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04 July 2020

इंटरव्यू: बैटलफ्रंट पर जाने वाले पहले पीएम नहीं हैं मोदी, जमीन वापस लेना असली परीक्षा-- एके एंटनी

पीटीआइ

पूर्व रक्षामंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता ए के एंटनी ने एक साक्षात्कार में आउटलुक की प्रीता नायर से कहा कि नरेंद्र मोदी बैटलफ्रंट का दौरा करने वाले पहले प्रधानमंत्री नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री जैसे पूर्व प्रधानमंत्रियों ने गतिरोध वाले क्षेत्रों (सीमा) का दौरा किया था। पूर्व रक्षामंत्री का कहना है कि मोदी की असली परीक्षा यथास्थिति बहाल करने के साथ-साथ चीन द्वारा कब्जा किए गए क्षेत्र को वापस पाने के लिए होगी।


प्रधानमंत्री मोदी की लेह यात्रा पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है? कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल सरकार से एलएसी पर हो रही घुसपैठ पर जवाब मांगते रहे हैं।


इसमें कोई संदेह नहीं है कि प्रधानमंत्री की लेह यात्रा से रक्षा बलों का मनोबल बढ़ा। लेकिन वह युद्धकालीन या युद्ध जैसी स्थितियों के दौरान क्षेत्रों का दौरा करने वाले पहले प्रधानमंत्री नहीं हैं। 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान, देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने तत्कालीन पूर्वोत्तर फ्रंटियर एजेंसी का कई बार दौरा किया था। 1965 में भारत-पाक युद्ध के दौरान, तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने भी सैनिकों के फ्रंट का दौरा किया था। वहीं, पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने भी 1971 के युद्ध के दौरान लेह का दौरा किया और वहां फील्ड मार्शल मानेकशॉ के साथ सेना के जवानों को संबोधित किया था।

क्या आपको लगता है कि लेह जाकर पीएम ने चीन को कड़ा संदेश दिया है?

अब, चीनी सेना ने कई स्थानों पर भारतीय क्षेत्रों के बड़े हिस्सों पर कब्जा जमा लिया है। ये सभी भारत के लिए रणनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण हैं। उदाहरण के लिए, गलवान घाटी रणनीतिक रूप से हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह चीन और पाकिस्तान के लिए भी महत्वपूर्ण है। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि ऐसा पहली बार है जब चीन गलवान घाटी पर अपना दावा कर रहा है। इसे हमेशा भारत का हिस्सा माना जाता था। चीन ने इस पर सार्वजनिक रूप से दावा किया है। यह नया डेवलपमेंट है। उन्होंने अब उस क्षेत्र पर आक्रमण और किलेबंदी कर ली है। चीनी सैनिक अब भी गलवान घाटी में हैं और वहां उनका निर्माण कार्य हो रहा है।

वास्तव में, वर्षों बाद भारतीय सेना और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने 4,000 किलोमीटर लंबी भारत-चीन सीमा पर कई विवादित क्षेत्रों की पहचान की है। लेकिन गलवान घाटी कभी विवादित क्षेत्र नहीं था। अब, हमारे बीस बहादुर सैनिकों ने देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए लड़ते हुए अपने प्राणों की बाजी लगा दी।

यूपीए काल में भी चीन ने आक्रामकता दिखाई। क्या आप 2013 और 2014 के दौरान होने वाली घटनाओं के बारे में बात कर सकते हैं?

2013 में देपसांग में गतिरोध पैदा हुआ था। 21 दिनों के बाद वो पीछे हट गए और यथास्थिति बहाल हो गई। वहीं, 2014 में, चुमार क्षेत्र में तनाव था। हमारी सेना ने विरोध किया, जिसके बाद चीनी सैनिक वापस चले गए।

वर्तमान में, चीन के सैनिक फिंगर नंबर 4 तक हैं। चीनी सेना पैंगोंग त्सो झील क्षेत्र में भी है। हालांकि यह उनका क्षेत्र नहीं है। फिंगर नंबर 4 भारतीय क्षेत्र है। लेकिन अब, भारतीय सेना वहां नहीं जा सकती। चीनियों ने फिंगर नंबर 4 पर अपना कब्जा जमा लिया है। अब वहां चीनी सैनिकों की बड़ी संख्या मौजूद है। उन्होंने हॉट स्प्रिंग क्षेत्र पर भी कब्जा जमा लिया है। यह आक्रामकता का एक स्पष्ट मामला है। फिलहाल प्रधानमंत्री के लिए सबसे बड़ी परीक्षा यह सुनिश्चित करना है कि चीनी सैनिक भारतीय क्षेत्र के प्रत्येक इंच को खाली कर दें। उन्हें उन स्थानों से हटना चाहिए, जहां उन्होंने कब्जा जमा रखा है। उन सभी क्षेत्रों में यथास्थिति बहाल की जानी चाहिए, जिन पर उन्होंने आक्रमण किया है। उन्हें अपने क्षेत्रों में वापस जाना होगा।

आपको क्या लगता है भारत कैसे चीन के सैनिकों को पीछे हटवा सकता है?

मैं लंबे समय तक भारत का रक्षा मंत्री था। मैं आपको एक बात बता सकता हूं। अब भारत 1962 का भारत नहीं है। वर्षों से हमने अपनी सेना, वायु सेना और नौसेना को मजबूत किया है। वे सभी एक मजबूत स्थिति में हैं, दुश्मनों का सामना करने के लिए अच्छी तरह से तैयार और अच्छी तरह से प्रशिक्षित हैं। उनका मनोबल बहुत ऊंचा है। हमारे सशस्त्र बल दुनिया में सर्वश्रेष्ठ में से एक हैं। यूपीए के शासन के दौरान, हमने कई लैंडिंग ग्राउंड बनाए, एयरफील्ड का नवीनीकरण किया और 65,000 करोड़ रुपए की लागत वाली स्ट्राइक कोर का गठन किया। हमने सुखोई फाइटर जेट, सी -17 और सी -130 जैसे ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट और नौसेना के लिए युद्धपोत खरीदे। अब हमारे सशस्त्र बल बेहतर स्थिति में हैं। मुझे कहना होगा कि भारत की सशस्त्र सेना दुनिया में सबसे अच्छी है। मैं उनकी क्षमता को लेकर आश्वस्त हूं।

भारत ने 20 सैनिकों की मौत के प्रतिशोध के रूप में 59 चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया है। क्या आपको लगता है कि यह एक उचित जवाब है?

यह हमारे क्षेत्रीय मुद्दों के बारे में है। मुझे लगता है कि सुरक्षा कारणों से ऐप्स पर प्रतिबंध लगाना आवश्यक था, क्योंकि हमें चीनी उपकरणों को अपनी सुरक्षा को प्रभावित करने की इजाज़त नहीं देनी चाहिए।

 

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TAGS: Modi, Not First PM, Visit Battlefront; Real Test, Reclaiming Territory, Ex-Defence Minister, A K Antony
OUTLOOK 04 July, 2020
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