"प्रधानमंत्री जी, आपका दिल पत्थर का है": संसद में विपक्ष ने पीएम मोदी से की व्यापक चर्चा की मांग
पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर के हिंसा से जुड़े मामलों पर पीएम मोदी से बयान की मांग कर रहे विपक्षी दलों का रुख सोमवार को भी यही रहा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लोकसभा और राज्यसभा की और बेइज्जती नहीं करनी चाहिए तथा अब सदन में आकर मणिपुर हिंसा पर बिना किसी समय सीमा के विस्तृत चर्चा करनी चाहिए।
राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता प्रमोद तिवारी ने कहा, "पहली प्राथमिकता यही होनी चाहिए कि मणिपुर हिंसा पर सदन में एक विस्तृत और व्यापक एवं विस्तृत चर्चा की जाए, जिसमें सभी तथ्यों, जैसे कई सारे लोग अबतक मारे जा चुके हैं और स्वयं सीएम एन बीरेन सिंह ने ऐसी घटनाओं की पुष्टि की, पर बातचीत हो। किसी को नहीं मालूम कि कितने तो बलात्कार के मामले हुए हैं।"
प्रमोद तिवारी ने पीएम मोदी की "चुप्पी" पर कहा, "संविधान के अनुच्छेद 75 के तहत, सदन (लोकसभा और राज्यसभा) को जवाब देना प्रधानमंत्री का दायित्व है। इसलिए उन्हें सदन में आकर अपनी बात रखनी चाहिए। क्या वह कोई कारण दे सकते हैं कि देश में होने के बावजूद आखिर वह क्यों लोकसभा और राज्यसभा में नहीं आ रहे हैं। कब तक वह इसी तरह लोकसभा और राज्यसभा का अपमान करेंगे।"
"यह अपमान लोकसभा या राज्यसभा नहीं बल्कि 130 करोड़ भारतवासियों का है। ऐसा क्या है, जिसे वे छिपाना चाहते हैं।" प्रमोद तिवारी ने जातीय हिंसा पर सदन में व्यापक चर्चा की मांग करते हुए कहा, "दो घंटे की चर्चा में क्या तथ्य सामने लाए जा सकते हैं क्योंकि विपक्षी गुट INDIA के सांसदों ने खुद मणिपुर की स्थिति देखी है और जो कुछ उन्होंने देखा है उसे सामने रखना चाहते हैं।"
उन्होंने मणिपुर मामले में, "कारगिल सैनिक की पत्नी की गरिमा को ठेस पहुंचाए जाने" का ज़िक्र करते हुए कहा, "याद रखें, महाभारत एक द्रौपदी के लिए हुआ था, लेकिन यहां कई द्रौपदी की गरिमा को ठेस पहुंचाई जा रही है। हम नियम 267 के तहत चर्चा चाहते हैं और अन्य सभी कार्यों को अलग रखा जाना चाहिए और प्रधानमंत्री, जो सब कुछ जानते हैं, को सदन में आना चाहिए और बिना किसी समय सीमा के चर्चा होनी चाहिए।''
टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि प्रधानमंत्री अब तक मानसून सत्र के आठ दिनों में 20 सेकंड के लिए भी संसद नहीं आए हैं। उन्होंने पूछा, ''संसद के आठवें दिन भारत के प्रधानमंत्री कहां हैं?' उन्होंने कहा, मणिपुर की स्थिति एक गंभीर मुद्दा है और सभी दल अन्य सभी कामकाज निलंबित कर आपातकालीन नियम के तहत चर्चा की मांग कर रहे हैं, लेकिन कोई चर्चा नहीं हो रही है। प्रधानमंत्री क्यों नहीं आ सकते? हम सभी मणिपुर पर चर्चा के लिए तैयार हैं।"
उन्होंने कहा, " राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल के बाद INDIA गठबंधन का एक प्रतिनिधिमंडल मणिपुर की स्थिति देखने के लिए गया। कई और दल भी जमीनी स्थिति को जानने के लिए वहां गए। हम मणिपुर पर आपातकालीन नियम के तहत चर्चा करना चाहते हैं, न कि 176 के 'टोस्ट और बटर' नियम के तहत। डेढ़ घंटे या दो घंटे की चर्चा नहीं की जाती है। यह 'टोस्ट और मक्खन' नियम है, हम पूर्ण भोजन चर्चा चाहते हैं।
टीएमसी नेता ने कहा, "प्रधानमंत्री जी, अपने बारे में आप क्या सोचते हो। पंडित नेहरू ने राज्यसभा में आकर एक गंभीर विषय पर बात की थी और बहस में हिस्सा लिया था। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह मुद्दों पर चर्चा करने के लिए राज्यसभा में आए थे, यहां तक कि राजीव गांधी को भी आकर बोफोर्स पर चर्चा करनी पड़ी थी जब उन पर झूठा आरोप लगाया गया था। उनमें राज्यसभा में आकर बोफोर्स पर चर्चा करने का साहस था।"
"प्रधानमंत्री जी, आप बहुत अभिमानी हैं। आपका दिल पत्थर का है। मणिपुर की महिलाएं और बच्चे, वहां के लोग तकलीफ में हैं। उन्हें दो मिनट वाली मैगी, दो घंटे की चर्चा नहीं चाहिए। हम आपातकालीन नियम 267 के तहत पूर्ण चर्चा चाहते हैं। उसे लाओ और दोपहर 2 बजे चर्चा शुरू करो। भारत के युवाओं को गुमराह मत करो।"
मणिपुर हिंसा पर विस्तृत चर्चा पर विपक्षी सदस्यों के जोर देने के बाद सोमवार को संसद के दोनों सदनों को हंगामे के बीच स्थगित कर दिया गया। विपक्षी सांसद सभी कामकाज छोड़कर नियमों के तहत चर्चा कराने और प्रधानमंत्री से संसद में आकर दोनों सदनों में मणिपुर पर बयान देने की मांग कर रहे हैं।