पूर्व विदेश मंत्री एसएम कृष्णा का खुलासा, 'काम में राहुल के दखल के कारण छोड़ा था मंत्री पद'
यूपीए की मनमोहन सरकार में विदेश मंत्री रहे कांग्रेस के पूर्व नेता एसएम कृष्णा ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर कई आरोप लगाए। कृष्णा ने कहा कि कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी के कथित "अतिरिक्त संवैधानिक अधिकार" के कारण उन्होंने पद से इस्तीफा दिया था। उन्होंने कहा, 'मैं 3.5 साल तक विदेश मंत्री था। उस समय राहुल गांधी कुछ नहीं थे। वह पार्टी के महासचिव भी नहीं थे। लेकिन उन्होंने यह कहा कि जो लोग 80 के हो गए हैं वह मंत्री नहीं बन सकते। जब मैंने यह सुना तो अपना इस्तीफा बेंगलुरु में सौंप दिया।'
गांधी के निर्णयों को "अतिरिक्त-संवैधानिक अधिकार" करार देते हुए, कृष्णा ने कहा, "ऐसे मामले थे जो कभी भी मंत्री के ध्यान में नहीं लाए गए थे। कैबिनेट में अध्यादेश पास करने को लेकर चर्चा हो रही थी लेकिन राहुल गांधी ने अध्यादेश की कॉपी फाड़ दी।' कृष्णा ने यह भी कहा कि राहुल गांधी किसी के लिए उत्तरदायी नहीं थे। न वे संसद के लिए उत्तरदायी थे और न ही सरकार के लिए। जिस अध्यादेश पर उन्होंने निर्णय लिया वह जरूरी था।
कृष्णा ने कहा कि मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, मगर कई फैसले उनकी जानकारी के बगैर लिए जाते थे। गठबंधन के घटक दलों पर कोई नियंत्रण नहीं था, उसी दौरान 2 जी स्पेक्ट्रम, कॉमनवेल्थ और कोयला घोटाला उजागर हुआ था।
कांग्रेस ने बताया बकवास
कांग्रेस की ओर से प्रतिक्रिया देते हुए नेता दिनेश गुंडू राव ने कहा कि राहुल गांधी पर एसएम कृष्णा का बयान सुनने के बाद कृष्णा के लिए जो एक फीसदी सम्मान था वो भी खत्म हो गया। राजनीति में इस कद के आदमी का ऐसी बात कहना बिल्कुल बकवास है। मुझे नहीं पता किस कारण से वह ऐसी बातें कह रहे हैं। कांग्रेस नेता राव ने कहा कि कृष्णा की इस तरह की बयानबाजी से कांग्रेस को कोई नुकसान नहीं होगा बल्कि उनकी ही छवि बिगड़ेगी। उन्होंने कहा कि बीजेपी का कोई व्यक्ति एसएम कृष्णा को याद नहीं रखेगा, केवल कांग्रेस ही है जो उनके बारे में बात करेगी। उन्होंने कहा कि लोग अपनी वृद्धावस्था में ध्यान खींचने के लिए ऐसी हरकतें करते रहते हैं।
कौन हैं एसएम कृष्णा?
एसएम कृष्णा 2009 से 2012 के बीच मनमोहन सरकार में विदेश मंत्री थे। उन्होंने जनवरी 2017 में कांग्रेस के सदस्य के रूप में इस्तीफा दे दिया और उसी साल मार्च में भाजपा में शामिल हो गए। हालांकि वह सक्रिय राजनीति में तो नहीं रहे लेकिन उन्होंने पिछले विधानसभा चुनावों में कर्नाटक के कांग्रेस नेता सिद्धारमैया के खिलाफ प्रचार किया था।