भाजपा के सम्मेलन में उजागर हुई पार्टी की अंदरुनी लड़ाई
भाजपा नेताओं का दावा था कि कार्यकर्ता समागम में दो लाख से अधिक कार्यकर्ता आएंगे लेकिन स्थानीय लोग बताते हैं कि लगभग 50 हजार ही लोग ही पहुंचे। लेकिन इससे भी बड़ी बात यह रही कि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ मंच साझा नहीं करने दिए जाने से नाराज सांसद अश्विनी चौबे मैदान में ही पिछली पंक्ति में कार्यकर्ताओं के बीच जा बैठे। क्योंकि उनका नाम मंच पर बैठने वाले नेताओं की सूची में शामिल नहीं था। बक्सर से सांसद चौबे इस बात को लेकर नाराज हो गए कि जब वह मंच की ओर बढ़ रहे थे तो सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोक दिया।
उसके बाद नाराज चौबे कार्यक्रम स्थल से ही चले गए। लेकिन बाद में मैदान में पिछली पंक्ति में आकर बैठे रहे। आमंत्रित नहीं किए जाने के कारण स्थानीय सांसद और सिने अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा भी इसमें शामिल नहीं हुए। इससे साफ तौर पर जाहिर होता है कि प्रदेश भाजपा में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है और पार्टी दो गुटों में बंटी हुई है। बाद में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय ने पूरे मामले पर सफाईं दी कि सभी नेताओं को आमंत्रित किया गया था। अगर कहीं कोई चूक हुई तो उसकी जांच होगी। कार्यकर्ता समागम में भाजपा नेताओं ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधने के साथ ही राजद और जद यू के विलय को लेकर भी निशाना साधा। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि कितना भी विलय हो जाए प्रदेश में भाजपा की ही सरकार बनेगी। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी का भी मुद्दा कार्यकर्ता में उठा। अमित शाह ने कहा कि दलित के साथ हुए अपमान को भाजपा कतई बर्दाश्त नहीं कर सकती। मांझी के बहाने भाजपा ने दलित वोटरों के बीच अपनी साख बढ़ाने की कोशिश की।