राहुल गांधी का दावा, मनमोहन सरकार के समय में हुई 3 सर्जिकल स्ट्राइक
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सर्जिकल स्ट्राइक पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने दावा किया है कि मनमोहन सरकार के समय में भी तीन बार सर्जिकल स्ट्राइक की गई थी लेकिन हमने इसका फायदा नहीं उठाया।
राजस्थान के उदयपुर में युवाओं और कारोबारियों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि जब आर्मी ने मनमोहन सिंह से कहा कि हमें पाकिस्तान के खिलाफ बदले की कार्रवाई करनी है और इसे सीक्रेट रखना है। तब मनमोहन सिंह ने आर्मी की बात मानी और सर्जिकल स्ट्राइक हुई। उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह के पास आर्मी आई थी लेकिन नरेंद्र मोदी खुद आर्मी के पास गए और सर्जिकल स्ट्राइक को रचा और इसे राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जबकि यह आर्मी का फैसला था।
उन्होंने कहा कि आर्मी नहीं चाहती थी कि सर्जिकल स्ट्राइक का किसी को पता चले लेकिन मोदी यह नहीं चाहते थे। वह उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ रहे थे और हार रहे थे। उन्होंने इसका राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया।
'जीएसटी और नोटबंदी से टूट गई असंगठित क्षेत्र की कमर'
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि आज देश के बैंकिंग सिस्टम में 12 लाख करोड़ का एनपीए है। पिछले 3-4 साल में मोदी जी की सरकार ने 3 लाख 50 हजार करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया है। ये जो कर्ज हैं वो देश के मात्र 15 से 20 लोगों के हैं। अनिल अंबानी पर 45 हजार करोड़ का कर्ज है।
राहुल ने कहा कि एक साल के लिए मनरेगा योजना में 35 हजार करोड़ रुपये लगते हैं। नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और विजय माल्या जैसे लोग लाखों करोड़ रुपये लेकर देश से भाग गए। उन्होंने कहा कि ये लोग तो पैसे लेकर चले गए। रही सही जो कसर थी उसे गब्बर सिंह टैक्स और नोटबंदी ने पूरी कर दी। इन दोनों से देश के असंगठित क्षेत्र की कमर टूट गई। असंगठित क्षेत्र में काफी लोगों को रोजगार मिलता है। उन्होंने कहा कि इनफॉर्मल सेक्टर को नोटबंदी और जीएसटी से सरकार ने इसलिए तोड़ा क्योंकि इसमें देश के चंद उद्योगपतियों के अंदर घुसने का रास्ता मिले।
नहीं बचा है विकल्प
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कृषि बीमा में भी अनिल अंबानी को छह राज्यों में अलग-अलग जिले सौंप दिये गये हैं। अब लोगों के पास कोई विकल्प नहीं बचा है। यही काम शिक्षा और स्वास्थ्य में भी होने जा रहा है। अगर हमें 21वीं सदी में जाना है तो हमें हेल्थकेयर और शिक्षा के लिये 21वीं सदी के संस्थान बनाने ही होंगे।
राजस्थान में 7 दिसंबर को मतदान होना है। मतगणना बाकी राज्यों के साथ 11 दिसंबर को होगी।