महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण मांगने वाले राहुल गांधी ने खुद को ही गलत साबित किया
पिछले दिनों कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखी गई चिट्ठी ने खूब सुर्खियां बंटोरी। सोमवार को राहुल गांधी ने पीएम को लिखी चिट्ठी में संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने की मांग की। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार महिला आरक्षण बिल लेकर आए तो कांग्रेस पूरा समर्थन करेगी। लेकिन इसके दूसरे ही दिन राहुल गांधी खुद महिला आरक्षण की राह पर खरे नहीं उतर पाए।
दरअसल, मंगलवार को कांग्रेस ने अपनी 51 सदस्यीय कार्यसमिति का गठन किया जिसमें महज 7 महिलाओं को ही जगह मिली। यानी 33 फीसदी आरक्षण की बात करने वाले राहुल अपनी पार्टी में महज 15 फीसदी जगह ही महिलाओं के लिए सुनिश्चित कर सके। ऐसे में कार्यसमिति में महिलाओं की मामूली हिस्सेदारी के बाद पार्टी का पक्ष काफी कमजोर नजर आ रहा है। सोनिया गांधी के अलावा अम्बिका सोनी, आशा कुमारी, रजनी पाटिल, कुमारी शैलजा, शीला दीक्षित, सुष्मिता देव को ही कार्यसमिति में जगह दी गई है।
कांग्रेस के इस रवैये से अब भाजपा को भी हमला बोलने का मौका मिल गया है। ऐसे भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिख कर संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण संबंधी बिल को समर्थन देने की गुजारिश करने पर सरकार ने भी पलटवार किया था। रविशंकर प्रसाद ने सोमवार को उस खत का जवाब देते हुए तीन तलाक और निकाह हलाला पर समर्थन की मांग कर दी थी।
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि महिलाओं की समानता और उसकी पर्याप्त भागीदारी के लिए भाजपा और कांग्रेस को साथ आना चाहिए। महिला आरक्षण के साथ तीन तलाक और निकाह हलाला पर भ्ाी दोनों को कानून का समर्थन करना चाहिए।
सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया
संसद और विधानसभाओं में आरक्षण की मांग और अपनी ही पार्टी में महज 15 फीसदी महिलाओं को जगह देने को लेकर सोशल मीडिया पर लोग कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को घेरते नजर आ रहे हैं। लोग इसे दोहरा चरित्र तक करार दे रहे हैं।
आम आदमी पार्टी नेता अल्का लांबा ने ट्वीट कर कहा, “कांग्रेस संसद में 33 फीसदी महिला आरक्षण विधेयक की मांग कर रही है... लेकिन 51 सीडब्ल्यूसी सदस्यों में से अपनी पार्टी में उन्होंने केवल 6 महिलाएं दीं... गुडलक।”
ट्वीटर पर मयंक गुप्ता नाम के एक यूजर ने लिखा है, “राहुल जी संसद में 33 फीसदी महिला आरक्षण की बात कर सकते हैं। लेकिन अपनी सीडब्ल्यूसी में 33 फीसदी आरक्षण नहीं दे सकते? यह पांखड है।”
जीतन गुजारिया ने लिखा है कि 50+ सीडब्ल्यूसी सदस्यों की सूची में 6 महिलाएं, 3 मुस्लिम, 5 अनुसूचित जाति, 3 एसटी। 'सशक्तिकरण' के अपने दावों में कांग्रेस की कलई खुल गई है।