Advertisement
08 November 2023

सीएम खट्टर बोले, प्रदूषित हवा सीमाओं से बंधी नहीं हैं, पर्यावरण को स्वच्छ रखना सभी की सामूहिक जिम्मेदारी

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बुधवार को कहा कि प्रदूषित हवा सीमाओं तक सीमित नहीं है और दावा किया कि दिल्ली के साथ साथ उनके राज्य में भी लोग पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं से पीड़ित हैं, जहां पराली जलाने के कई मामले रिपोर्ट किए गए हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए और पर्यावरण को स्वच्छ रखना सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में हवा की गुणवत्ता बुधवार सुबह खराब रही। पड़ोसी राज्यों में धान की कटाई के बाद पराली जलाने से निकलने वाले धुएं का राष्ट्रीय राजधानी में होने वाले वायु प्रदूषण में एक तिहाई योगदान है।

मंगलवार को उच्चतम न्यायालय की पीठ की टिप्पणी के बारे में पिंजौर में पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए। दुर्भाग्य से कुछ लोग इस पर राजनीति कर रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई लाभ नहीं मिल रहा है…।’’ उच्चतम न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में राज्यों द्वारा एक-दूसरे पर दोष मढ़ने की कोशिश पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई थी और कहा था कि हर समय इस पर ‘‘राजनीतिक लड़ाई’’ नहीं हो सकती।

Advertisement

खट्टर ने कहा, ‘‘जैसा कि आप कह रहे हैं कि हमने हरियाणा में स्थिति को काफी हद तक नियंत्रित कर लिया है और जो भी बाकी हैं (पराली जलाने के मामले सामने आ रहे हैं) हम उन पर भी नियंत्रण कर लेंगे।’’

उन्होंने कहा कि पंजाब में पराली जलाने के कई मामले सामने आ रहे हैं, जिससे हरियाणा और दिल्ली के लोगों को भी परेशानी हो रही है और उन्होंने कहा कि ‘‘प्रदूषित हवा सीमाओं तक सीमित नहीं है’’।

पिंजौर में ‘हॉट एयर बैलून नेचर सफारी’ का उद्घाटन करने के बाद खट्टर ने कहा, ‘‘जब पंजाब में पराली जलाने के मामले होते हैं, तो इसका असर हरियाणा और दिल्ली के लोगों पर भी पड़ता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं सभी से अपील करता हूं, चाहे वह अरविंद केजरीवाल (दिल्ली के मुख्यमंत्री) हों या भगवंत मान (पंजाब के मुख्यमंत्री), अगर किसी भी सहायता की जरूरत है तो हम मदद करने के लिए तैयार हैं। यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है। हमें अपने पर्यावरण को स्वच्छ रखना होगा जो सभी के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है…।’’ दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार है। मंगलवार शाम चार बजे दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक 395 से बढ़कर 421 पर पहुंच गया।

गंगा के मैदानी इलाकों के कई शहरों में हवा की गुणवत्ता खतरनाक बताई गई है। पड़ोसी गाजियाबाद (382), नोएडा (348), उत्तर प्रदेश में ग्रेटर नोएडा (474) और हरियाणा के गुरुग्राम (370) और फरीदाबाद (396) में भी वायु गुणवत्ता खतरनाक श्रेणी में दर्ज की गई।

दिल्ली में पार्टिकुलेट मैटर प्रदूषण के स्रोतों की पहचान करने में सक्षम एक संख्यात्मक मॉडल-आधारित ढांचा ‘डिसीजन सपोर्ट सिस्टम’ के आंकड़े के अनुसार पड़ोसी राज्यों विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने से मंगलवार को दिल्ली में वायु प्रदूषण का योगदान 37 प्रतिशत रहा। बुधवार को इसके 33 फीसदी होने की संभावना है।

मुख्यमंत्री खट्टर ने कहा कि किसानों को सुविधाएं और उपकरण दिए जाने चाहिए क्योंकि आज उद्योगों, ऊर्जा परियोजनाओं, इथेनॉल बनाने, थर्मल संयंत्रों में पराली का व्यावसायिक उपयोग हो रहा है, इन सभी को और अधिक संभावनाएं तलाशने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने पराली जलाने की घटनाओं को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं और किसानों को फसल अवशेष जलाने से रोकने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।

उन्होंने कहा कि हवा की खराब गुणवत्ता के कारण जनजीवन प्रभावित होता है क्योंकि कुछ स्थानों पर स्कूल बंद करने पड़ते हैं, कुछ कार्यालयों में घर से काम करना पड़ता है और सम-विषम प्रणाली को जारी रखना पड़ता है।

वर्ष 2016 में शुरू की गई दिल्ली सरकार की सम-विषम योजना, कारों को उनकी विषम या सम नंबर प्लेट के आधार पर वैकल्पिक दिनों में संचालित करने की अनुमति देती है। अगले सप्ताह इसका कार्यान्वयन चौथी बार होगा जब दिल्ली सरकार ने वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए इस योजना को लागू करने का ऐलान किया है।

हवा की गुणवत्ता में और गिरावट को रोकने के लिए क्षेत्र में प्रदूषण से निपटने के वास्ते रणनीति तैयार करने को लेकर जिम्मेदार वैधानिक निकाय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने रविवार को पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में तत्काल प्रभाव से ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान के चौथे चरण को लागू करने का फैसला किया था।

पिछले कुछ दिनों के दौरान हरियाणा-एनसीआर के कुछ जिलों में वायु गुणवत्ता सूचकांक ‘गंभीर’, ‘बहुत खराब’ श्रेणियों में दर्ज किया गया है।

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि फसल अवशेषों को जलाने पर ‘‘तत्काल’’ रोक लगाई जाए और साथ ही कहा था कि वह प्रदूषण के कारण ‘‘लोगों को मरने’’ नहीं दे सकता।

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की खतरनाक स्थिति से संबंधित एक मामले की सुनवाई करते हुए पीठ ने फसल अवशेष जलाने, वाहन प्रदूषण और खुले में कचरा जलाने जैसे मुद्दों को वर्ष के इस समय के दौरान प्रदूषण में प्रमुख योगदानकर्ताओं के रूप में चिह्नित किया।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Polluted air, restricted by borders, collective responsibility, environment clean, Haryana Chief Minister Manohar Lal Khattar
OUTLOOK 08 November, 2023
Advertisement