मोदी ने गठबंधन को बताया 'सराब', सपा ने मोदी और शाह को कहा 'नशा'
पश्चिम उत्तर प्रदेश के मेरठ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से समाजवादी पार्टी-राष्ट्रीय लोक दल-बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन को 'सराब' कहे जाने को लेकर वार-पलटवार शुरू हो गया है। पहले सपा प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री को 'सराब' और 'शराब' के बीच का अंतर समझाया, अब सपा प्रवक्ता मनोज राय धूपचंदी ने ट्वीट कर लिखा कि हिंदुस्तान को 'नशा' मुक्त बनाना है। सपा प्रवक्ता के इस ट्वीट के साथ फोटो साझा करते हुए नरेंद्र मोदी के 'न' और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के 'शा' को मिलाते हुए दोनों की जोड़ी को 'नशा' बताया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेरठ की रैली में सपा के 'स', रालोद के 'रा' और बसपा के 'ब' को मिलाकर तीनों दलों के गठबंधन को 'सराब' बताते हुए कहा कि यह आपको (जनता को) बर्बाद कर देगा। पीएम मोदी अपने भाषण के जरिए 'सराब' को शराब बताने की कोशिश कर रहे थे जो सेहत के लिए हानिकारक है। सबसे पहले सपा मुखिया अखिलेश यादव ने ट्वीट पर प्रधानमंत्री मोदी पर पलटवार करते हुए ट्वीट में लिखा कि 'सराब' और 'शराब' अंतर वह लोग नहीं जानते जो नफ़रत के नशे को बढ़ावा देते हैं। सराब को मृगतृष्णा भी कहते हैं और यह वह धुंधला सा सपना है जो भाजपा 5 साल से दिखा रही है।
'मेरठ में स्वतंत्रता के आंदोलन का बिगुल फूंका गया था'
पीएम मोदी ने कहा, ‘2019 के चुनाव अभियान की शुरुआत मेरठ से करने के पीछे एक वजह है। 2019 का चुनाव हर देशवासी की आकांक्षा और मजबूत भारत के सपने से जुड़ा है। वही सपना जिसे दिल में लिए 1857 में इसी मेरठ क्षेत्र में स्वतंत्रता के आंदोलन का पहला बिगुल फूंका गया था। इसी गौरवशाली परंपरा को निभाने वाले सुकमा के नक्सली हमले में शहीद शोभित शर्मा और पुलवामा हमले में शहीद अजय कुमार जी को मैं श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। हम सबके आदरणीय चौधरी चरण सिंह जी को भी मैं नमन करता हूं। उन्होंने देश के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। चौधरी साब देश के उन सपूतों में से हैं जिन्होंने देश की राजनीति को खेत-खलिहान और किसानों पर ध्यान देने के लिए मजबूर किया।
'बारी-बारी से सबका हिसाब होगा'
उन्होंने कहा, ‘चौकीदार कभी नाइंसाफी नहीं करता। हिसाब होगा, सबका होगा, बारी-बारी से होगा। आने वाले दिनों में देश के सामने एनडीए सरकार के 5 साल के काम को तो रखूंगा ही। अपने विरोधियों से पूछूंगा कि जब आप सरकार में थे तो आप नाकाम क्यों रहे? क्यों देश का भरोसा तोड़ा? आज एक तरफ विकास का ठोस आधार है, तो दूसरी तरफ न नीति है, न विचार हैं और न ही कहीं नीयत नजर आती है। एक तरफ फैसले लेने वाली सरकार है तो दूसरी तरफ दशकों तक फैसले टालने वाला इतिहास है। एक तरफ नए भारत की सरकार है तो दूसरी तरफ वंशवाद और भ्रष्टाचार का बोलबाला है। एक तरफ दमदार चौकीदार है, तो दूसरी तरफ दागदारों की भरमार है।
'पहली बार देश में निर्णायक सरकार'
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘इस देश ने नारे लगाने वाली सरकारें बहुत देखीं, लेकिन पहली बार ऐसी निर्णायक सरकार देखी है जो अपने संकल्पों को सिद्ध करना जानती है। जमीन हो, आसमान हो या फिर अंतरिक्ष, सर्जिकल स्ट्राइक का सामर्थ्य आपके इस चौकीदार ने दिखाया है।
उन्होंने कहा, ‘जब मैं बैंक खाते खुलवाता था तो बुद्धिमान लोग भाषण करते थे कि देश में बैंक नहीं हैं गांव का आदमी क्या करेगा? आज वही कह रहे हैं जो लोग 70 साल में गरीबों का खाता नहीं खुलवा पाए वो कहते हैं कि हम आपके बैंक खातों में पैसा डालेंगे। जो खाता नहीं खुलवा सकता वो खाते में पैसा डाल सकता है क्या?’
'पहले दिल्ली में महामिलावटी लोगों की सरकार थी'
पीएम मोदी के मुताबिक, ‘आपकी चौकीदार की सरकार ने जो हासिल किया है, वो तब और साफ हो जाएगा, जब 2014 से पहले के भारत से अब के भारत से आप तुलना करेंगे। जब इन महामिलावटी लोगों की सरकार दिल्ली में थी, तब देश में आए दिन बम धमाके होते। ये महामिलाविटी आतंकियों को संरक्षण देते थे। ये आतंकियों की भी जाति और उनकी पहचान देखते थे। उसके आधार पर तय करते थे कि आतंकी को बचाना है या सजा देनी है। मुझे बताया गया है कि यहां मेरठ में जो विरोधी दलों के उम्मीदवार हैं, उन्होंने आतंकियों के लिए करोड़ों रुपए तक के इनाम का ऐलान कर दिया था। महामिलावट के लिए यह लोग किस हद तक जा सकते हैं।
'हमें सपूत चाहिए या सबूत'
पीएम मोदी ने कहा- कुछ दिन पहले जो लोग चौकीदार को चुनौती देते फिरते थे, अब वे रो रहे हैं। पूछ रहे हैं- मोदी ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों को क्यों मारा? मोदी ने आतंकियों के अड्डों को नष्ट क्यों किया? आज यह महामिलावटी लोग, कौन पाकिस्तान में ज्यादा लोकप्रिय होगा, इसकी स्पर्धा में लगे हैं। देश को हिंदुस्तान के हीरो चाहिए या पाकिस्तान के? हमें सपूत चाहिए या सबूत चाहिए? मेरे देश के सपूत ही सबसे बड़ा सबूत हैं।
'देश के लिए सब दांव पर लगा दूंगा'
पीएम मोदी ने कहा, "26 फरवरी की तारीख के बारे में सोचकर भी आतंक के सरपरस्तों की रूह कांप रही है। पल भर के लिए सोचिए, उस दिन हमारे देश के वीर सैनिकों ने पराक्रम किया, अगर उसमें थोड़ी भी गड़बड़ हो जाती तो क्या होता? यह लोग मेरे पुतले जलाते, मुझे नोंच डालते, काले झंडे दिखाते, दुनिया भर की गालियां देते। अगर ऐसा होता तो सारा दोष मोदी को देते। आप आश्वस्त रहिए- मैं देश के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगाने के लिए तैयार रहने वाला व्यक्ति हूं। कोई भी राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय दबाव इस चौकीदार को डरा नहीं पाएगा। मैं कोई बोझ नहीं रखता। बोझ रखूं भी क्यों मेरे पास अपना है भी क्या। देश ने जितना दिया है, वह बहुत कुछ है। चिंता उन्हें होती है जिनके पास कुछ खोने के लिए होता है।"