राष्ट्रपति ने पूर्व सीजेआई गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया, विपक्ष ने उठाए सवाल
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया। इस संबंध में एक अधिसूचना गृह मंत्रालय द्वारा जारी की गई। कांग्रेस समेत विपक्ष के कई नेताओं ने पूर्व सीजेआई गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किए जाने को लेकर सवाल उठाए हैं। बता दें कि गोगोई 17 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। उनके सेवानिवृत्त होने से कुछ दिनों पहले इन्हीं की अध्यक्षता में बनी पीठ ने अयोध्या मामले में फैसला सुनाया था।
अधिसूचना में कहा गया, ‘‘भारत के संविधान के अनुच्छेद 80 के खंड (1) के उपखंड (ए), जिसे उस अनुच्छेद के खंड (3) के साथ पढ़ा जाए, के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए राष्ट्रपति को श्री रंजन गोगोई को राज्यसभा में एक सदस्य का कार्यकाल समाप्त होने से खाली हुई सीट पर मनोनीत करते हुए प्रसन्नता हो रही है।’’
केटीएस तुलसी का कार्यकाल पूरा होने से सीट हुई थी खाली
यह सीट केटीएस तुलसी का राज्यसभा का कार्यकाल पूरा होने से खाली हुई थी। गोगोई (65) लगभग सीजेआई के रूप में 13 महीने के कार्यकाल के बाद पिछले साल नवंबर में सेवानिवृत्त हुए थे।
राज्यसभा में मनोनित होने वाले पहले व्यक्ति होंगे गोगोई
गोगोई राज्यसभा में मनोनीत होने वाले भारत के पहले पूर्व मुख्य न्यायाधीश होंगे। पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंगनाथ मिश्रा भी राज्यसभा सदस्य थे, लेकिन वे कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुने गए थे।
अपने कार्यकाल में दिए हैं कई महत्वपूर्ण फैसले
गोगोई ने उस पांच न्यायाधीशों की पीठ का नेतृत्व किया जिसने गत साल नौ नवम्बर को संवेदनशील अयोध्या मामले पर फैसला सुनाया था। वह उसी महीने बाद में सेवानिवृत्त हो गए थे। गोगोई ने साथ ही सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश और राफेल लड़ाकू विमान सौदे संबंधी मामलों पर फैसला देने वाली पीठों का भी नेतृत्व किया।
विपक्ष ने किया कटाक्ष
कांग्रेस ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किए जाने को लेकर कटाक्ष किया और कहा कि तस्वीरें सबकुछ बयां करती हैं। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्विटर पर दो खबरें शेयर करते हुए यह टिप्पणी की। उन्होंने जो खबरें शेयर की हैं उनमें से एक में गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किये जाने की है और दूसरी में कहा गया है कि न्यायपालिका पर जनता का विश्वास कम होता जा रहा है। सुरजेवाला ने ये खबरें शेयर करते हुए कहा, ''तस्वीरें सबकुछ बयां करती हैं।"
वहीं एमआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस फैसले को रंजन गोगोई के लिए मुआवजा बताया है। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, ''क्या यह इनाम है''? लोग न्यायाधीशों की स्वतंत्रता पर कैसे यकीन करेंगे? कई सवाल'' इसके साथ ओवैसी ने गृह मंत्रालय का नोटिफिकेशन भी शेयर किया है जिसमें राष्ट्रपति ने पूर्व सीजेआई को राज्यसभा के लिए नामांकित किया है।