व्यापमं घोटाले में शिवराज पर आरोप लगाने वाले कांग्रेस नेता को जेल
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा दर्ज मानहानि के मामले में भोपाल कोर्ट ने प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा को दोषी करार दिया है। उन्हें दो साल की कैद और 25 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई गई है। हालांकि अदालत ने मिश्रा को सजा सुनाने के तुरंत बाद ही 50,000 रुपए की जमानत पर रिहा कर दिया। मिश्रा के वकील ने फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील करने की बात कही है।
फैसला आने के बाद शिवराज ने संस्कृत में एक श्लोक ट्वीट किया। इस श्लोक का अर्थ होता है, “सत्य के बल पर पृथ्वी का धारण होता है, सत्य से ही सूर्य तपता है, सत्य से ही पवन चलता है, सब सत्य पर आधारित है।“ प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश काशीनाथ सिंह ने मुख्यमंत्री एवं उनके परिजन पर लगाए गए गये मिश्रा के आरोपों को निराधार पाया और झूठे आरोप लगाने के लिए दो वर्ष की सजा सुनाई। जुर्माने की राशि जमा नहीं करने पर उन्हें तीन माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।
गौरतलब है कि 21 जून 2014 को मिश्रा ने भोपाल स्थित प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर शिवराज पर महाराष्ट्र के गोंदिया के 19 लोगों को मध्यप्रदेश परिवहन आरक्षक भर्ती की परीक्षा में उत्तीर्ण कराने का आरोप लगाया था। गोदिंया मुख्यमंत्री का ससुराल है। मिश्रा ने आरक्षकों की भर्ती को व्यापमं घोटाले का हिस्सा बताया था। इन आरोपों पर लोक अभियोजक अधिकारी एवं वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद तिवारी ने राज्य सरकार की ओर से मिश्रा के खिलाफ अदालत में जुलाई 2014 में मानहानि का परिवाद पत्र पेश किया था। इस मामले में मुख्यमंत्री चौहान ने तीन बार अदालत में गवाही दी थी। अदालत ने पाया कि मिश्रा द्वारा लगाया आरोप पूरी तरह से गलत है। जांच में पता चला है कि गोदिंया के किसी शख्स की नियुक्ति नहीं हुई है।