बुखारी की हत्या को लेकर बोली माया, ‘अपनी कश्मीर नीति पर पुर्नविचार करे मोदी सरकार’
जम्मू कश्मीर में जवानो की शहादत, पत्रकार की हत्या और देश भर में दलितों पर हो रहे अत्याचार को लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती ने मोदी सरकार पर करारा हमला बोला है। गुरुवार को कश्मीर में वरिष्ठ पत्रकार सुजात बुखारी की मौत को उन्होंने अफसोसजनक बताया है। साथ उन्होंने मोदी को नसीहत दी कि वे बिना देर किए अपनी कश्मीर नीति में बदलाव करें।
मायावती ने कहा कि सीमावर्ती राज्य में जवानों की लगातार हो रही शहादत के बीच कश्मीर में वरिष्ठ संपादक सुजात बुखारी की हत्या अफसोसजनक है। अब समय आ गया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार अपनी अड़ियल नीति को त्याग कर बगैर देरी किए देशहित में अपनी कश्मीर नीति पर पुनर्विचार करे।
उन्होंने कहा कि पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की गठबंधन सरकार में घाटी के हालात लगभग बेकाबू है। पाकिस्तान सीमा के साथ राज्य के अंदरूनी हिस्से में भी हिंसा व हत्याओं का दौर थमने का नाम नही ले रहा है।
मायावती ने कहा कि केन्द्र सरकार को कश्मीर नीति मे परिवर्तन लाना चाहिए तथा राजनीतिक स्तर पर भी सुधार के प्रयास तेका करनी चाहिए। भाजपा की कश्मीर नीति जनहित व देशहित पर आधारित नहीं होकर संकीर्ण राजनीतिक सोच से ज्यादा प्रभावित है और यही वजह है कि भाजपा का जम्मू नेतृत्व स्वार्थ में लिप्त है जिससे जम्मू क्षेत्र तनाव व हिंसा का शिकार है और आम जनता त्रस्त है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की जनता के साथ वैसा तल्ख कड़वा व्यवहार कतई नहीं होना चाहिए जैसा पाक अधिकृत कश्मीर में हो आ रहा है। उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार पर जनहित व जनकल्याण की उपेक्षा किए जाने का आरोप लगाते हुए मायावती ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इतिहास को चुनौती देने की बजाय उन मेधावी छात्रों की सुधि लेनी चाहिए जो उनके हाथ से लिए गए इनामी रकम की चेक बाउन्स होने से दु:खी और आहत हैं। भाजपा ने लगभग सवा साल के कार्यकाल मे समाज के हर वर्ग का जीवन काफी दु:खदायी बना दिया है। अपराध-नियंत्रण, कानून-व्यवस्था तथा विकास व जनहित का काफी बुरा हाल है। इतना ही नहीं भाजपा सरकारों में सर्वसमाज के गरीबों, मजदूरों, उपेक्षितों, शोषितों, दलितों, पिछड़ों, और धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति भेदभाव और जातिगत व्यवहार चरम पर है। सरकार इन तत्वों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करने को संवैधानिक जिम्मेदारी नहीं समझती हैं। इसी का प्रभाव है कि भाजपा शासित असम राज्य में हिंदू युवकों को भी पीट-पीटकर मार डाला गया।