बागी विधायकों ने जारी किया स्टिंग सीडी, रावत ने बताया झूठा
कथित स्टिंग ऑपरेशन की सीडी सामने आने के बाद हरिश रावत ने खुद आगे आकर उसे झूठा बताया और कहा, स्टिंग ऑपरेशन की यह सीडी झूठी है। उन्होंने कहा, यह सब झूठ जो फैलाया जा रहा है, वह उत्तराखंड के राजनीतिक लोगों को ब्लैकमेल करने वाले तथाकथित पत्रकार, बागी विधायक, धनलोलुप और हर मुमकिन तरीके से राज्य की निर्वाचित सरकार और मुख्यमंत्री का सर कलम करने पर तुली मोदी जी की भाजपा नीत केंद्र सरकार और अमित शाह के नापाक गठबंधन की उपज है। पिछले एक सप्ताह से प्रदेश में बड़े सियासी संकट से जूझ रही हरीश रावत सरकार द्वारा आगामी 28 मार्च को राज्य विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने से पहले सामने आए इस स्टिंग आपरेशन से राज्य मे हडकंप मच गया है।
रावत ने स्टिंग ऑपरेशन करने वाले एक निजी टेलीविजन चैनल के पत्रकार पर भी निशाना साधा और कहा कि उन्होंने हर मुख्यमंत्री को दबाव में लेने का प्रयास किया है और दबाव में नहीं आने वाले मुख्यमंत्री को किसी न किसी प्रकार से इसी प्रकार की विपरीत परिस्थितियों से गुजरना पड़ा है या उनके खिलाफ इसी प्रकार के अस्त्र का इस्तेमाल करने की कोशिश की गई है। मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि चूंकि उनकी सरकार इस तरह के लोगों के दवाब में नहीं आती है इसलिए धन और सत्ता की लोलुपता में भाजपा और उनके साथ हमसफर बने बागी विधायकों और तथाकथित पत्रकारों का एक संयुक्त गठबंधन बना। उन्होंने पत्रकार पर बहुत कम समय में बेहिसाब संपत्ति अर्जित करने का भी आरेाप लगाया और कहा कि उनकी प्रगति की यात्रा बहुत आश्चर्यजनक है। किसी के ऊपर अगर कुबेर देवता मेहरबान हो जाएं या उसी के घर में बस जाएं तो भी शायद कोई व्यक्ति इतनी जल्दी इतनी संपत्ति नहीं बना सकता, इतना धनाढ्य नहीं हो सकता, जितना यह सज्जन बन गए हैं। इस संबंध में मुख्यमंत्री ने मीडिया से भी स्टिंग ऑपरेशन करने वाले व्यक्ति के इतिहास को खंगालने की अपील की और कहा कि यदि उन्होंने उसके बारे में कुछ भी असत्य कहा है तो वह दोबारा मीडिया के सामने आकर माफी मांगने को तैयार हैं।
उधर स्टिंग के सामने आने के बाद वरिष्ठ भाजपा सांसद और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी ने आरोप लगाया कि राज्य में भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच गया है और चारों तरफ शराब माफिया, खनन माफिया और भू माफिया खुले आम घूम रहे हैं। खंडूरी ने कहा, उत्तराखंड में मौजूदा कांग्रेस सरकार के राज में भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच गया है। विधायकों को धन के बल पर अपने पक्ष में लाने का प्रयास किया जा रहा है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए उनकी तत्कालीन सरकार ने वर्ष 2011 में एक सख्त लोकायुक्त कानून बनाया था जिसे विधानसभा से सर्वसम्मति से पारित करवा कर राष्ट्रपति को भेजा गया था जिसे उनकी सहमति भी मिल गई थी। लेकिन कांग्रेस सरकार ने आते ही उस पर रोक लगा दी।