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23 May 2019

उत्तर प्रदेश में क्यों असफल हुआ सपा-बसपा-रालोद गठबंधन, भाजपा ने किया पस्त

File Photo

लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में अप्रत्याशित परिणाम से सभी दल आश्चर्य चकित हैं। उन्हें भरोसा नहीं हो रहा है कि यह कैसे हो गया। विपक्षी नेता तो अनौपचारिक बातचीत में भी ईवीएम पर ही ठीकरा फोड़ रहे हैं। हालांकि बसपा को ज्यादा सीटें मिलने और सपा को कम सीटें मिलने पर भी चिंतन शुरू हो गया है कि क्या बसपा का वोट बैंक सपा को ट्रांसफर नहीं हो पाया? कहा जा रहा है कि बसपा को सपा का वोट हुआ ट्रांसफर, लेकिन सपा को बसपा वोट नहीं मिल पाया। कांग्रेस की उम्मीदों पर भी पानी फिर गया और पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी की अमेठी सीट भी नहीं बच पाई।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा- जनमत स्वीकार। उत्तर प्रदेश की सम्मानित जनता और तमाम कार्यकर्ताओं का धन्यवाद।

यादव परिवार से ये बड़े चेहरे हारे

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प्रदेश में लोकसभा चुनाव परिणामों ने राजनीतिक पंडितों को भी चौंका दिया है। इस अप्रत्याशित परिणाम में जहां कई दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा है। वहीं, कई ऐसे भी प्रत्याशी जीते हैं, जिनकी उम्मीद कम थी। इसी को लेकर विपक्ष में माथापच्ची शुरू हो गई है। हमेशा गुलजार रहने वाले सपा कार्यालय पर गुरुवार को गिने चुने लोग पहुंचे, लेकिन जो पहुंचे वह भी मायूस थे। सपा नेताओं के लिए मायूस होने वाली बात भी है क्योंकि उनकी सीटें 2014 के बराबर भले ही हों, लेकिन सपा मुखिया अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव, भाई धर्मेंद्र यादव, अक्षय यादव की हार किसी को पच नहीं रही है। सपा की गढ़ मानी जाने वालीं इन सीटों पर भगवा फहरना आम बात नहीं है। हालांकि बसपा के लिए राहत की बात जरूर है कि वह जीरो से दहाई अंक में पहुंच गई है, लेकिन जिन सीटों पर बसपा ने जीत दर्ज की है, उनमें से ज्यादातर सीटें ऐसी हैं, जिन पर स्थानीय प्रत्याशियों का प्रभाव ही काम आया है। हालांकि गठबंधन के बावजूद करीब 10-12 सीटों पर ही जीत मिलने का गम बसपा को भी है। बसपा में भी उच्च स्तर पर चुनाव के परिणामों को लेकर मंथन किया जा रहा है।

सपा के एमएलसी अरविंद सिंह ने बताया कि जनता का जनादेश सिर आंखों पर है। पार्टी को किन कारणों से हार का सामना करना पड़ा, इसकी समीक्षा की जाएगी और कमियों को दूर किया जाएगा। हालांकि उन्होंने जोड़ा कि सपा को ज्यादातर सीटें गठबंधन में महानगरों की मिली थीं। विधानसभा चुनाव में प्रदेश में पार्टी का चेहरा अध्यक्ष अखिलेश यादव होंगे और उसका हमें लाभ मिलेगा।

कांग्रेस को भी बड़ा झटका

चुनाव में कांग्रेस ने भी प्रदेश में उन सीटों पर पूरी ताकत लगा रखी थी, जिन पर उन्हें जीतने की उम्मीद थी। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से लेकर कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा रोड शो से लेकर जनसभाएं भी कर रही थीं। इसके बावजूद न सिर्फ कांग्रेस के दिग्गज धड़ाम हुए, बल्कि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी भी अपनी सीट नहीं बचा पाए। कांग्रेस के लिए इससे बड़ा झटका नहीं हो सकता।

कांग्रेस के विधान मंडल दल के नेता अजय कुमार उर्फ लल्लू का कहना है कि प्रदेश में पार्टी दमदारी से चुनाव लड़ी। कई सीटों पर हमारे प्रत्याशी दूसरे और तीसरे नंबर पर रहे। कई सीटों पर कम वोटों के अंतर से हार-जीत हुई है। पार्टी का वोट प्रतिशत भी बढ़ा है। इसके बावजूद जनता का जनादेश सर्वोपरि है। पार्टी अपने स्तर से परिणामों की समीक्षा करेगी।

भाजपा ने कहा, यह सुशासन, विकास और विश्वास की जीत

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने देश और प्रदेश की जनता को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में भाजपा को अभूतपूर्व समर्थन देकर विजयी बनाने के लिए आभार जताया है। उन्होंने कहा कि यह सुशासन, निस्वार्थ सेवा, विकास और विश्वास की विजय है। उन्होंने कहा भाजपा की विजय जातियता पर सबका साथ-सबका विकास की विजय है। यह निजी हमलों पर समावेशी सोच की विजय है। इस जनादेश ने परिवारवाद और जनता को अपना बंधुआ वोटर समझने वाले नेताओं और दलों को उनकी जगह दिखा दी है। सपा-बसपा जैसे दलों और उनके नेताओं को लगा होगा कि वह अपनी निजी स्वार्थों के लिए एक होकर विकास की राह रोक लेंगे, लेकिन जनता ने उनके कुत्सित मंसूबे ध्वस्त कर दिए। 2014 और 2017 में भाजपा को अपनी सेवा का अवसर दे चुकी जनता ने विपक्ष की जातिवादी राजनीति को ध्वस्त करते हुए उनकी तगड़ी घेराबंदी के बावजूद भाजपा को अभूतपूर्व सफलता दिलाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लोककल्याणकारी कार्यों और विश्व में देश का मान बढ़ाने के लिए अपनी मुहर लगाई।

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TAGS: Major setback, SP-BSP alliance, congress, uttar pradesh, lok sabha elections 2019
OUTLOOK 23 May, 2019
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