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14 August 2020

राजस्थान में 'सियासी संकट' खत्म, कांग्रेस को मिला विश्वास मत, भाजपा पर बरसे गहलोत-पायलट

राजस्थान में पिछले लगभग एक महीने से जारी सियासी घमासान का अंत हो गया है। जहां कांग्रेस से सचिन पायलट के बागी तेवर अपनाने के बाद राज्य में अशोक गहलोत की सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे थे। लेकिन अब राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विश्वास मत हासिल कर लिया है।

विधानसभा में राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार के पक्ष में ध्वनि मत से विश्वास प्रस्ताव पारित किया गया है। इसके बाद कांग्रेस विधायकों में खुशी की लहर देखी गई। वहीं अब राजस्थान में 21 अगस्त तक सदन को स्थगित किया गया है। इस दौरान कांग्रेस के दोनों दिग्गज नेता गहलोत और पायलट ने विपक्षी दल भाजपा पर जमकर निशाना साधा।

विश्वास मत हासिल करने के बाद कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस, करोड़ों भारतीयों ने गोरे अंग्रेजों से लड़कर विजय पाई। हम संकल्प बद्ध है प्रजातंत्र, बहुमत और देश के संविधान पर हमला करने वाले मोदी सरकार में बैठे काले अंग्रेजों से भी जीतकर प्रजातंत्र और संविधान की रक्षा करने के लिए। आज के विश्वास मत का यही सबक है।

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सदन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि आज भाजपा के लोग बगुला भगत बन रहे हैं। सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली है। मैं 69 साल का हो गया, 50 साल से राजनीति में हूं। मैं आज लोकतंत्र को लेकर चिंतित हूं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि सम्माननीय नेता प्रतिपक्ष को कहना चाहूंगा कि आप चाहे कितनी भी कोशिश कर लो, मैं आपको कहता हूं कि मैं राजस्थान की सरकार को गिरने नहीं दूंगा। सीएम गहलोत ने आगे कहा कि क्या ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग जैसी एजेंसियों का देश में दुरुपयोग नहीं हो रहा है? जब आप टेलीफोन पर बातचीत करते हैं, तो आप दूसरे व्यक्ति से फेसटाइम और व्हाट्सएप पर जुड़ने के लिए नहीं कहते हैं। क्या लोकतंत्र में यह अच्छी बात है ?

वहीं विश्वास मत पारित होने के बाद सचिन पायलट ने कहा कि आज सदन के अंदर विश्वास मत को बहुमत से पारित किया गया जो अटकलें लगाई जा रही थीं उन्हें विराम मिला है। विपक्ष के विभिन्न प्रयासों के बावजूद, परिणाम सरकार के पक्ष में है।

वहीं सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों को विधानसभा सदन की गैलरी में लगी कुर्सी पर बैठाया गया है। इसे लेकर उन्होंने कहा कि पहले मैं सरकार का हिस्सा था लेकिन अब मैं नहीं हूं। यह महत्वपूर्ण नहीं है कि कोई कहां बैठता है, लेकिन लोगों के दिल और दिमाग में क्या है। जहाँ तक बैठने के पैटर्न पर विचार किया जाता है, यह स्पीकर और पार्टी द्वारा तय किया जाता है और मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। जीवन की आखिरी सांस तक मैं इस प्रदेश के लिए समर्पित हूं।

इससे पहले सदन में उन्होंने कहा कि पहले जब मैं वहां बैठता था तो मैं सुरक्षित था सरकार का हिस्सा था। मैंने सोचा की मेरे अध्यक्ष और चीफ व्हिप साहब ने मेरी सीट यहां क्यों की है। तब मैंने दो मिनट सोचा तो देखा कि ये सरहद है और सरहद पर किसे भेजा जाता है सबसे मजबूत योद्धा को।

उन्होंने कहा कि चाहे वो मेरा दोस्त हो या साथी हो। हम लोगों ने जिस डॉक्टर के पास मर्ज को बताना था बता दिया। इलाज करवाने के बाद हम सब सवा सौ लोग सदन में खड़े हैं...इस सरहद पर चाहे कितनी भी गोलाबारी हो हम सब और मैं कवच और ढाल, गदा और भाला बनकर सब सुरक्षित रखूंगा।

वहीं विश्वास मत को लेकर बहस के दौरान कांग्रेस के नेताओं द्वारा भाजपा पर कई आरोप लगाए गए। संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने बीजेपी पर खरीद-फरोख्त के आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि अकबर बाकी जगहों पर जीतकर जब राजस्थान आया तो महाराणा प्रताप ने उन्हें नाकों चने चबा दिए थे। ऐसे ही जब बीजेपी गोवा, कर्नाटक की सरकार गिराकर राजस्थान में आई तो यहां वीर सपूतों ने उसके इरादे विफल कर दिए। धारीवाल ने कहा कि राजस्थान में, बीजेपी ने अपने लोकप्रिय नेताओं के साथ रहने के बजाय दूसरे प्रमुख नेताओं को आगे बढ़ाने का फैसला किया। अब ये तो फेल होंगे ही। धारीवाल ने कहा कि इन लोगों को संविधान या संवैधानिक कार्यालय के लिए कोई सम्मान नहीं है। ये वे लोग हैं जो राष्ट्रपति को आधी रात को जगाते हैं और उन्हें महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन वापस लेने के लिए कहते हैं ताकि फडणवीस को शपथ दिलाई जा सके।

नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने सरकार गिराने के आरोपों पर कहा कि अगर हम सरकार को गिराना चाहते तो हम अविश्वास प्रस्ताव लाते। भाजपा विधायक राजेंद्र राठौड़ ने कहा, “एक महीने से, राजस्थान के लोग इस राजनीतिक सर्कस को असहाय रूप से देख रहे हैं। कांग्रेस सरकार की दुर्दशा का खामियाजा जनता भुगत रही है।”

राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि राज्य एक के बाद एक समस्याओं से जूझ रहा है। कोरोना संकट, टिड्डियां, बढ़ते अपराध, वित्तीय समस्याएं, किसानों पर कर्ज का बोझ, लेकिन सरकार अपनी समस्याओं के साथ व्यस्त है। राठौड़ ने कहा कि जिस दिन से ये लोग सत्ता में आए हैं,  आपस में लड़ रहे हैं। सीएम को यह कहते हुए सुना गया कि 18 महीने तक उन्होंने अपने डिप्टी से बात नहीं की थी। राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि शांति भंग सीएम के इशारे पर नहीं बल्कि उनके आलाकमान के आदेश पर हुई। यह नहीं चलेगा।

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TAGS: राजस्थान सियासी संकट, कांग्रेस, विश्वास मत, भाजपा, गहलोत सरकार, अशोक गहलोत, सचिन पायलट, Chief Minister Ashok Gehlot, Rajasthan Government, vote of confidence, rajasthan Assembly, Political crisis in Rajasthan, Congress
OUTLOOK 14 August, 2020
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