उत्तर प्रदेशः पीके की राह में कांग्रेसी नेताओं के रोड़े
दरअसल पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं को प्रशांत की रणनीति समझ में नहीं आ रही है। हर बूथ पर यूथ की परिकल्पना हो या फिर मुद्दों जिन पर प्रशांत कुछ करना चाहते हैं उसे पार्टी नेता अनसुना कर रहे हैं। पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी के मुताबिक कांग्रेस के सबसे बड़ी मुश्किल प्रदेश में कार्यकर्ताओं की कमी है। लंबे समय से पार्टी सत्ता से दूर है और 2009 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को प्रदेश से जो बड़ी जीत मिली थी वह भी कार्यकर्ताओं को जोड़ नहीं पाई।
पार्टी नेताओं के मुताबिक आज प्रशांत किशोर कह रहे हैं कि हर बूथ पर कम से कम दो यूथ लेकिन पार्टी ने बहुत पहले ही इस अभियान को चलाने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हो पाई। दूसरी रणनीति प्रदेश में कांग्रेस के लिए कोई बड़ा चेहरा नहीं है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष निर्मल खत्री की सक्रियता पूरे प्रदेश में दिखाई नहीं पड़ती। ऐसे में मुश्किल यह है कि पार्टी का चेहरा कौन बनेगा। प्रशांत चाहते हैं कि कांग्रेस की ओर से प्रियंका गांधी या फिर राजबब्बर को पार्टी का चेहरा बनाया जाए। लेकिन सवाल यह है कि प्रियंका को राजनीति में लाने की पहल लंबे से कार्यकर्ता कर रहे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि अगर प्रियंका राजनीति में आती हैं तो प्रदेश कांग्रेस की चुनाव में स्थितियां कुछ भिन्न होगी।
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक पार्टी के कई वरिष्ठ नेता इस बात को भी लेकर नाराज हैं कि पार्टी ने अपने नेताओं की बात का भरोसा न करके एक व्यवसायिक व्यक्ति को कमान देकर राज्य में जनाधार बढ़ाना चाहते हैं जो कि ठीक नहीं है।