नोटबंदी पर विपक्ष ने पीएम को घेरा, आर्थिक अराजकता पैदा करने का लगाया आरोप
हालांकि सरकार ने इन आरोपों से इंकार करते हुए कहा कि देश के अधिकतर लोग इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं और इस फैसले से दीर्घकाल में ब्याज कम होने सहित आम लोगों को कई फायदे मिलेंगे। राज्यसभा में शीतकालीन सत्र के पहले दिन नोटबंदी और इससे आम जनता को हो रही परेशानी के मुद्दे को उठाते हुए कांग्रेस ने कहा सरकार सबसे पहले यह बताए कि काले धन की परिभाषा क्या है।
कांग्रेस के आनंद शर्मा ने नोटबंदी के मुद्दे पर उच्च सदन में चर्चा की शुरूआत करते हुए कहा कि आठ नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संदेश में 500 रूपये और 1000 रूपये के नोटों को मध्य रात्रि से अमान्य किए जाने का एेलान किया। स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम संदेश के माध्यम से इतने बड़े फैसले की जानकारी दी।
उन्होंने कहा प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा था कि काले धन, आतंकवाद पर रोक के लिए यह कदम जरूरी है। रूपये का उपयोग आतंकवादी भी कर रहे हैं और जाली मुद्रा भी चलन में है। इसलिए यह कदम जरूरी है। शर्मा ने कहा कि जब यह एेलान किया गया तब देश में 16 लाख 63 हजार करेंसी नोट सर्कुलेशन में थे और इनमें से 86.4 फीसदी नोट 500 और 1000 रूपये के नोटों के थे। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या यह 86.4 फीसदी नोट काले धन का था जो बाजार में लगा था।
शर्मा ने कहा कि इसी साल अगस्त में संसद में वित्त राज्य मंत्री ने नकली मुद्रा की मात्रा के बारे में पूछने पर बताया था कि नकली मुद्रा की मात्रा 0.02 फीसदी ही है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार यह मानती है कि देश में नकली मुद्रा मात्रा 0.02 फीसदी ही है तो फिर 86.4 फीसदी नोट हटाये जाने का स्पष्टीकरण कौन देगा। क्या यह पैसा काले धन का है जो बाजार में लगा है। किस आधार पर सर्कुलेशन से 86.4 फीसदी नोट हटाये गए ?
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि आतंकवाद, काला धन, भ्रष्टाचार, नकली मुद्रा के मुद्दे पर पूरा सदन एकजुट है और इसमें कोई दो राय नहीं है। शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री की अचानक की गई इस घोषणा से देश में आपात स्थित पैदा हो गई है और लोग बुरी तरह परेशान हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने न केवल आर्थिक अराजकता पैदा की बल्कि नगदी से चलने वाली अर्थव्यवस्था की रीढ़ ही तोड़ दी।
उन्होंने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था नगदी के लेन देन की है और आम आदमी, छोटे व्यापारी, किसान, गृहणियां अपने साथ क्रेडिट कार्ड और चेकबुक ले कर नहीं चलते। जब प्रधानमंत्री ने काले धन की बात कही तब क्या उन्होंने इस बात को ध्यान में रखा था। क्या बाजार में, घरों में, किसानों, मजदूरों, सरकारी कर्मियों के पास काला धन था। क्या खेतों में अनाज उगा कर मंडी ले कर आने वाला किसान अपने साथ काला धन लाता और ले जाता है।
शर्मा ने कहा कि दुनिया भर में यह संदेश गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में काले धन का बोलबाला है। उन्होंने कहा देश को कृपया कलंकित न करें। उन्होंने कहा सरकार को यह कदम उठाने से पहले कोई समय सीमा बतानी चाहिए थी। आप कहते हैं कि पहले बताने से आतंकियों को, जाली नोट वालों को फायदा होता। लेकिन आपका यह तर्क समझ से परे है। पूर्व की सरकारों ने भी नोटबंदी की है लेकिन तब लोगों को समय दिया जाता था। भाषा एजेंसी