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11 May 2018

जेल में भगत सिंह से मिले थे नेहरू, गलत निकला पीएम मोदी का दावा

कर्नाटक चुनाव को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच तीखे आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। हालांकि, चुनाव प्रचार अब थम गया है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के एक बयान पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है।

बुधवार को कर्नाटक के बिदर में एक रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “जब शहीद भगत सिंह, बटुकेश्वर दत्त, वीर सावरकर आदि देश की आजादी के लिए जेल में थे। तब क्या कोई कांग्रेस नेता उनसे मिलने गया था? लेकिन कांग्रेस नेता जेल में बंद भ्रष्ट लोगों से मिलते हैं।”

प्रधानमंत्री के इस दावे को कई इतिहासकार गलत बता रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी इसकी खूब चर्चा हो रही है। इस बीच अंग्रेजी अखबार द ट्रिब्यून के आर्काइव से पता चला है कि 1929 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लाहौर की बोर्स्टल जेल में भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त से मुलाकात की थी। प्रधानमंत्री मोदी कांग्रेस को लेकर ऐसे कई दावे पहले भी कर चुके हैं और इनमें से कई गलत सिद्ध हुए हैं।

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भगत सिंह और दत्त से हुई थी नेहरू की मुलाकात

नेहरू ने भ्‍ाले ही वैचारिक रूप से भगत सिंह का विरोध किया, लेकिन स्वतंत्रता के लिए उनके संघर्ष को स्वीकार भी किया। नेहरू लाहौर जेल में 8 अगस्त 1929 को भगत सिंह और साथियों से मिलने गए थे जिसकी रिपोर्ट द ट्रिब्यून  में छपी भी थी।

8 अगस्त 1929 को लाहौर से प्रकाशित ट्रिब्यून अखबार के पहले पन्ने पर पंडित जवाहर लाल नेहरू, भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त की मुलाकात की खबर छपी थी। खबर की हेडलाइन, "Pt. Jawaharlal Interviews Hunger Strikes" है।

खबर के मुताबिक पंडित जवाहर लाल नेहरू एमएलसी डॉक्टर गोपीचंद के साथ लाहौर जेल गए और बोर्स्टल जेल में लाहौर षड्यंत्र केस में भूख हड़ताल कर रहे सत्याग्रहियों से मुलाकात की और उनका साक्षात्कार किया। पंडित जवाहर लाल पहले सेंट्रल जेल गए जहां उन्होंने सरदार भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त से मुलाकात की और भूख हड़ताल के बारे में उनसे बातचीत की। इसके बाद उन्होंने बोर्स्टल जेल में जतीन्द्र दास, अजोय घोष्‍ा, शिव वर्मा से भी मुलाकात और बातचीत की।

द ट्रिब्यून के 9 अगस्त के संस्करण में छपी खबर के मुताबिक, नेहरू ने प्रेस से कहा था,"मैंने कल केंद्रीय जेल और बोर्स्टल जेल का दौरा किया और सरदार भगत सिंह, श्री बटुकेश्वर दत्त, श्री जतींद्रनाथ दास और लाहौर साजिश के मामले में अन्य सभी आरोपी, जो भूख हड़ताल पर हैं उनको देखा।"

अपनी आत्मकथा में नेहरू ने किया इसका जिक्र...

हालांकि, नेहरू ने वैचारिक रूप से भगत सिंह का विरोध किया, लेकिन स्वतंत्रता के लिए उनके संघर्ष को स्वीकार किया।

पंडित नेहरू ने अपनी आत्मकथा में लिखा है, “मैं उस समय लाहौर में था, जब भूख हड़ताल को एक महीने हो गए थे। मुझे जेल में बंद कैदियों से मुलाकात की अनुमति दी गई और मैंने इसका लाभ उठाया। मैंने पहली बार भगत सिंह, जतींद्र दास और अन्य लोगों को देखा।"

उन्होंने यह भी लिखा, "मैं नायकों को ऐसे संकट में देखकर बहुत परेशान था। उन्होंने इस संघर्ष में अपनी जिंदगी दी है। वे चाहते हैं कि राजनीतिक कैदियों को राजनीतिक कैदियों के रूप में ही माना जाना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि उनके बलिदान को सफलता के साथ ताज पहनाया जाएगा।"

नेहरु ही नहीं कई कांग्रेसी नेताओं ने की थी भगत सिंह की  मदद

ना सिर्फ पंडित नेहरु ने भगत सिंह से मुलाकात की। बल्कि कई कांग्रेसी नेता भगत सिंह की सहायता करते रहे। भगत सिंह सहित कई क्रांतिकारियों के जेल जाने पर इस मामले के लिए लिए कानूनी और वित्तीय सहायता एकत्र करने के लिए भगत सिंह रक्षा समिति बनाई गई जिसमें  मुख्य रूप से पंजाब के कांग्रेस नेताओं का प्रभुत्व था। प्रसिद्ध कांग्रेस नेता कुमारी लज्जावती और वंदे मातरम के संपादक लाला फिरोज चंद भगत सिंह रक्षा समिति के सचिव थे।

इस तथ्य को सिडनी स्थित इतिहासकार काम मैकलीन की पुस्तक ‘A Revolutionary History of Interwar India’ में उल्लेखित किया गया है।

इतिहासकार हैरान

इतिहासकार इरफान हबीब ने ट्वीट किया है, “राजनीति में गलत तरीके से इस्तेमाल करने से पहले जाइए और इतिहास को पढ़िए। नेहरू ने न सिर्फ इन लोगों से जेल में मुलाकात की थी, बल्कि इस बारे में लिखा भी था। कांग्रेस के कई नेताओं ने भी गांधी के विरुद्ध जाकर इनका (जेल में बंद क्रांतिकारियों का) समर्थन किया था।”

जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर प्रोफेसर चमन लाल, जो भगत सिंह पर काम के लिए जाने जाते हैं, ने प्रधानमंत्री के दावे पर कहा कि यह एक सफेद झूठ के अलावा कुछ भी नहीं है।

 

 

 

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TAGS: pt Nehru, Bhagat Singh, Lahore jail, confirms from Tribune archive, controversy, Modi's claim, BJP, CONGRESS
OUTLOOK 11 May, 2018
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