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25 June 2019

देश में बढ़ती असमानता चिंता की बात, ठोस नीतियों के बावजूद कुछ तबका काफी गरीब: मनमोहन सिंह

File Photo

पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने भारत में अमीर और गरीब वर्ग के बीच बढ़ रहे अंतर पर चिंता जताई है। मनमोहन सिंह ने कहा कि बढ़ती असमानता चिंता की बात है और कल्याणकारी राज्य होने के नाते देश में काफी गरीबी या आर्थिक विषमता नहीं हो सकती है।

आर्थिक विकास की उच्च दर बढ़ती असमानता से जुड़ी हुई है

सोमवार को सामाजिक विकास रिपोर्ट 'भारत में बढ़ती असमानता, 2018' जारी करने के अवसर पर मनमोहन सिंह ने कहा कि कुछ क्षेत्र और सामाजिक समूह गरीबी हटाने वाले विभिन्न कार्यक्रमों और ठोस नीतियों के बावजूद काफी गरीब हैं। मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत आज दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, लेकिन आर्थिक विकास की उच्च दर बढ़ती असमानता से जुड़ी हुई है। इनमें आर्थिक, सामाजिक, क्षेत्रीय और ग्रामीण शहरी असमानता शामिल है।

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हम अति गरीबी या गैर बराबरी को जगह नहीं दे सकते

रिपोर्ट के लॉन्च होने के मौके पर पूर्व पीएम ने कहा कि बढ़ती असमानता हमारे लिए चिंताजनक है, क्योंकि आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक असमानतओं का बुरा प्रभाव हमारी तेज और लगातार होने वाले विकास को नुकसान पहुंचा सकते हैं। भारत एक वेलफेयर स्टेट है, हम अति गरीबी या गैर बराबरी को जगह नहीं दे सकते।

मनमोहन सिंह ने बढ़ती असानमता को बताया वैश्विक घटना

सिंह ने बढ़ती असानमता को वैश्विक घटना बताया जबकि स्वीडन, जर्मनी और अन्य देश इसके अपवाद हैं। उन्होंने कहा, 'भारत कल्याणकारी देश है, हम अति गरीबी या असमानता को अनुमति नहीं दे सकते’। कांग्रेस नेता ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान शुरू की गई कई योजनाएं गिनाईं जैसे शिक्षा का अधिकार कानून, सूचना का अधिकार कानून, वन अधिकार कानून, हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) कानून, महात्मा गांधी राष्ट्रीय शहरी रोजगार गारंटी कानून आदि। उन्होंने कहा कि इन अधिकारों को प्रभावी रूप से लागू करने से समस्या का समाधान हो जाएगा।

यूपीए-1 के दौरान बनाई योजनाओं से हो सकता है सकारात्मक असर

कांग्रेस नेता ने यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान शुरू की गई कई योजनाएं भी गिनाईं, जैसे शिक्षा का अधिकार कानून, सूचना का अधिकार कानून, वन अधिकार कानून, हिंदू सक्सेशन (संशोधन) एक्ट, मनरेगा आदि।डॉ. मनमोहन सिंह के मुताबिक, इन अधिकारों को प्रभावी रूप से लागू करने से समस्या का समाधान हो जाएगा।

सामाजिक विकास परिषद की इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2000 से 2017 के बीच संपत्ति में असानता छह गुना बढ़ी है। इसमें बताया गया है कि 2015 में देश की एक फीसदी आबादी के पास करीब 22 फीसदी राष्ट्रीय आय थी जो 1980 के दशक की तुलना में छह फीसदी की बढ़ोतरी है।

10 फीसदी सबसे ज्यादा अमीरों के पास 80 फीसदी से ज्यादा संपत्ति

इस रिपोर्ट में बताया गया है, ''देश के दस फीसदी सर्वाधिक धनी लोगों के पास देश की कुल संपत्ति का करीब 80.7 फीसदी है जबकि 90 फीसदी आबादी के पास कुल संपत्ति का महज 19.3 फीसदी है।"

रिपोर्ट का संपादन प्रोफेसर टी. हक और डी. एन. रेड्डी ने किया है और इसमें 22 अध्याय हैं जिन्हें विख्यात अर्थशास्त्रियों और अन्य सामाजिक विज्ञानियों ने लिखा है।

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TAGS: Manmohan Singh, rising inequality, concern, country, cannot allow, extreme poverty, economic disparity
OUTLOOK 25 June, 2019
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