राफेल डील पर मोदी को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पर दोष मढ़ रही है सरकार: कांग्रेस
राफेल डील को लेकर सियासी घमासान तेज है। राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर केन्द्र सरकार और विपक्ष आमने-सामने हैं। बता दें कि केंद्र सरकार एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। इसे लेकर सरकार ने याचिका दाखिल कर राफेल डील पर दिये गए फैसले में एक ''तथ्यात्मत सुधार'' की मांग की है। इस कदम पर कांग्रेस ने केन्द्र सरकार को घेरा है।
दरअसल, राफेल मामले से जुड़े फैसले में कैग रिपोर्ट के जिक्र के संदर्भ में संशोधन के लिए सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर करने को लेकर कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि यह कदम 'जालसाजी की स्वीकारोक्ति' है। कांग्रेस ने कहा कि सरकार की मंशा तथ्यों को छिपाना और 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बचाना' है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने शनिवार देर रात प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष 'गलत तथ्य' पेश किए, जिसकी वजह से राफेल मामले पर फैसले में 'तथ्यात्मक गड़बड़ी' हुई। कपिल सिब्बल ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट का आदेश पढ़ने के बाद ऐसा लगता है कि हर पैरा में प्रेस रिपोर्ट का हवाला है और साथ ही इसमें सरकार के हलफनामे का हवाला है। जहां तक हलफनामे का सवाल है तो लगता है कि न्यायालय ने सरकार की कुछ बातें मान ली हैं।' उन्होंने कहा, 'कोर्ट ने यह भी कहा कि अनुच्छेद 32 के तहत हमारा अधिकार क्षेत्र सीमित है, इसलिए वह कुछ चीजों पर फैसला नहीं कर सकता।'
सिब्बल ने कहा, 'आदेश में कुछ ऐसी बातें और तथ्य हैं जो गलत हैं. इसमें न्यायालय की नहीं, बल्कि सरकार की जिम्मेदारी है. हमें अटॉर्नी जनरल को पीएसी के समक्ष बुलाने की जरूरत है. उनसे पूछा जाना चाहिए कि इस तरह का हलफनामा क्यों दिया गया जो सही नहीं है.'
“मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से झूठ बोला है”
इससे पहले कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक बयान में कहा, 'सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार का आवेदन जानबूझकर गलत जानकारी देकर अदालत के साथ की गई जालसाजी की स्वीकारोक्ति है।' उन्होंने दावा किया, 'यह साबित करता है कि राफेल पर फैसला बुनियादी तौर पर त्रुटिपूर्ण है। मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से झूठ बोला है।'
क्या है मामला?
केंद्र सरकार ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दायर किया है और राफेल लड़ाकू विमान डील पर शीर्ष अदालत के फैसले में उस पैराग्राफ में संशोधन की मांग की है, जिसमें नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) रिपोर्ट और संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) का जिक्र है। इस पर कांग्रेस का आरोप है कि न्यायालय के फैसले में पीएसी को कैग रिपोर्ट दिए जाने का जिक्र है, जबकि पीएसी को कोई रिपोर्ट नहीं मिली। पार्टी ने यह भी आरोप लगाया है कि सरकार ने देश की सबसे बड़ी अदालत को गुमराह किया है।