भाजपा का कौन सा सपना कभी पूरा नहीं होने देंगे क्षेत्रीय दल
तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, पश्चिम बंगाल, बिहार में लोग भाजपा को एक सुर से वोट नहीं देते हैं। उनका मानना है कि यहां के क्षेत्रीय दल यहां की समस्याओं को अच्छी तरह से जानते हैं। और वो ही इसका समाधान करने में सक्षम हैं। यहां क्षेत्रीय दलों का वोट बैंक भी नियत है, जो उन्हें चुनावों में जीत दिलाने में सहायक है। इन मूलभूत कारणों की वजह से देश के सात से आठ राज्यों में हमेशा इन दलों का प्रभुत्व बरकरार रहेगा। ऐसे प्रभुत्व के बीच भाजपा का देश को कांग्रेस मुक्त करने का सपना पूरा होता नहीं दिख रहा है। और इसके पूरे होने की उम्मीद भी नजर नहीं आती। गौर करने वाली बात है कि जहां भी कांग्रेस हार रही है, वहां उसके विकल्प के रुप में क्षेत्रीय दल जीत रहे हैं। क्षेत्रीय दल विचारधारा के मामले में भाजपा की बजाय कांग्रेस के ज्यादा निकट है। अगर भाजपा कांग्रेस का पूरा सफाया चाहती है तो उन्हें कांग्रेस को हराने की बजाय क्षेत्रीय दलों को हराने की तरकीब सोचनी होगी। भाजपा को क्षेत्रीय पार्टियों के खिलाफ जीत हासिल करने का फॉर्मूला ढूंढना होगा, जिनके कब्ज़े में इस वक्त 11 राज्य और 41 फीसदी आबादी है। क्षेत्रीय दल भाजपा को कतई पसंद नहीं करते हैं। बंगाल दोबारा जीतने के बाद ममता बनर्जी ने साफ कहा है कि हम विचारधारा के स्तर पर भाजपा के खिलाफ हैं। वे बांटने की राजनीति करते हैं। हम केंद्र सरकार को सिर्फ उन मुद्दों पर समर्थन दे सकते हैं, जिनमें वोटरों का फायदा हो। जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के शरद यादव ने कहा कि एडीएमके तथा तृणमूल कांग्रेस की जीत साबित करती है कि भाजपा को हराया जा सकता है। ऐसी पार्टियां विपक्ष की भूमिका निभाती रहेंगी, भले ही कांग्रेस गिरावट की ओर बढ़ रही है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में कांग्रेस और यूपीए में सहयोगी उनकी पार्टियों के कब्ज़े में कुल सात राज्य हैं, जिनमें देश की कुल आबादी का सिर्फ 15.5 फीसदी हिस्सा बसा हुआ है, जबकि भाजपा और उनके सहयोगियों के कब्ज़े में 13 राज्य हैं, जिनमें देश की 43 फीसदी आबादी रहती है। हरियाणा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, ज्रम्मू कश्मीर, महाराष्ट्र के बाद अब असम में भाजपा की सरकार बनने जा रही है। कर्नाटक, उत्तराखंड, हिमाचल, मिजोरम, मेघालय और मणिपुर में कांग्रेस की सरकार है।