में पौष द्वादशी के दिन अयोध्या में राम मंदिर में राम लाल की प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ का भी जिक्र किया और कहा कि प्राण प्रतिष्ठा की यह द्वादशी भारत की सांस्कृतिक चेतना की पुनः प्रतिष्ठा की द्वादशी बन गई। उन्होंने कहा, ‘‘हमें विकास के रास्ते पर चलते हुए ऐसे ही अपनी विरासत को भी सहेजना है और उनसे प्रेरणा लेते हुए आगे बढ़ना है।’’

हाल के दिनों में उन्होंने अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों का उल्लेख किया और कहा कि आज हमारा देश अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है।

उन्होंने यह भी कहा कि इस बार का ‘गणतंत्र दिवस’ बहुत विशेष है क्योंकि ये भारतीय गणतंत्र की 75वीं वर्षगांठ है। उन्होंने कहा, ‘‘इस वर्ष संविधान लागू होने के 75 साल हो रहे हैं। मैं संविधान सभा के उन सभी महान व्यक्तित्वों को नमन करता हूं, जिन्होंने हमें हमारा पवित्र संविधान दिया।’’

प्रधानमंत्री ने इस दौरान संविधान सभा में बहस के दौरान बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर, राजेन्द्र प्रसाद और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के संबोधनों के ऑडियो क्लिप का कुछ अंश भी सुनाया। उन्होंने कहा, ‘‘हर देशवासी को इन विचारों से प्रेरणा लेकर, ऐसे भारत के निर्माण के लिए काम करना है, जिस पर हमारे संविधान निर्माताओं को भी गर्व हो।’’

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TAGS: ‘Mahakumbh’, extraordinary confluence of unity, equality and harmony, youth joining, golden future, Prime Minister Narendra Modi
OUTLOOK 19 January, 2025
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