राहुल गांधी की उम्र को लेकर स्मृति ईरानी ने किया कटाक्ष
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने शनिवार को वृंदावन में भाजपा के युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि वह एक एेसा नौजवान नेता है जो दस वर्ष से सांसद है और उसकी माता का उसके उपर आशीर्वाद है लेकिन वह अपने चुनाव क्षेत्र का उद्धार नहीं कर पाता है। हालांकि स्मृति ने अपने भाषण में राहुल का नाम नहीं लिया लेकिन उनका इशारा राहुल गांधी की तरफ समझा जा सकता है। अपना प्रहार जारी रखते हुए उन्होंने कहा कि वह नेता राष्ट्रवाद का दावा करता है लेकिन मैं पूछना चाहती हूं कि इग्नू नाम की एक संस्था है जो सेना के लोगों को डिग्रियां दिया करती थी लेकिन 2012 में उसे बंद कर दिया गया। ईरानी ने आरोप लगाया कि यह निर्णय तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने किया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार बनने के बाद सरहद पर रहने वाले सैनिक जो पढ़ाई करना चाहते हैं इग्नू ने उनको फिर से डिग्री देना शुरू किया। उन्होंने बताया कि वायुसेना के 45 हजार और सेना के 3.73 लाख सैनिकों को अब तक यहां से डिग्रियां दी जा चुकी है।
ईरानी ने कांग्रेस पर अपना हमला जारी रखते हुए कहा कि हमने कभी भी कर्तव्य का पालन करते हुए यह नहीं कहा कि मेरे राष्ट्रवाद का प्रमाणपत्र यह है कि मेरी रगों में राष्ट्रवाद दौड़ता है बल्कि हमने राष्ट्रवाद को कर्तव्य से करके दिखाया। साथ ही उन्होंने जेएनयू मामले को फिर से उभारते हुए कहा कि जिन लोगों ने अफजल गुरू और याकूब मेमन का समर्थन किया, देश का दुर्भाग्य है कि कुछ लोगों ने उनका साथ दिया और कहा कि यह अभिव्यक्ति की आजादी का मामला है। उन्होंने राहुल का नाम लिए बिना कहा कि एेसा करना राष्ट्र को तोड़ने वालों को महिमामंडित करने जैसा है। उन्होंने वामदलों को भी साथ में घेरा और कहा कि 2006 में ताप्ती मलिक नामक दलित महिला ने किसानों की जमीन को बचाने के लिए संघर्ष किया था लेकिन उसका बलात्कार किया गया और उसे जिंदा जला दिया गया। उन्होंने कहा, मैं पूछना चाहती हूं कि जो लोग देश को खंडित करने का समर्थन कर रहे थे 2006 में उनके आंसू क्यों नहीं निकले। इसी तरह केरल में 1999 में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष जयकृष्णन जो कि एक प्राइमरी स्कूल में अध्यापक थे उनकी टुकड़े-टुकड़े करके निर्मम हत्या कर दी गई लेकिन तब किसी के मुंह से उफ तक नहीं निकली। उन्होंने कहा कि 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा को एक बड़ी विजय मिल चुकी है लेकिन हमारा यह संघर्ष तब तक समाप्त नहीं होगा जब तक ताप्ती और जयकृष्णन को न्याय नहीं मिलेगा। स्मृति ने पिछले लोकसभा चुनाव में अमेठी में राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था।