राज्यसभा में होगा विपक्षी एकता का इम्तिहान, तैयारी में जुटी कांग्रेस
राज्यसभा के उपसभापति पीजे कुरियन 1 जुलाई को सेवानिवृत्त हो रहे हैं और इसी के साथ नए उपसभापति को लेकर राजनीति भी तेज हो गई है। सरकार की तरफ से इस पद के लिए उम्मीदवार उतारने की बात सामने आ रही है, वहीं अब विपक्ष के एकजुट होने की अटकलें भी तेज हो गई है।
कांग्रेस की तरफ से ये संकेत मिल रहे हैं कि वो अपना उम्मीदवार तो नहीं उतारेगी लेकिन विपक्ष की तरफ से अगर कोई दल उम्मीदवार देता है तो उसे अपना सर्मथन दे सकती है।
अगर सरकार राज्यसभा के उप-सभापति के लिए अपना उम्मीदवार उतारती है तो तृणमूल कांग्रेस के सुखेन्द्र शेखर रॉय इस पद के लिए विपक्ष के उम्मीदवार हो सकते हैं। एनडीटीवी के मुताबिक, सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस ने राज्यसभा के उप-सभापति पद पर ममता बनर्जी के उम्मीदवार को समर्थन देने का फैसला किया है। 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले इसे विपक्षी एकता के एक और इम्तिहान के तौर पर देखा जा रहा है।
अहमद पटेल ने की थी ममता बनर्जी से मुलाकात
इससे पहले राज्यसभा के उप-सभापति पद पर तृणमूल उम्मीदवार के समर्थन के लिए कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल ने ममता बनर्जी से मुलाकात की थी। सूत्रों के मुताबिक, इस दौरान पटेल और ममता बनर्जी के बीच नई दिल्ली में करीब एक घंटे तक बातचीत हुई थी। इसे कांग्रेस की तरफ से पार्टी उम्मीदवार के लिए समर्थन हासिल करने के प्रयास के तौर पर देखा गया।
क्या होगी रणनीति
यह पद छह साल तक कांग्रेस नेता और केरल से राज्यसभा सांसद पीजे कुरियन के पास था। कांग्रेस ने कुरियन को दूसरे कार्यकाल के लिए नहीं चुना था।
राज्यसभा में 51 सीटों के साथ, कांग्रेस इस पद के लिए स्वाभाविक दावेदार होती। हालांकि, पार्टी को यह पता है कि गैर-बीजेपी संगठन की जीत सुनिश्चित करने के लिए उन्हें ममता बनर्जी की पार्टी का समर्थन करने वाले बीजू जनता दल और तेलंगाना राष्ट्र समिति के महत्वपूर्ण वोट प्राप्त करने के लिए तृणमूल उम्मीदवार का समर्थन करना होगा।
ओडिशा के मुख्यमंत्री और बीजू जनता दल के नवीन पटनायक और तेलंगाना राष्ट्र समिति दोनों तृणमूल उम्मीदवार की तरफ झुकाव रखते हैं।
आखिरी बार 1992 में इस पद के लिए चुनाव हुआ था
1992 में इस पद के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस की उम्मीदवार नजमा हेपतुल्लाह (जो अब बीजेपी के साथ हैं) और रेणुका चौधरी के बीच मुकाबला था। तब रेणुका चौधरी को पीछे छोड़ते हुए नजमा हेपतुल्लाह ने 128 वोटों से जीत दर्ज की थी।
गौरतलब है कि भारत का उप-राष्ट्रपति राज्यसभा का सभापति होता है। लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य उप-राष्ट्रपति (राज्यसभा के सभापति) का चुनाव करते हैं, जबकि उप-सभापति का चुनाव केवल राज्यसभा के सदस्यों द्वारा किया जाता है।