लोकतंत्र का गला घोटने वाला है संपत्ति क्षति वसूली विधेयक, शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वालों से भी वसूली का प्रावधान गलत: हुड्डा
हरियाणा सरकार द्वारा विधानसभा में पास किया गया संपत्ति क्षति वसूली विधेयक लोकतंत्र का गला घोटने वाला है। सरकार को इसे वापिस लेना चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा न विधानसभा में सरकार की तरफ से लाए गए विधेयक का कांग्रेस विधायकों ने जमकर विरोध किया। हुड्डा ने कहा कि विधेयक में शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वालों से भी वसूली का प्रावधान है, जो पूरी तरह गलत है। ये अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार का हनन करने की कोशिश है। क्योंकि लोकतंत्र में हर नागरिक को शांतिपूर्ण प्रदर्शन का अधिकार है।
हुड्डा ने बताया कि कानून के उदेश्य और कारणों में साफ-साफ लिखा है कि सरकार आमजन में डर पैदा करना चाहती है। विधेयक के अंदर सेक्शन-14 लिखा है कि वसूली सिर्फ हिंसा करने वालों से नहीं होगी बल्कि प्रदर्शन का नेतृत्व, आयोजन करने वालों, उसकी योजना बनाने वालों, प्रोत्साहित करने वालों और उसमें भाग लेने वालों से भी होगी। यानी सरकार हर प्रदर्शनकारी को दोषी की श्रेणी में रखकर कार्रवाई करेगी। इस कानून में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2009 में दी गई डायरेक्शन का भी उल्लंघन किया है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि दंगाइयों से रिकवरी के मामलों में निर्दोष लोगों को तंग ना किया जाए। वो भले ही किसी प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले नेता ही क्यों ना हों। कोर्ट ने भी आंदोलन में शांतिपूर्वक हिस्सा लेने वाले लोगों को प्रोटेक्शन देने की सिफारिश की थी। लेकिन सरकार ने इसकी उल्लंघना की है।
वसूली विधेयक में प्रदर्शनकारियों की जवबादेही और उनसे वसूली का तो प्रावधान है। लेकिन इसमें कहीं भी सरकारी और पुलिस की जवाबदेही तय नहीं की गई। नए विधेयक पर बहस के दौरान गृहमंत्री अनिल विज ने माना कि किसान आंदोलन के दौरान कोई हिंसा नहीं हुई। इसपर नेता प्रतिपक्ष ने सरकार से पूछा कि अगर खुद गृहमंत्री ऐसा मानते हैं तो सरकार क्यों लगातार निर्दोष किसानों पर मुकदमे क्यों दर्ज कर रही है। सरकार को तमाम मुकदमे वापिस लेने चाहिए।
विधानसभा की कार्यवाही स्थगित होने के बाद हुड्डा ने पत्रकार वार्ता को भी संबोधित किया। इसमें उन्होंने सरकार की आर्थिक नीति पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार चारवाक की ‘कर्जा लो, घी पियो’ की नीति पर काम कर रही है। इसकी वजह से प्रदेश की वित्तीय स्थिति ऐसी हो गई है कि बजट का करीब 95 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ कर्ज व ब्याज भुगतान और पेंशन, वेतन व भत्तों के भुगतान में खर्च हो जाता है। इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास के अन्य कार्यों के लिए सरकार के पास कोई बजट नहीं है। इसलिए वित्त मंत्री ने लोगों को कंफ्यूज करने के लिए बजट भाषण को लंबा रखा और सिर्फ आंकड़ों की बाजीगरी की।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि बजट से हर वर्ग को निराशा हाथ लगी। क्योंकि लॉकडाउन के बाद डीजल 28 प्रतिशत और राशन 43 प्रतिशत महंगा हो गया। लोगों को उम्मीद थी कि उन्हें इस बढ़ती महंगाई से राहत देने के लिए बजट में कोई ऐलान किया जाएगा। लेकिन बजट में ना किसान व मजदूरों के लिए कोई योजना थी और ना ही कर्मचारी व व्यापारी के लिए कोई राहत का ऐलान। आज हरियाणा पूरे देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर झेल रहा है। फिर भी सरकार ने बजट में रोजगार को बढ़ावा देने वाली किसी नीति को जगह नहीं दी।
हुड्डा ने सरकारी स्कूलों को बंद करने के फैसले पर भी आपत्ति दर्ज करवाई। उन्होंने कहा कि सरकार का काम स्कूल बनवाना होता है, बंद करना नहीं। लेकिन मौजूदा सरकार ने एक ही झटके में 1057 स्कूलों को बंद कर दिया। इतना ही नहीं हमारी सरकार के दौरान बनाए गए 9 किसान मॉडल स्कूलों को भी इस सरकार ने बंद कर दिया। प्रदेश में 40 हजार अध्यापकों की पोस्ट खाली पड़ी हैं। उनकी भर्ती करने की बजाए सरकार स्कूल बंद करने में जुटी है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बजट सत्र के दौरान जिम्मेदार विपक्ष होने के नाते हमने हर वर्ग की आवाज उठाने की कोशिश की। लेकिन विपक्ष की जायज मांगों को भी सरकार ने मानने से इंकार कर दिया। मूल हरियाणवियों के अधिकारों पर कुठाराघात करने वाले रिहायशी प्रमाण पत्र के नए नियमों को सरकार ने बदलने से इंकार कर दिया। कांग्रेस की मांग है कि प्रमाण पत्र के लिए 15 साल की शर्त को कायम रखा जाए, जिसे कम करके सरकार ने 5 साल कर दिया है। कांग्रेस से गठबंधन सरकार को 5100 रुपये पेंशन का वादा पूरा करने की भी मांग की। लेकिन बीजेपी-जेजेपी ने खुद के किए गए वादे से भी मुकरने का काम किया।