पंजाब के बाद अब राजस्थान में बढ़ेगी कांग्रेस की मुसीबतें ?, सीएम गहलोत के लिए बड़ा सिरदर्द!, 'पायलट' उड़ान अभी बाकी
इसे भी पढ़ें
>> चरणजीत सिंह चन्नी: कांग्रेस का बड़ा खेला; आप, बसपा, भाजपा, अकाली दल सबको किया चित?
>> चरणजीत चन्नी: पार्षद से मुख्यमंत्री तक का तीन दशकों का सफर, विवादों से भी रहा नाता
>> पंजाब: क्या था 'मीटू' का मामला जिसे लेकर घिरे चरणजीत सिंह चन्नी, भाजपा ने उठाए सवाल
बीते कई महीनों से पंजाब में हो रहे सियासी घमासान फिलहाल के लिए एक करबट बदलने के बाद कुछ समय के लिए शांत हो गई है। कांग्रेस ने राज्य की सत्ता से पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को बेदखल कर अब चरणजीत सिंह चन्नी को कैप्टन बना दिया है। पार्टी ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले दलित कार्ड खेलते हुए चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया है। इस पूरे घटनाक्रम के पीछे पूर्व मंत्री और मौजूदा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू हैं, जो पिछले कई महीनों से कैप्टन अमरिंदर के साथ रार ठाने हुए थे और आखिरकार उनकी रणनीति कामयाब हुई। आलाकमान के सामने सीएम अमरिंदर को इस्तीफा दे, सरेंडर करना पड़ा। अब प्रभारी हरीश रावत इस बात को भी स्पष्ट कर चुके हैं कि अगला चुनाव प्रदेश अध्यक्ष यानी सिद्धू के चेहरे को आगे कर लड़ा जाएगा।
ये भी पढ़ें- पंजाब को मिला पहला दलित मुख्यमंत्री, चरणजीत सिंह चन्नी ने ली शपथ, कैप्टन समारोह में नहीं हुए शामिल
अमरिंदर सिंह के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद से सीएम गहलोत की कुर्सी को लेकर मुश्किलें बढ़ सकती है। दरअसल, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा ने पंजाब घमासान के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे का कारण उन्होंने खुद के एक ट्वीट को बताया है। ट्विटर पर लोकेश ने लिखा था कि "मजबूत को मजबूर, मामूली को मगरूर किया जाए...। बाड़ ही खेत को खाए, उस फसल को कौन बचाए.."
दरअसल, कांग्रेस के लिए जिस तरह की स्थिति पंजाब में थी, जहां एक म्यान में दो तलवार जैसे हालात थे। नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर खेमे के बीच लगातार टकराव देखने को मिल रहे थे। नवजोत चाहते हैं कि अगले चुनाव में उन्हें पार्टी राज्य का चेहरा घोषित करे। वहीं, कैप्टन इसके लिए तैयार नहीं थे। वहीं, स्थिति राजस्थान में भी है। सीएम गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच एक साल से भी ज्यादा वक्त से घमासान छिड़ा हुआ है। पायलट सरीखे उनके खेमे ने पिछले साल दिल्ली में दो महीने तक डेरा डाल दिया था। काफी मशक्कत के बाद सीएम गहलोत कुर्सी बचाने में कामयाब रहें। अब पंजाब प्रक्रण के बाद राजस्थान में दोनों खेमे के फिर से आमने-सामने आने की संभावना है।
यहां भी पायलट खेमा चाहता है कि सचिन पायलट सीएम बनें जबकि गहलोत गुट को ये मंजूर नहीं है। अगले विधानसभा चुनाव को लेकर भी पायलट गुट का मानना है कि कांग्रेस पार्टी सचिन पायलट को चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट करें, जबकि गहलोत अभी सचिन पायलट को स्पेस देने के मूड में नहीं दिखाई दे रहे हैं।
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि यदि यही सब चलता रहा तो पंजाब वाला हाल अब कांग्रेस के लिए राजस्थान में भी होगा। क्योंकि, विधानसभा चुनाव में पायलट गुट ने महत्वपूर्ण योगदान दे पार्टी को जीत दिलाई थी। उम्मीद थी कि सचिन पायलट को सीएम बनाया जाएगा। लेकिन, हुआ उल्टा। सीएम गहलोत बन गए।
अब पंजाब घमासान के बाद पायलट गुट भी सिद्धू के रास्ते पर चल सकते हैं। और यदि ऐसा होता है तो फिर सीएम गहलोत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। यानी कुल मिलाकर अभी कांग्रेस के लिए सिरदर्द लगातार बना रहेगा।