राजस्थान: पायलट-गहलोत में हो गई दोस्ती?, ये करीबियां दे रही है गवाही
राजस्थान में इन दिनों चार सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर सियासी गर्मियां जोरो पर है। सत्तारूढ़ दल कांग्रेस की अगुवाई वाली अशोक गहलोत की सरकार और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच तल्खियां तेज है। लेकिन, पार्टी सब कुछ ठीक होने के संकेत दे रही है। पायलट गुट फिर से राजस्थान की राजनीति में सक्रिय हो गई है। बीते दिनों कांग्रेस के भीतर ये सुगबुगाहट राहुल गांधी के राजस्थान दौरे के बाद दिखाई दी। दरअसल, रूपनगढ़ में राहुल के ट्रैक्टर रैली को संबोधित करने के दौरान राजस्थान प्रभारी अजय माकन और सचिन पायलट, दोनों मंच से उतर गए।
पायलट को मंच से उतारे जाने के बाद उनके समर्थकों ने गहरी नाराजगी जाहिर की। यहां तक की प्रियंका के करीबी और कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कांग्रेस के भविष्य पर सवाल उठा दिया। अब कांग्रेस उपचुनाव में नुकसान न हो, इसके लिए अपने भीतरी कलह को बाहर आने से रोकने में लगी हुई है। बीते दिनों मेवाड़ में आयोजित किसान महापंचायत में गहलोत और पायलट ने मंच साझा किया। लेकिन, इस दौरान भी दोनों के बीच दूरी के संकेत मिलते रहें।
दरअसल, बीते दिनों जयपुर जिले के कोटखावदा में सचिन की अगुवाई में आयोजित किसान महापंचायत के बाद से पायलट गुट की फिर से सक्रियता दिखाई दे रही है। इस कार्यक्रम में गहलोत और डोटसरा, दोनों को आमंत्रित किया गया था लेकिन वो नहीं पहुंचे। हालांकि, कांग्रेस ने गहलोत के अन्य कार्यक्रम का हवाला दिया। इस कार्यक्रम के जरिए पायलट ने अपनी मजबूती का एहसास शीर्ष आलाकमानों को दी।
यानी कांग्रेस सीधे तौर पर उपचुनाव में नुकसान न हो, इसके लिए पायलट गुट के कलह को सामने आने देने से रोकने की कोशिश में लगी हुई है। वहीं, मंत्रिमंडल विस्तार पर पायलट गुट की पैनी नजर है। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि उपचुनाव के बाद कांग्रेस के भीतर कलह पनपने की संभावनाएं हैं। वहीं, केंद्रीय राजनीति पर भी इस गुट की नजर है। बीते दिनों कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कांग्रेस के नेतृत्व पर सवाल उठाए हुए है।
दरअसल, बीते साल कोरोना महामारी के दौरान गहलोत सरकार में सचिन पायलट सरीखे उनके समर्थकों ने बगावत कर दिए थे। महीने भर से अधिक समय तक पायलट समर्थकों ने दिल्ली में डेरा डाला था। अब फिर से पायलट गुट की सक्रियता ने कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है।